दो माह का एक माह : Akbar Birbal Hindi Short Stories – शहंशाह अकबर के दिमाग में भी बैठे-बैठे असंभव को संभव बनाने के विचार उठते ही रहा करते थे। बीरबल उनके इस काम में मदद करते रहते थे। एक दिन अकबर ने बहुत सोचने के बाद फैसला लिया कि दो महीनों को एक महीना बनाया जाए।
अपने फैसलों को बहुत तोलने के बाद शहंशाह ने बीरबल को अपने इस फैसले से अवगत कराया।

बीरबल यह सुनकर हैरान रह गए, फिर शहंशाह की प्रशंसा करते हुए कहा, “जहांपनाह, इस तरह से इस दुनिया का तो अब भला ही करेंगे, क्योंकि चांदनी रात 15 दिन के बदले 30 दिन की होगी ?”
शहंशाह अकबर बीरबल के इस तर्क पर और स्वयं को कुदरत के सामने मजबूर पाकर शर्मिंदा हो गए।
शहंशाह बोले, “बीरबल, हम दो माह को एक बना सकते हैं, पर कुदरत के नियमों का को नहीं बदल सकते। यह तो सोचा ही नहीं। तुम महान हो, बीरबल। तुमने मुझे गलत फैसला लेने से पहले ही सचेत कर दिया। यह कहते हुए बादशाह ने बीरबल को गले से लगा लिया।
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