सौ के बदले डेढ़ सौ अशर्फियां : Akbar Birbal hindi story

सौ के बदले डेढ़ सौ अशर्फियां : Akbar Birbal hindi story – बादशाह अकबर दरबार में बैठे हुए दरबारियों से बातचीत कर रहे थे। इसी बीच दरबार में दो व्यक्तियों को हाजिर किया गया। बादशाह ने उन दोनों को गौर से देखा। पहला आदमी बोला, “जहांपनाह, इस आदमी ने मुझसे सौ अशर्फियां कर्ज ली थीं, किन्तु अब देने से मना कर रहा है।”

दूसरा आदमी अपनी सफाई में बोला, ‘मेरे मालिक’, इस आदमी से मैंने कभी भी कोई लेन-देन नहीं किया। मैंने इससे कोई कर्ज नहीं लिया है। इसका आरोप निराधार और झूठ है।”

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शहंशाह अकबर दोनों के बातें सुनकर दुविधा में पड़ गए और बीरबल से बोले, “बीरबल, अब तुम ही सच-झूठ का फैसला करो।”

बीरबल पहले आदमी से बोले, “यह बताओ, तुमने इसे अशर्फियां कहां पर दी थीं ?”

“हुजूर बबूल के पेड़ के नीचे।” पहले आदमी ने जवाब में कहा।

“वह बबूल का पेड़ कहां पर है ?” बीरबल ने जानना चाहा।

“वह बबूल का पेड़ जंगल में है, हुजूर।” पहला आदमी बोला।

बीरबल ने बड़ी चतुराई से कहा, “ठीक है, तुम जाओ और उस पेड़ को दरबार में हाजिर करो।” पहला आदमी बदहवास-सा जंगल की ओर दौड़ता चला गया।

काफी समय बीत जाने के बाद भी जब पहला आदमी लौटकर दरबार में नहीं आया तब बीरबल ने कहा, “हुजूर, उस आदमी ने आने में बड़ी देर कर दी। दरबार का कीमती समय बर्बाद हो रहा है। जहांपनाह, आप अपना फैसला सुनाइए।” बीरबल के यह कहते ही दूसरा आदमी अचानक ही बोल पड़ा, “जहांपनाह, वह इतनी जल्दी लौटकर नहीं आ सकता है।”

“लेकिन तुम यह कैसे कह सकते हो ?” बीरबल ने झट से सवाल कर दिया, “यह बात तुम इतने विश्वास के साथ कैसे कह सकते हो कि वह इतनी जल्दी नहीं आ सकता ?”

“हुजूर, मुझे मालूम है, बबूल का वह पेड़ यहां से छः कोस दूर है।” दूसरे आदमी के इतना कहते ही बीरबल की आंखें चमक उठीं, “जहांपनाह, यह आदमी ही अपराधी है। इसी ने अशर्फियां ली हैं, तभी तो इसे पता है कि बबूल का वह पेड़ यहां से छः कोस दूर है।”

शहंशाह अकबर ने बीरबल की बुद्धि और चतुराई की तारीफ करते हुए फैसला सुनाया, “पहला आदमी सच्चा है और दूसरा आदमी झूठा है। दूसरा आदमी पहले को सौ के बदले डेढ़ सौ अशर्फियां देगा।”

दूसरे आदमी को बीरबल की चतुराई से सबक मिल गया था।

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Himanshu Kumar
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