नाईं गया स्वर्ग में : Akbar Birbal Famous Story in Hindi – बीरबल बहुत ही बुद्धिमान और हाजिरजवाब थे, जिससे उन्हें ज्यादातर लोग पसंद करते थे और इसके साथ ही कुछ लोग बीरबल की हाजिरजवाबी के कारण उनसे जलते भी थे। बीरबल से जलने वालों ने एक दिन बीरबल को हमेशा के लिए रास्ते से हटाने का निर्णय लिया।
अकबर बादशाह का जो हज्जाम था, इस काम के लिए बीरबल के दुश्मनों ने उससे सहायता मांगी। हज्जाम पहले तो तैयार नहीं हुआ लेकिन जब उन्होंने उसे हीरो मोतियों से लाद देने का लालच दिया तो वह हज्जाम डरते-डरते ही सही, पर तैयार हो गया।
अगली सुबह हज्जाम महल में बादशाह अकबर की हजामत बनाने पहुंचा। बादशाह सलामत चुपचाप हजामत बनवाने लगे।
हज्जाम बाल काटते हुए बोला, “जहांपना, मैं…, यह कहते-कहते हज्जाम चुप हो गया।” बादशाह बोले, “बोलते-बोलते रुक क्यों गए ? जो कहना है बेहिचक कहो।”
“हुजूर, आप तो अपने स्वर्गवासी पुरखों के विषय में कभी सोचते-विचारते ही नहीं।” हज्जाम इतना बोल कर चुप हो गया। बादशाह की रुचि हज्जाम की बातों में बढ़ गई। वह बोले, “मैं उनके लिए लाख सोचने के बाद भी कुछ नहीं कर सकता, वे तो अब जिंदा ही नहीं हैं।”
हज्जाम की अब हिम्मत बढ़ गई। वह बोला, “जहांपनाह, आपके पुरखे स्वर्ग में ही तो हैं। वहां किसी को भेजकर यह तो जाना ही जा सकता है कि वे किस हाल में हैं।” क्या ऐसा हो सकता है ?” बादशाह के चेहरे पर खुशी पसर गई।
उन्हें हज्जाम की सलाह काफी पसंद आई। वे बोले, “लेकिन किसी को स्वर्ग में कैसे भेजा जा सकता है ?” हज्जाम मन-ही-मन खुश होते हुए बोला, “यह तो बहुत ही आसान काम है, हुजूर। किसी खुले स्थान में चीता सजाकर उसमें किसी बुद्धिमान व्यक्ति को बैठा दिया जाए तो वह चीता की लपटों के साथ सीधे स्वर्ग में पहुंच जाएगा।” हज्जाम की यह योजना बादशाह कोई भी पसंद आई। लेकिन उन्होंने अगले पर ही सवाल कर दिया, “योजना तो ठीक है, पर इस तरह से जलने को कौन तैयार होगा ?”
हजाम ने सुझाव दिया, “जहांपनाह, बीरबल राज्य के सबसे चतुर व बुद्धिमान व्यक्ति हैं। इस कार्य के लिए उनसे अधिक योग्य दूसरा कोई व्यक्ति नहीं हो सकता।”
अकबर बादशाह यह सुनकर गंभीर हो गए, क्योंकि वह समझ गए थे कि बीरबल को जान से मारने के लिए चाल चली जा रही है, फिर भी वह अनाड़ी ही बने रहे और बोले, “बहुत खूब, हां, इस काम के लिए बीरबल ही सही व्यक्ति रहेंगे।” हज्जाम बाल काट कर चला गया।
बादशाह अकबर ने दरबार में आते के साथ ही इस योजना की घोषणा दरबार में कर दी। इसके बाद बीरबल को देखते हुए कहा, “बीरबल, अब तुम ही स्वर्ग जाओ और वहां से लौटकर हमें बताओ कि हमारे पुरखों को किस चीज की जरूरत है।” बीरबल बोले “हुजूर, आप के मन में यह विचार कहां से आया ?”
बादशाह अकबर बोले, “यह विचार मेरे मन की उपज नहीं है। यह विचार तो हमारे हज्जाम के मन की उपज है। उसी ने हमें जो विचार सुझाया।”
बीरबल ने बादशाह के कहने का मतलब अच्छी तरह से समझ लिया और मन-ही-मन ठान लिया कि उस हजाम को सबक सिखाना है। बीरबल ऐसा सोचते हुए बोले, “जहांपनाह, आपने मुझे इस काबिल समझा, शुक्रिया। मैं स्वर्ग की यात्रा पर जाने के लिए तैयार हूं।
हुजूर, लेकिन मुझे कुछ दिन का समय दीजिए ताकि मैं अपने परिजनों के लिए जरूरत की चीजों का प्रबंध कर सकूं।” अकबर बादशाह ने बीरबल को कुछ दिनों का समय दे दिया और चिता भी तैयार करने का हुक्म जारी कर दिया।
बीरबल ने इसी बीच चिता की जगह को जाकर देखा, फिर चिता के अस्थान से अपने घर तक अंदर- ही-अंदर एक सुरंग खुदवानी आरंभ कर दी। बीरबल के चिता पर बैठने की तारीख आ गई। नगर के सारे लोग वहां आकर जमा हो गए। बीरबल सुरंग के द्वार से सटकर लेट गए और दरबारी कारिंदों ने उनके चारों तरफ लकड़ियां सजा दी।
देखते-ही-देखते चिता धू-धू करके जल उठी। बीरबल को चाहने वाले आंसू बहा रहे थे और ईर्ष्या करने वाले खुश हो रहे थे। लेकिन चतुर बीरबल तो सुरंग से होते हुए अपने घर पहुंच गए थे।
कुछ महीनों के बाद बीरबल दरबार में आए तो उनके हितेषी और शत्रु दोनों ही चकित रह गए की एक मरा हुआ व्यक्ति पुनः जिंदा कैसे हो गया ? वह बड़ी मुश्किल से पहचान में आ रहे थे। क्योंकि उनकी दाढ़ी बेतरतीव बढ़ी हुई थी।
बीरबल शहंशाह अकबर को सलाम करते हुए बोले, “मेरे मालिक ! मैं सीधा स्वर्ग से यहां आ रहा हूं। आपके पुरखों की भी खबर लेकर आया हूं।” बादशाह अकबर प्रसन्न होते हुए बोले, “बीरबल, तुम ठीक तो हो ? स्वर्ग में मेरे सब पुरखे कैसे हैं ?”
बीरबल बोले, “जहांपनाह, वहां किसी बात की कोई कमी नहीं है। चारों तरफ अमन-ही-अमन है। हां, वहां पर एक चीज की कमी है।”
“बोलो बीरबल, हम वह चीज वहां भिजवाने की कोशिश करेंगे।” बादशाह सिहासन से यह कहते-कहते खड़े हो गए। बीरबल बोले, “हुजूर, वहां कोई ढंग का हज्जाम (नाई) नहीं है। आपके पुरखों ने कहा है कि कोई ढंग का हजाम फौरन यहां भेजा जाए।
हुजूर, स्वर्ग में पहुंचने का रास्ता तो हम सबको मालूम हो ही गया है। वहां अब किसी को भी भेजना हमारे लिए कठिन नहीं रहा।” शहंशाह अकबर बोले, “हां, तुम्हारी बात तो सही है, पर वहां किस हज्जाम को भेजा जाए ?”
बीरबल अब कहां चूकने वाले थे। वह झट से बोले “हुजूर, इसमें भी कोई पूछने की बात है। आपका शाही हज्जाम वहां जाएगा। उससे बेहतर हजामत और कौन बना सकता है, हुजूर।”
“ठीक है बीरबल, हम शाही हज्जाम को ही स्वर्ग भेज देते हैं।”
फिर क्या था। बादशाह अकबर ने शाही हज्जाम को स्वर्ग जाने का हुक्म दे दिया। हज्जाम को षड्यंत्रकारियों का साथ देने का अच्छा फल मिला। वह बेमौत मारा गया।
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