अक्ल का घड़ा : Akal Ka Ghada Akbar Birbal Story in Hindi – बादशाह अकबर अभी दरबार में आकर बैठे ही थे कि तभी दरबार में लंका के राजा का एक दूत हाजिर हुआ। बादशाह अकबर ने उसका स्वागत करते हुए कहा, “कहो, कैसे आना हुआ ?”
दूत सिर झुका कर बोला, “जहांपनाह, आपके दरबार में एक से बढ़कर एक बुद्धिमान, चतुर तथा हाजिरजवाब दरबारी हैं। हमारे महाराज ने यहां मुझे एक घड़ा अक्ल लाने के लिए भेजा है।”

बादशाह अकबर यह सुनकर चौंक गए कि भला अक्ल भी घड़े में भरी जा सकती है ? लगता है लंका का राजा हमारी हंसी उड़ाना चाहता है। यह सोचते-सोचते बादशाह को बीरबल की याद आ गई।
बादशाह अकबर ने बीरबल को बुलवाकर उसे यह बात बताई। बीरबल बोले, “जहांपनाह, अक्ल का प्रबंध तो हो जाएगा, पर इस काम में कुछ हफ्ते लग सकते हैं।”
शहंशाह अकबर ने बीरबल को समय दे दिया। बीरबल अब इस समय काम में लग गए और एक नौकर से कहा कि वह छोटी मुंह वाले मिट्टी के कुछ घरों का इंतजाम करें। नौकर घर लेकर आया तो बीरबल नौकर को लेकर कद्दू की बेल तक गए और उन्होंने एक घड़े में एक छोटे कद्दू डाल दिए। इसके बाद उन्होंने बाकी घड़ों में भी इसी तरह से कद्दू रख दिए।
फिर बीरबल ने नौकर से कहा, “इन घड़ों की देखभाल सावधानीपूर्वक करना।” बीरबल यह कह कर कामकाज में लग गए।
समय पूरा हो गया तब बीरबल दरबार में हाजिर हुए। शहंशाह अकबर ने पूछा, “बीरबल अक्ल के घड़ों की स्थिति क्या है ?”
“जहांपनाह, बस दो हफ्ते का और समय चाहिए, फिर सारे घड़े अकल से भर जाएंगे।” दो हफ्ते बाद बीरबल ने आकर देखा की घड़े में कद्दू के फल घड़े जितने हो गए हैं। वह बहुत ही खुश हुए और इसके दूसरे दिन बीरबल दरबार में पहुंचे और लंका के दूत को बुलवाया।
लंका का दूत जैसे ही दरबार में हाजिर हुआ, बीरबल के सेवक घड़े लिए दरबार में आ पहुंचे।
बीरबल ने एक घड़ा लंका के दूत को देते हुए कहा, “लीजिए, अक्ल का घड़ा और जाकर अपने राजा को सादर भेट कीजिए, परंतु खाली होने पर हमारा यह कीमती घड़ा हमें जैसे का तैसा वापस मिल जाना चाहिए। इसमें रखा अक्ल का फल भी तभी असरदार होगा, जब इसे किसी भी तरह की हानि ना पहुंचाई जाए। यानी इसे साबुत ही घड़े से निकाला जाए।”
बीरबल से दूत ने पूछा, “हुजूर, क्या मैं अक्ल के फल को देख सकता हूं ?” “हां, देख सकते हैं।” बीरबल ने आगे कहा, “यदि आपके राजा को और अक्ल की जरूरत हो तो चिंता की कोई बात नहीं, क्योंकि ऐसे पांच घड़े हमने रखे हुए हैं।”
दूत जब घर लेकर दरबार से चला गया तब शहंशाह अकबर अपनी जिज्ञासा को दबा ना सके और बीरबल से बोले, “अक्ल का फल हमें भी तो दिखाओ। तुम्हारे पास अक्ल के अभी पांच घड़े रखे हैं न ?”
“हां हुजूर, पांच ऐसे घरे अभी मेरे पास है। मैं अभी हाजिर करता हूं।” बीरबल ने यह कहते हुए सेवा को घड़े लाने को कहा।
सेवक घड़े लेकर शहंशाह के समीप पहुंचा तो उन्होंने घड़े में झांककर देखा, फिर बादशाह अचानक ही हंस पड़े और बीरबल की पीठ थपथपाते हुए बोले, “मान गए बीरबल। तुम्हारा भी कोई जवाब नहीं। इस कद्दू को खाकर लंका के राजा की बुद्धि तेज हो जाएगी। चले थे हमें मूर्ख बनाने और…” शहंशाह यह कह कर हंसने लगे। दरबारी भी अपनी हंसी रोक न सके। बीरबल की चतुराई पर उन सबको ही नाज था।
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