इस पोस्ट में हमलोग जानेगे कि सूक्ष्म शरीर में विचार तर्क और बुद्धि का विकास किस प्रकार होता है ? किस शरीर के विकसित न होने पर मनुष्य का सारा जीवन खाने पीने में समाप्त हो जाता है ? किस प्रकार के व्यक्ति का सारा जीवन वासनामय होता है ? बुद्ध और महावीर ने अपनी साधना के लिए बिहार प्रांत का ही चयन क्यों किया ? किस प्रकार के लोगों को बचपन में पूर्व जन्म की घटनाएं याद रहती है ?
पिछली पोस्ट में स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर (astral body), इथरिक बॉडी के बारे में बताया था। अगर आपने नहीं पढ़ा है तो उसको पढ़ सकते है। यह सात लोक और सात शरीर का तीसरा भाग है।
तीसरा सूक्ष्म शरीर (astral body) में विचार तर्क और बुद्धि का विकास —
भाव शरीर या आकाशीय शरीर (etheric body) के विकास के पश्चात 14 वर्ष तक एक प्रकार की प्रौढ़ता प्राप्त होती है मगर उसको यौन की प्रौढ़ता समझनी चाहिए। मनुष्य के प्रति प्रकृति की जो सहायता और कर्तव्य है पहले और दूसरे शरीर का विकास और उन्नति यहीं समाप्त हो जाती है। तीसरा शरीर, जहां विचार, तर्क, बुद्धि विकसित होती है वह शिक्षा, संस्कृति और सभ्यता का फल है।
कुछ लोग 21 वर्ष की सीमा पर आकर ठहर जाते हैं। शरीर का विकास आयु के हिसाब से होता रहता है लेकिन भीतर से वे तीसरे शरीर में ही रुके रहते हैं और मृत्यु के समय तक वहीं के वहीं रहते है। इसलिए चौथा मनस शरीर भी विकसित नहीं हो पाता। जो शरीर विकसित होता है उस शरीर के अनंत आयाम मनुष्य के लिए खुल जाते हैं।
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किस प्रकार के व्यक्ति का सारा जीवन वासनामय होता है और सिर्फ खाने पीने में समाप्त हो जाता है ?
जिस व्यक्ति का भाव शरीर विकसित नहीं हुआ है उसका सारा जीवन खाने पीने में समाप्त हो जाता है। इसी प्रकार जो लोग दूसरे शरीर (भाव शरीर) के हैं उनका सारा व्यक्तित्व सारा क्रिया कलाप किसी न किसी अर्थों में यौन अभिमुखी (सेक्स सेंट्रिक) हो जाएगा, सारा जीवन वासनामय हो जाएगा। वे जो कुछ भी करेंगे उसके पीछे अव्यक्त रूप से “वासना’ की पूर्ति ही लक्ष्य होगा।
जिन लोगों का ठीक-ठीक विकास तीसरे शरीर का हो जाता है उनका सम्पूर्ण जीवन अत्यंत बौद्धिक चिंतन और विचार से भर उठता है। ऐसे हो लोग मरणोपरांत सूक्ष्म लोक के ऊपरी सतह पर पहुंच जाते है।
बुद्ध और महावीर ने अपनी साधना के लिए बिहार प्रान्त का ही चयन क्यों किया ?
जब मनुष्य के लिए तीसरे शरीर का विकास महत्वपूर्ण हो जाता हैं तो उसके जीवन में बड़ी से बड़ी वैचारिक क्रांतियाँ घटित होने लगती हैं।
इस प्रसंग में यह बतला देना आवश्यक है कि भगवान बुद्ध और महावीर के समय बिहार ऐसी है अवस्था में था कि उसके पास तीसरी क्षमता को उपलब्ध काफी बड़ा समूह था। इसलिए बुद्ध और महावीर जैसे दिव्य प्रतिभा सम्पन्न आठ व्यक्ति केवल बिहार प्रान्त का चयन किया अपनी साधना के लिए और उनके मार्ग पर चलने वाले संस्कार सम्पन्न हजारों लोग बाद में उत्पन्न हुए।
इसी प्रकार सुकरात और प्लेटो के काल में ‘यूनान’ की स्थिति भी ऐसी ही थी। सबसे आश्चर्य की बात तो यह है कि विश्व के सारे महान व्यक्ति 500 वर्ष के भीतर ही संसार में हुए। मगर विडंबना यह है कि प्रायः मनुष्य तीसरे शरीर पर ही आकर रुक जाता हैं। उसके बाद वह विकास कर सकने में असमर्थ हो जाता है।
किस प्रकार के लोगों को बचपन में पूर्वजन्म की घटनाएं याद रहती है ?
जिसका पहला शरीर ही विकसित हुआ है वह मरने के बाद तुरंत जन्म ले लेता है। ऐसे ही लोगों को बचपन में पुनर्जन्म की घटनाएं याद रहती है।
जिसका विकास दूसरे शरीर पर आकर रुक गया है वह मरने पर वासना लोक और सूक्ष्म लोक के निचले भागों का चक्कर लगाने के बाद जन्म लेता है।
जिसने तीसरे शरीर को विकसित किया है वह सूक्ष्म जगत के उन्नत भाग में मरणोपरांत चल जाता है। तत्पश्चात अनुकूल वातावरण देखकर पुनः जन्म लेता है।
भुवर्लोक क्या है ?
यह भी सूक्ष्म जगत के अंतर्गत है। इसका निचला भाग भूर्लोक से मिला है मगर अपने विस्तार के अनुसार इसकी सूक्ष्मता बढ़ती ही गयी है। वास्तव में यह अत्यंत सूक्ष्म लोक हैं। जिन लोगों ने अपने तीसरे शरीर को पूर्ण विकसित किया है वही लोग मृत्यु के बाद इस लोक के सर्वोन्नत भाग में आते है।
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सारांश यह कि मनुष्य का प्रथम तीन शरीर स्थूल, भाव और सूक्ष्म, भूर्लोक और भुवर्लोक का शरीर है।
उम्मीद करता हुँ यह पोस्ट आपको पसंद आया होगा। सूक्ष्म शरीर में विचार तर्क और बुद्धि का विकास किस प्रकार होता है ? किस शरीर के विकसित न होने पर मनुष्य का सारा जीवन खाने पीने में समाप्त हो जाता है ? किस प्रकार के व्यक्ति का सारा जीवन वासनामय होता है ? बुद्ध और महावीर ने अपनी साधना के लिए बिहार प्रांत का ही चयन क्यों किया ? किस प्रकार के लोगों को बचपन में पूर्व जन्म की घटनाएं याद रहती है, से सबंधित कोई भी प्रश्न है तो आप मुझे कॉमेंट कर सकते है।
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