बीरबल की नेक सलाह : Akbar Birbal ki story – शहंशाह अकबर किसी बात को लेकर अपनी बेगम से खफा हो गए और हुक्म दे दिया कि वह महल छोड़कर चली जाएं। बेगम काफी चिंतित हो गईं और उन्होंने शहंशाह को मनाने की बहुत कोशिश की, पर बादशाह पर कोई फर्क नहीं पड़ा।
बहुत सोचने-विचारने के बाद बेगम ने बादशाह की आज्ञा का पालन करना ही ठीक समझा। अपनी बांदी से सामान बांधने को कहकर बेगम स्वयं बादशाह के पास आकर उनसे माफी मांगने लगीं।

बादशाह को उन पर थोड़ी-सी भी दया नहीं आई। वह बेगम से बोले, “बेगम, तुम चाहो तो महल से अपनी पसंद की चीज ले जा सकती हो।”
बेगम की बेचैनी और भी अधिक बढ़ गई। वह समझ नहीं पा रही थीं कि अब क्या करें ? तभी उन्हें बीरबल की याद आई, फिर बेगम ने बीरबल को दरबार में बुलाया।
बीरबल ने जब सारी बातें सुन लीं तब बेगम ने कहा, “बीरबल, बादशाह को खुश करने का कोई उपाय हो तो बताओं।” बीरबल मुस्कराए और उन्हें एक उपाय बताकर चले गए।
अब बेगम का सारा सामान गाड़ियों पर रखा जाने लगा। बेगम के लिए डोली सजाई जाने लगी। डोली में बैठने से पहले बेगम बादशाह अकबर के पास आईं और रोनी-सी सूरत बनाकर बोलीं, “जहांपनाह, जब मैं महल छोड़कर सदा के लिए जा ही रही हूं तो आप मेरी अंतिम इच्छा स्वीकार कर लीजिए।
मैं अपने हाथों से आपको एक गिलास शर्बत पिलाना चाहती हूं, न मालूम फिर कभी आपसे मिलना हो या न हो।”
इस बार बादशाह अकबर का दिल पसीज गया। उन्होंने सहर्ष आज्ञा दे दी। बेगम ने आज्ञा मिलते ही बादशाह को प्रेमपूर्वक शर्बत पिलाया। शर्बत में पहले से ही नशीली दवा मिली हुई थी।
बादशाह शर्बत पीते ही नशे के कारण सो गए। मौका मिलते ही बेगम एक डोली में बादशाह को लेटाकर स्वयं उनके साथ बैठ गईं।
बादशाह की नींद टूटी, तब स्वयं को बेगम के साथ एक अनजान जगह पर देखकर बादशाह अकबर की समझ में कुछ भी नहीं आया। बेगम शहंशाह को पंखे से हवा करते हुए मुस्करा रही थीं।
बादशाह अकबर ने बेगम से पूछा, “हम कहाँ हैं और आप हमें यहां किसके हुक्म से लाई हैं ?”
बेगम ने सिर झुकाकर नरम आवाज में कहा, “जहांपनाह, आपने ही तो हुक्म दिया था कि मैं महल से अपनी पसंद की चीज साथ ले जा सकती हूं।
हुजूर, इस दुनिया में ऐसी कोई भी चीज नहीं, जो आपसे अधिक पसंद हो। महल में जो मुझे सबसे अधिक पसंद है, वह आप हैं इसीलिए मैं आपको अपने साथ लाई।”
बेगम के इतना कहते ही बादशाह का गुस्सा काफूर हो गया और उन्होंने बेगम को क्षमा कर दिया। महल में वापस आने पर बेगम ने बीरबल को हीरे-जवाहरात दिए और उनका बहुत-बहुत धन्यवाद दिया।
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