अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा : Akbar Birbal Hindi Short Story – बादशाह अकबर के दिमाग में तरह-तरह की बातें आती रहती थी। दरबार में वह बैठे हुए थे और दरबारियों से बातें करने में मशगूल थे। तभी अचानक उन्होंने दरबारियों से सवाल कर दिया, “खुदा ना करें अगर सबकी दाढ़ी में आग लग जाए और उसमें मैं भी शामिल होऊं तो आप सबसे पहले किसकी दाढ़ी की आग बुझाना चाहेंगे ?”
दरबारियों में कुछ पल के लिए सन्नाटा छा गया, फिर अधिकांश दरबारियों ने समवेत स्वर में कहा, “जहांपनाह की दाढ़ी की।” शहंशाह को दरबारियों की बात पर यकीन नहीं हुआ। उन्होंने बीरबल की ओर देखा। वह खामोश बैठे हुए थे। शहंशाह ने बीरबल से पूछा, “बताओ बीरबल, किसकी दाढ़ी की आग पहले बुझाओगे ?”

बीरबल बोले, “जहांपनाह, सच्चाई तो यही है कि मैं पहले अपनी दाढ़ी की आग बुझाऊंगा, फिर दूसरे की दाढ़ी के बारे में सोचूंगा।” बीरबल ने आत्मविश्वास से कहा।
बादशाह अकबर ने बीरबल को गर्व से देखा और कहा, “बीरबल तुम एक हाजिरजवाब ही नहीं, बल्कि एक सच्चे व्यक्ति भी हो। बाकी लोग मुझे खुश करने के लिए झूठ बोल रहे थे, जबकि हर व्यक्ति पहले अपने बारे में ही सोचता है। हम तुम्हारे इस जवाब से बहुत खुश है, बीरबल।” यह कहकर शहंशाह चुप हो गए। वह बीरबल की स्पष्टवादिता से बहुत ही खुश थे।
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