स्थूल शरीर, सूक्ष्म शरीर (astral body), इथरिक बॉडी क्या है

इस पोस्ट में जानेगें स्थूल शरीर (physical body) क्या है ? सूक्ष्म शरीर (astral body) क्या है ? प्रतिभावान व्यक्ति पूर्व जन्म की अपनी योग्यता और ज्ञान को लेकर भूर्लोक पर कैसे आता है ? किस प्रकार का जीवात्मा विकलांग, कोढ़ी, दरिद्र, भिखमंगी आदि हुआ करती है ? किस प्रकार का जीवात्मा पूर्णतः ज्ञानशून्य पशुवत जीवन व्यतीत करने वाला होता है ? भूर्लोक में जीवात्मा के तीन वाहन शरीर क्या है ? जीवात्माओं के भौतिक शरीर, भाव शरीर (etheric body) और सूक्ष्म शरीर (astral body) का विकास कितने समय में होता है ?

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पिछली पोस्ट में सात लोक और सात शरीर, भूर्लोक, प्रेत लोक, अकाल मृत्यु, पितृ लोक के बारे में जाना था। यह पोस्ट पिछले वाले पोस्ट का दूसरा भाग है। इसलिए अगर पहला भाग नहीं पढ़ा है तो पहले उसको पढ़ ले।

स्थूल शरीर क्या है : What is Physical Body ?

स्थूल शरीर भूलोक का महत्वपूर्ण शरीर है। स्थूल शरीर के छूटने पर प्राणी को पुनः कब स्थूल शरीर मिलेगा यह बतलाया नहीं जा सकता। स्थूल शरीर की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि यह भोग शरीर भी है और कर्म शरीर भी।

भोग्य वस्तुओं को कर्म के द्वारा इच्छानुसार भोगा जा सकता है और कर्मो के माध्यम से नवीन भोग्य वस्तुओं को प्राप्त किया जा सकता है जबकि ऐसा अन्य शरीरों में संभव नहीं है क्योंकि स्थूल शरीर के अलावा जितने भी शरीर हैं वे सब भोग शरीर है। यही कारण है कि स्थूल शरीर अत्यंत महत्वपूर्ण है।

सूक्ष्म शरीर क्या है : What is Astral Body ?

प्रेत शरीर और पितृ शरीर को है भाव शरीर (etheric body) कहते है यह समझ लेना चाहिए। स्थूल शरीर के बाद सूक्ष्म शरीर (एस्ट्रल बॉडी) का महत्व है। बीच के दोनों शरीर वासना कणों से बने होने के कारण केवल एक सीमा तक ही महत्व रखते है।

जिन प्राणियों की वासना मामूली है या जीते जी स्थूल शरीर में वासना के प्रति विरक्ति सी हो गई है अथवा एक प्रकार से अपनी पूर्ण आयु को उन्होंने भोग लिया है, वे बीच के दोनों शरीरों में कुछ अवधि तक रहकर सूक्ष्म शरीर में चले जाते हैं और उसमें कुछ काल तक रहकर पुनः संस्कार के अनुसार भौतिक शरीर ग्रहण कर लेते हैं।

प्रतिभावान व्यक्ति पूर्व जन्म की अपनी योग्यता और ज्ञान को लेकर भूर्लोक पर कैसे आता है ?

जो लोग कलाकार, संगीतकार, साहित्यिक, विद्वान, कर्मठ और बुद्धिजीवी हैं वे स्थूल शरीर छोड़ते ही सीधे सूक्ष्म शरीर ग्रहण कर लिया करते हैं और फिर सूक्ष्म लोक जो भूर्लोक का ही एक लोकांतर है ये अपना सूक्ष्म शरीर छोड़कर स्थूल जगत में आकर स्थूल शरीर स्वीकार कर लेते हैं।

इस प्रकार के स्थूल जगत से सूक्ष्म जगत में सीधे जाने और आने वाले प्राणी अपनी पूर्व योग्यता और संस्कार के अनुसार पुनः जीवन जीने लगते हैं। इसी को ‘प्रतिभा’ कहते हैं।

प्रतिभावान व्यक्ति पूर्व जन्म की पानी योग्यता और ज्ञान को लेकर आता है। यदि ऐसा व्यक्ति किसी कारणवश स्थूल शरीर नहीं पा रहा होता है तो वह अपनी योग्यता, ज्ञान आदि के द्वारा अपने मार्ग के जीवित लोगो की अगोचर रूप से सहायता करता है, मार्ग दर्शन करता है इससे उसको तृप्ति और आनंद का अनुभव होता है।

ऐसे सूक्ष्म शरीरधारी व्यक्तियों अथवा आत्माओं को शीघ्र स्थूल शरीर न मिलने का एकमात्र कारण होता है वातावरण और क्षेत्र का अभाव।

किस प्रकार का जीवात्मा विकलांग, कोढ़ी, दरिद्र, भिखमंगी आदि हुआ करती है ?

जो आत्मायें पितृ लोक में पहुँच गई होती है वे भी भौतिक जगत में लौट आती है या फिर सूक्ष्म लोक में जाकर सूक्ष्म शरीर (astral body) धारण कर लेती है और कुछ समय व्यतीत करने के बाद भौतिक जगत में आकर स्थूल शरीर धारण करती है।

यहां यह बतला देना आवश्यक है कि वासना लोक से पृथ्वी पर आने वाली जीवात्माएं अपने कर्मानुसार पशु पक्षी का भी शरीर प्राप्त करती है और उसके बाद ही उनको मानव शरीर मिलता है मगर वह भी निम्नकोटि का। ऐसी है जीवात्माएं विकलांग, कोढ़ी, दरिद्र, भिखमंगी आदि हुआ करती है।

किस प्रकार का जीवात्मा पूर्णतः ज्ञान शून्य पशुवत जीवन व्यतीत करने वाला होता है ?

पितृ लोक की जीवात्माएं यदि सूक्ष्म जगत में न जाकर सीधे पृथ्वी में आती हैं तो उनका भी जन्म साधारण और निम्नकोटि का जीवन व्यतीत करने के लिए होता है।

उनका भौतिक जीवन अभावग्रस्त, मूर्खतापूर्ण और पूर्ण अज्ञानमय होता है। वे ज्ञान से काम, कर्म से अधिक जीवन व्यतीत करती है। एक प्रकार से वे पूर्णतः ज्ञानशून्य पशुवत जीवन व्यतीत करती है।

जीवात्माओं को पितृ लोक से सूक्ष्म लोक में जाने की संभावना बहुत कम रहती है। यदि वे किसी कारणवश वहां पहुंच भी गई तो अधिक समय वहां न ठहरकर सीधे पृथ्वी पर चली जाती है और मध्यम कोटि के परिवार से साधारण शरीर धारण कर साधारण जीवन व्यतीत करती हैं। उनका जीवन कोई महत्वपूर्ण नहीं होता।

भूर्लोक में जीवात्मा के तीन वाहन शरीर

भूर्लोक में जीवात्मा के तीन वाहन शरीर है :-

  • स्थूल शरीर
  • भाव शरीर
  • सूक्ष्म शरीर

साधारण तौर पर जीवात्मा के वाहक रूप में ये तीन शरीर ही हैं। जिनमें कर्म संस्कार और वासना के अनुसार चक्रवत घूमती रहती है। अब थोड़ा परामनोवैज्ञानिक दृष्टि से इन शरीरों पर विचार करना चाहिए। जिस प्रकार संसार से जाना निश्चित है वैसे है संसार में आना भी निश्चित समझे।

जीवात्माओं के भौतिक शरीर, भाव शरीर (इथरिक बॉडी) और सूक्ष्म शरीर (astral body) का विकास कितने समय में होता है ?

जीवात्माओं के जन्म लेने के क्षण से लेकर जीवन के पहले सात वर्षो में भौतिक शरीर का ही निर्माण और विकास होता है। शेष शरीर बीज रूप में भौतिक शरीर में विद्यमान रहते हैं। उनके विकास की संभावना अवश्य रहती है, मगर वे विकसित उपलब्ध नहीं होती।

जीवन के प्रथम सात वर्ष अनुकरण के समय समझे जाते हैं। इस अवधि में किसी प्रकार की बुद्धि, भावना या कामना विकसित नहीं होती, विकसित होता है केवल पार्थिव शरीर या भौतिक शरीर।

कुछ लोग केवन भौतिक शरीर तक सीमित रह जाते हैं। ऐसे लोगों में और पशुओं में कोई भेद नहीं होता। इसलिए कि पशुओं के पास केवल भौतिक शरीर ही होता है। दूसरे शरीर अविकसित, बीज रूप में रहते हैं।

जीवन के दूसरे सात वर्षों में मनुष्य का दूसरा यानी भाव शरीर (आकाशीय शरीर) ‘इथरिक बॉडी’ का विकास होता है। वास्तव में यह दूसरा सात वर्ष व्यक्ति के भाव जगत के विकास का वर्ष है। इसलिए व्यक्ति की 14 वर्ष की अवस्था में यौन परिपक्वता उपलब्ध होता है। यौन परिपक्वता भाव का बहुत गहरा और प्रगाढ़ रूप हैं।

कुछ लोग 14 वर्ष के ही होकर रह जाते हैं। स्थूल शरीर तो बढ़ता हैं। मगर उनके पास केवल दो ही शरीर रह जाते हैं। तीसरे सात वर्षों में सूक्ष्म शरीर (एस्ट्रल बॉडी) विकसित होता हैं 21 वर्ष की आयु तक। दूसरे शरीर में भाव का विकास होता है। तीसरे सूक्ष्म शरीर में तर्क, विचार और बुद्धि का विकास होता है।

उम्मीद करता हूँ आपको यह पोस्ट पसंद आया होगा। स्थूल शरीर (physical body) क्या है ? सूक्ष्म शरीर (astral body) क्या है ? प्रतिभावान व्यक्ति पूर्व जन्म की अपनी योग्यता और ज्ञान को लेकर भूर्लोक पर कैसे आता है ? किस प्रकार का जीवात्मा विकलांग, कोढ़ी, दरिद्र, भिखमंगी आदि हुआ करती है ? किस प्रकार का जीवात्मा पूर्णतः ज्ञानशून्य पशुवत जीवन व्यतीत करने वाला होता है ? भूर्लोक में जीवात्मा के तीन वाहन शरीर क्या है ? जीवात्माओं के भौतिक शरीर, भाव शरीर (etheric body) और सूक्ष्म शरीर (astral body) का विकास कितने समय में होता है ? इत्यादि से सबंधित कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट लिखें।

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Himanshu Kumar
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