सिन्ध / भारत पर अरबों का आक्रमण (Arab attack on Sindh / India in hindi) : मध्यकालीन भारत की प्रमुख घटना मुस्लिमों का आक्रमण था जिसमें सर्वप्रथम अरबी आक्रमण हुआ और बाद में तुर्की आक्रमण हुआ। भारत और अरब के बीच 7वीं सदी में ही संपर्क आरंभ हो गए थे। व्यापार और वाणिज्य के दृष्टि से अरब वाले पहले भी भारत में केरल के मालाबार तट पर आते थे।
अरबों का सिन्ध विजय का विस्तृत वृतांत चचनामा नामक ग्रंथ से मिलता है। भारत पर अरबों का पहला असफल आक्रमण 636 ई० में हुआ। यह आक्रमण खलीफा उमर के काल में मुम्बई के ठाणे बंदरगाह पर हुआ।
भारत / सिन्ध पर अरब आक्रमण : Arab Attack on India
अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण 712 ई० में मुहम्मद-बिन-कासिम के नेतृत्व में किया। कासिम ने 17 साल की उम्र में भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी इलाकों पर आक्रमण किया और सिंधु नदी के साथ लगे सिन्ध और पंजाब क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया। यह आक्रमण खलीफा अल-वाजिद के शासन काल में हुआ था। अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर राजा दाहिर का शासन था।
मुहम्मद बिन कासिम (Muhammad Bin Qasim) का परिचय
- इस्लाम के शुरुआती काल में मुहम्मद बिन कासिम उमय्यद खिलाफत का एक अरब सिपहसालार था।
- मुहम्मद-बिन-कासिम का जन्म आधुनिक सऊदी अरब में स्थित ताइफ़ शहर में हुआ था।
- वह उस इलाके के अल-सकीफ कबीले का सदस्य था।
- उसके पिता कासिम बिन युसुफ़ के देहांत के बाद उसके ताऊ हज्जाज बिन युसुफ ने उसे युद्ध और प्रशासन की कलाओं से अवगत कराया।
- मुहम्मद-बिन-कासिम ने हज्जाज के बेटी जुबैदाह से शादी कर ली।
- इस प्रकार मुहम्मद-बिन-कासिम हज्जाज का भतीजा व दामाद था।
- उसके बाद हज्जाज (जो उमय्यादों के लिए इराक के राज्यपाल थे) ने उसे मकरान तट के रास्ते से सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए रवाना कर दिया।
दाहिर सेन (Dahir Sena) का परिचय
- दाहिर सेन का जन्म 663 ई० सिन्ध प्रदेश के अरोर क्षेत्र में हुआ था।
- उनके पिता का नाम चच तथा माता का नाम सोहन्दी था।
- दाहिर की बहन का नाम पद्मा था।
- दाहिर की पत्नी का नाम रानीबाई था।
- रानीबाई के एक पुत्र जिसका नाम जयशाह तथा दो पुत्रियां जिसका नाम क्रमशः सूर्या कुमारी एवं परमाल देवी थी।
- दाहिर 679 ई० में सिन्ध की गद्दी पर बैठा।
भारत पर अरबों के आक्रमण के तात्कालिक कारण : Causes of Arab Invasion
- सिंध में अरबों के आक्रमण (arab attack) के समय ब्राह्मण वंश का शासन था जिसका संस्थापक चच था। चच का पुत्र दाहिर था। दाहिर के समय लंका से आने वाले कुछ अरब जहाजों को सिन्ध में देवल के समुद्री डाकुओं ने लूट लिया। यही घटना सिंध पर अरबों के आक्रमण का तात्कालिक करना बना। वहीं कुछ इतिहासकार का मत है कि आक्रमण का मूल कारण इस्लाम का प्रचार-प्रसार था।
- ईराक के सूबेदार हज्जाज ने दाहिर से लूट का हर्जाना मांगा किन्तु दाहिर ने अस्वीकार कर दिया। अतः हज्जाज ने खलीफा वाहिद से अनुमति प्राप्त कर क्रमशः तीन सेनापतियों को भेजा।
- सर्वप्रथम उबैदुल्ला तदुपरान्त वर्दुल ने सिंध पर आक्रमण किया। हालांकि यह दोनों आक्रमण असफल रहे। अंततः हज्जाज ने 17 वर्षीय मुहम्मद बिन कासिम को सिन्ध विजय हेतु भेजा।
मुहम्मद-बिन-कासिम के प्रमुख अभियान : Campaign of Muhammad-Bin-Qasim
- मुहम्मद बिन कासिम ईरान के गवर्नर (राज्यपाल) अल हज्जाज का सेनापति व दामाद था।
- 712 ई० में अल हज्जाज ने मुहम्मद बिन कासिम को भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा।
- मुहम्मद बिन कासिम के भारतीय अभियान को हज्जाज कूफा के शहर में बैठा नियंत्रित कर रहा था।
- मकरान के रास्ते से होते हुए वह सिन्ध के आधुनकि कराची शहर के पास स्थित देबल की बंदरगाह पर पहुंचा, जो उस जमाने में सिन्ध की सबसे महत्वपूर्ण बंदरगाह थी।
- देवल में उन्होंने बहुत बंदी बनाए और उन्हें गुलाम बनाकर भारी संख्या में हज्जाज और ख़लीफ़ा को भेजा दिया।
- मुहम्मद बिन कासिम ने सर्वप्रथम देबल या दाभोल में जजिया लगाया। भारत में जजिया कर लगाने वाला मुहम्मद-बिन-कासिम प्रथम व्यक्ति था।
- जजिया कर इस्लाम को न स्वीकार करने वाले यानि गैर-मुस्लिमों से वसूला जाता है।
- देवल के बाद कासिम ने नीरून, सेहवान एवं सिसम पर सफल आक्रमण किया।
- सिसम जीतने के बाद कासिम ने राबर जीता। राबर में दाहिर लड़ता हुआ मारा गया। उसकी मृत्यु के बाद उसकी पत्नी रानीबाई ने अरबों के खिलाफ मोर्चा संभाला। परंतु स्वयं को हारता हुआ देखकर उसने जौहर कर लिया।
- ब्राह्मणवाद के बाद दाहिर की राजधानी अरोर या अलोर को जीता। अरोर विजय ही सिन्ध विजय को पूर्णता प्रदान करता है।
- अलोर विजय के बाद कासिम ने सिक्का एवं मुल्तान जीता।
- मुल्तान कासिम की अंतिम विजय थी। यहाँ से उसे इतना सारा सोना मिला की मुल्तान का नाम सोने का नगर (स्वर्ण नगर) रखा गया।
- सिंध विजय के पश्चात कासिम ने ब्राह्मणों को ऊंचे पदों पर नियुक्त किया था।
- मुल्तान विजय के बाद कासिम ने कन्नौज विजय हेतु अबु-हकीम के अधीन एक सेना भेजी। परंतु, अरब आक्रमणकारी सिंध के आगे नहीं बढ़ पायें क्योंकि कश्मीर के ललितादित्य ने हराकर इनका प्रसार आगे की ओर रोक दिया।
- 725 ई० में जब अरबों ने पुनः सिंध से आगे बढ़ने की कोशिश की तब गुर्जर-प्रतिहारों एवं बादामी के चालुक्यों ने उनको पराजित किया। यही कारण है कि अरब यात्री सुलेमान ने प्रतिहार शासक मिहिरभोज को अरबों (मुसलमानों) का सबसे बड़ा शत्रु बताया।
अरब आक्रमण का परिणाम : Impact of Arab Attack
अरबों की सिंध विजय का भारतीय राजनीतिक क्षेत्र पर कोई विशेष प्रभाव नहीं पड़ा किन्तु सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक परिणाम दृष्टिगोचर होते हैं जो कि निम्नलिखित हैं –
- अरबों का सबसे अधिक प्रभाव आर्थिक क्षेत्र पर पड़ा। इस समय समुद्री व्यापार पर अरबों का एकाधिकार था। अरबों के साथ जुड़कर भारतीय व्यापार यूरोप एवं अफ्रीका पहुंचे।
- मल, मनक, बाजीगर, सिंदबाद जैसे भारतीय वैज्ञानिक बगदाद के दरबार में पहुँचे।
- अमीर खुसरो हमें बताते हैं कि अरब ज्योतिषी अबमाशर बनारस आकर 10 वर्षों तक ज्योतिष का अध्ययन किया।
- मनक नामक चिकित्साशास्त्री ने खलीफा हारून का इलाज किया।
- भारतीय अंक पद्धति जैसे वर्गमूल, घनमूल, शून्य, दशमलव आदि से अरबों का परिचय हुआ।
- अरबों ने भारतीय ज्ञान को यूरोप में फैलाया।
- कुछ इतिहासकारों के अनुसार शतरंज अरब से हिंदुस्तान आया। लेकिन, अमीर खुसरों के अनुसार यह खेल भारत में ही जन्मा था जिसे प्राचीनकाल में चतुरंग कहा गया।
- भारतीय उपन्यास पंचतंत्र (नीतिशास्त्र) का अरबी में अनुवाद इब्नअल मुकफ्फा ने कलील व दिम्मना नाम से किया।
- ब्रह्मगुप्त की गणित की पुस्तक ब्रह्मसिद्धान्त एवं खण्ड खाण्डयक का अरबी भाषा में अनुवाद अलफजारी एवं इब्राहिम पिंजरी द्वारा किया गया।
- सिंध में इस्लाम धर्म का प्रवेश हुआ और मुल्तान एवं मंसूरा में मुस्लिम बस्तियाँ स्थापित हुई। सिंध में अरबों की राजधानी मंसूरा नगर बनी। अरबों ने प्रतिहारों के आक्रमण से स्वयं को सुरक्षित रखने हेतु अलमाफूजा नगर बसाया।
- बगदाद के खलीफाओं ने भारतीय विद्वानों को संरक्षण प्रदान किया। खलीफा मंसूर के समय में अरब विद्वानों ने अपने साथ ब्रह्मगुप्त द्वारा रचित ब्रह्म-सिद्धांत एवं खण्ड खाण्डयक को लेकर बगदाद गए और अलफजारी ने भारतीय विद्वानों के सहयोग से इन ग्रंथों का अरबी भाषा में अनुवाद किया।
- खलीफा हारून रशीद ने चरक संहिता का अरबी अनुवाद करवाया।
भारत / सिन्ध पर अरबों के आक्रमण से संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर (question answer)
- किस ग्रंथ से अरबों का सिन्ध विजय के बारे में विस्तृत वृतांत मिलता है – चचनामा
- चचनामा ग्रंथ किस भाषा में लिखा गया है – अरबी भाषा
- अरबों का भारत पर पहला असफल आक्रमण (arab attack) कब हुआ – 636 ई०
- अरबों का भारत पर 636 ई. में आक्रमण के समय वहाँ का खलीफा कौन था – उमर
- अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण कब किया था – 712 ई०
- अरबों ने भारत पर पहला सफल आक्रमण किसके नेतृत्व में किया था – मुहम्मद-बिन-कासिम
- अरबों का भारत पर 712 ई० में सफल आक्रमण के समय वहां का खलीफा कौन था – अल-वाजिद
- अरब आक्रमण के समय सिन्ध पर किसका शासन था – दाहिर
- दाहिर किसका पुत्र था – चच का
- मुहम्मद-बिन-कासिम के पिता का नाम क्या था – कासिम बिन युसुफ़
- मुहम्मद-बिन-कासिम का विवाह किसके साथ हुआ – जुबैदाह
- जुबैदाह किसकी बेटी थी – अल हज्जाज का
- मुहम्मद-बिन-कासिम किसका सेनापति था – हज्जाज बिन युसुफ
- मुहम्मद-बिन-कासिम किस रास्ते से सिन्ध पर आक्रमण करने के लिए रवाना हुआ था – मकरान तट के रास्ते
- सिंध में अरबों के आक्रमण के समय किस वंश का शासन था – ब्राह्मण वंश
- किसने कासिम को भारत पर आक्रमण करने के लिए भेजा था – अल हज्जाज ने
- अल हज्जाज कहाँ का गवर्नर (राज्यपाल) था – ईरान का
- मुहम्मद बिन कासिम के भारतीय अभियान को हज्जाज किस शहर में बैठा नियंत्रित कर रहा था – कूफा
- भारत में जजिया कर लगाने वाला प्रथम व्यक्ति कौन था – मुहम्मद-बिन-कासिम
- रावड़ का युद्ध 20 जून 712 ई० में किसके बीच हुआ – मुहम्मद-बिन-कासिम और सिन्ध के राजा दाहिर के बीच
- 712 ई० में मुल्तान को जितने के बाद मुहम्मद बिन कासिम ने मुल्तान का नाम क्या रखा – स्वर्ण नगर
- भारतीय उपन्यास पंचतंत्र का अरबी में अनुवाद कलील व दिम्मना नाम से किसने किया – इब्नअल मुकफ्फा
- ब्रह्मगुप्त की गणित की पुस्तक ब्रह्मसिद्धान्त एवं खण्ड खाण्डयक का अरबी भाषा में अनुवाद किसके द्वारा किया गया – अलफजारी एवं इब्राहिम पिंजरी
- सिंध में अरबों की राजधानी किस नगर को बनाया गया – मंसूरा नगर
- भारत में जजिया कर लगाने वाला प्रथम व्यक्ति कौन था – मुहम्मद-बिन-कासिम
- चरक संहिता का अरबी अनुवाद किस खलीफा ने करवाया – हारून रशीद
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आपने काफी ज्ञान भरा लेख लिखा है, आप इसी तरह हमारे साथ अपने ज्ञान को शेयर करते रहिये
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