बुद्धिमानों के बुद्धिमान : Akbar Birbal Best Hindi Stories – बादशाह अकबर अक्सर ही बीरबल की परीक्षा लेते रहते थे और बीरबल हमेशा ही पास हो जाया करते थे।
एक बार शहंशाह ने बीरबल को एक बकरी देते हुए कहा, “बीरबल, इस बकरी को जितना खाना दिया जाता है, उससे दोगुना खाना तुम्हें देना है। लेकिन बकरी का वजन बढ़ना नहीं चाहिए। मैं एक हफ्ते के बाद स्वयं इसका वजन करूंगा।” बीरबल अब करते क्या ? बादशाह का हुक्म तो हुक्म होता है।

बीरबल ने उस बकरी को दोगुना खाना देना शुरू कर दिया। वजन बढ़ने नहीं देना था, इसीलिए हर रात वह एक कसाई को छुरी देकर बकरी के सामने बैठाने लगे। बकरी दिन भर खूब खाती और जब रात को हाथ में छुरी लिए कसाई को देखती तो उसका हालत बहुत ही खराब हो जाती। ना तो वह बैठ पाती और ना ही सो पाती। दोगुना खाना खाने के बाद भी उसका वजन नहीं बढ़ा।
एक हफ्ते बाद शहंशाह अकबर के सामने दरबार में बकरी को तोला गया। बकरी का वजन जरा-सा भी नहीं बढ़ा था। जितना पहले था, उतना ही था। शहंशाह अकबर को बहुत ही आश्चर्य हुआ। उन्होंने बीरबल से कहा, “बीरबल, यह कैसे संभव हुआ, बकरी तो रोज दोगुना खाना खाती है। वजन तो बढ़ना चाहिए।”
बीरबल बोले, “हुजूर, बकरी का वजन आखिर बढ़ता तो कैसे ? हाथ में छुरी लिए एक कसाई रातभर उसके सामने बैठा जो रहता था। जो वह एक दिन में खाती थी, रात में कसाई की छुरी देखकर सब बराबर हो जाता था।”
“बहुत खूब, बीरबल। तुम्हारी इसी चतुराई के तो हम कायल हैं। तुम बुद्धिमानों के बुद्धिमान हो, बीरबल।” बादशाह यह कहते-कहते हंस पड़े।
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