चालाक बनिया : Chalak Baniya Akbar Birbal Story in Hindi – शहंशाह अकबर फुर्सत में थे। बीरबल पास में ही बैठे हुए थे। शहंशाह के दिमाग में अचानक ही एक सवाल आ गया, “बीरबल, सुना है कि बनिया बहुत ही समझदार होता है।” शहंशाह के यह कहते ही बीरबल बोले, “हां हुजूर, चतुराई में उनका कोई जवाब नहीं।”
“तो क्या तुम यह साबित कर सकते हो ?” शहंशाह यह कहते-कहते चुप हो गए। भला बीरबल बादशाह के हुक्म को कैसे नकार देते ? बीरबल कुछ बनियों से मिले और कुछ चतुर बनियों को चुनकर बादशाह के सामने ले आए और बादशाह से कहा, “जहांपनाह, आप जिनकी बुद्धिमानी देखना चाहते हैं, वे सब दरबार में हाजिर हैं।”
बनिए कुछ समझ नहीं पा रहे थे। वे डरे-सहमे एक तरफ खड़े थे कि आखिर मामला क्या है ? इसी बीच बादशाह ने मुट्ठी खोली और उड़द की साबुत दाल दिखाते हुए बोले, “हमारी हथेली पर यह क्या है ?”
बनिए तो देखते ही जान गए कि शहंशाह की हथेली पर उड़द की दाल है। उनसे इतनी सहज बात पूछी जा रही है, अवश्य कोई खास बात है, यह सोचकर उन बनियों में से किसी ने मूंग की दाल, किसी ने अरहर की दाल और किसी ने मसूर की दाल बताई।
शहंशाह क्रोधित हो गए और गरजती आवाज में बोले, “बेवकूफों, यह उड़द की दाल है। बस इसी जानकारी पर बुद्धिमान बनते हो ? बोलो, यह उड़द की दाल है या नहीं ?”
बनियों ने समवेत स्वर में कहा, “जी हां… जी हां, जहांपनाह, वही है।”
बनियों का समूह जी हजूरी करता हुआ बोला, “हां, जहांपनाह, आपने जो कहा, वही है।” बादशाह गुस्से से तमतमा गए और बीरबल की ओर आग्नेय निगाहों से देखने लगे। हाजिरजवाब बीरबल बोले, “जहांपनाह, देखा आपने, बनियों की यही तो बुद्धिमानी है। इन्होंने पूरा प्रयास किया और हर प्रकार से आपकी ‘हां-में-हां’ मिलाई, ताकि आपके सवाल में कोई रहस्य हो तो उसके कहर से बच जाए।”
बीरबल के इस तर्क ने शहंशाह का दिल जीत लिया और वह मान गए कि बनिए वास्तव में ही बड़े चतुर होते हैं। इसके बाद शहंशाह ने बनियों को बाइज्जत दरबार से विदा किया।
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