Chandel vansh history notes in hindi : प्रतिहार साम्राज्य के पतन के बाद बुंदेलखंड की भूमि पर चन्देल वंश का स्वतंत्र राजनीतिक इतिहास प्रारंभ हुआ। चन्देल वंश की स्थापना एक राजपूत राजा नन्नुक (चंद्रवर्मन) ने 831 ई० में की। चन्देल वंश (chandel dynasty) ने 8वीं से 12वीं शताब्दी तक स्वतंत्र रूप से यमुना और नर्मदा के बीच बुंदेलखंड तथा उत्तर प्रदेश के दक्षिणी-पश्चिमी भाग पर राज किया। चन्देल वंश के प्रमुख शासक थे – यशोवर्मन, धंग, विद्याधर, कीर्तिवर्मन, परमर्दिदेव इत्यादि। इस पोस्ट में चन्देल वंश के इतिहास (chandel vansh ka itihas) एवं इसके महत्त्वपूर्ण question answer के बारे में जानेंगे।
चन्देल वंश के शासक : Chandela Dynasty Emperor List
चन्देल वंश का शासक | शासन काल |
नन्नुक | 831 – 845 ई० |
वाक्पति चंदेल | 845 – 870 ई० |
जयशक्ति चन्देल और विजयशक्ति चन्देल | 870 – 900 ई० |
राहिल चंदेल | 900 – ??? |
हर्ष चन्देल | 900 – 925 ई० |
यशोवर्मन चंदेल | 925 – 950 ई० |
धंगदेव | 950 – 1003 ई० |
गंडदेव | 1003 – 1017 ई० |
विद्याधर | 1017 – 1029 ई० |
विजयपाल | 1030 – 1045 ई० |
देववर्मन | 1050 – 1060 ई० |
कीर्तिसिंह चन्देल | 1060 – 1100 ई० |
सल्लक्षनवर्मन | 1100 – 1115 ई० |
जयवर्मन | 1115 – ??? |
पृथ्वीवर्मन | 1120 – 1129 ई० |
मदनवर्मन | 1129 – 1162 ई० |
यशोवर्मन द्वितीय (चन्देल) | 1165 – 1166 ई० |
परमर्दिदेव | 1166 – 1202 ई० |
चन्देल वंश का इतिहास : Chandel Vansh History in Hindi
लेखों में चन्देल को चंद्रात्रेय ऋषि का वंशज कहा गया है जो अत्रि के पुत्र थे। चन्देल अपना संबंध चन्द्रमा से जोड़ते हैं जो इस बात का सूचक है कि वे चंद्रवंशी क्षत्रिय रहे होंगे। चन्देल मूल रूप से गुर्जर-प्रतिहारों के जागीरदार थे।
चन्देल वंश के संस्थापक नन्नुक थे। इस वंश का उदय बुंदेलखंड क्षेत्र में हुआ। बुंदेलखंड का प्राचीन नाम जेजाकभुक्ति है। इसकी राजधानी खजुराहो थी। प्रारंभ में इसकी राजधानी कालिंजर (महोबा) थी।
हर्ष (Harsha)
- राहिल का पुत्र तथा उत्तराधिकारी हर्ष इस वंश का एक शक्तिशाली राजा था।
- खजुराहों लेख में इसे परमभट्टारक कहा गया है।
- हर्ष ने प्रतिहार शासक क्षितिपाल (महीपाल) को पुनः कन्नौज की गद्दी पर बैठाया।
- हर्ष वैष्णव धर्मावलंबी था।
यशोवर्मन (Yashovarmana)
- हर्ष के बाद उसका पुत्र यशोवर्मन गद्दी पर बैठा। यशोवर्मन ने प्रतिहार की अधीनता स्वीकार करना जारी रखा, लेकिन व्यावहारिक रूप से स्वतंत्र हो गया।
- चन्देल वंश का प्रथम स्वतंत्र एवं सबसे प्रतापी राजा यशोवर्मन था।
- यशोवर्मन ने कन्नौज पर आक्रमण कर प्रतिहार राजा देवपाल को हराया तथा उससे एक विष्णु की प्रतिमा प्राप्त की, जिसे उसने खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित की।
- यशोवर्मन ने खजुराहो में लक्ष्मण मंदिर की स्थापना की।
धंग (Dhanga)
- यशोवर्मन के बाद उसका पुत्र तथा उत्तराधिकारी धंग चन्देल वंश का राजा बना।
- राजा धंग ने अपनी राजधानी कालिंजर से खजुराहो में स्थानांतरित की थी।
- धंग का प्रधानमंत्री प्रभास और प्रधान न्यायाधीश भट्टयशोधर था।
- धंग ने जिनन्नाथ, विश्वनाथ एवं वैद्यनाथ मंदिर का निर्माण करवाया।
- कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण धंगदेव द्वारा 999 ई० में किया गया।
- धंग ने गंगा-जमुना के संगम में शिव की आराधना करते हुए अपने शरीर का त्याग किया।
- धंग के बाद उसका पुत्र गण्ड शासक बना।
विद्याधर (Vidyadhara)
- गण्ड के बाद उसका पुत्र विद्याधर इस वंश का शासक बना।
- चन्देल शासक विद्याधर ने कन्नौज के प्रतिहार शासक राज्यपाल की हत्या कर दी, क्योंकि उसने महमूद के आक्रमण का सामना किये बिना ही आत्मसमर्पण कर दिया था।
- विद्याधर ही अकेला ऐसा भारतीय नरेश था जिसने महमूद गज़नी की महत्वाकांक्षाओं का सफलतापूर्वक प्रतिरोध किया।
विद्याधर के शासनकाल के अंत तक, गजनवी के आक्रमणों ने चन्देल साम्राज्य (chandela empire) को कमजोर कर दिया था। इसका लाभ उठाते हुए, कलचुरी राजा गंगेय-देव ने राज्य की पूर्वी हिस्सों को जीत लिया।
चन्देल शिलालेखों से पता चलता है कि विद्याधर के उत्तराधिकारी विजयपाल ने एक युद्ध में गंगेया को हराया था।
कीर्तिवर्मन (Kirtivarmana)
- गंगेया का पुत्र लक्ष्मी-कर्ण ने विजयालय का बड़ा पुत्र देववर्मन को पराजित कर दिया।
- देववर्मन का छोटा भाई कीर्तिवर्मन ने लक्ष्मी-कर्ण को हराकर चन्देल वंश की शक्ति को फिर से जीवित किया।
- कीर्तिवर्मन का पुत्र सल्लक्ष्णवर्मन ने उनके प्रदेशों पर हमला कर परमारों और कलचुरियों के खिलाफ सैन्य सफलताएँ हासिल की।
- चन्देल शासक कीर्तिवर्मन की राज्यसभा में रहनेवाले कृष्ण मिश्र ने प्रबोध चन्द्रोदय की रचना की थी।
- कीर्तिवर्मन ने महोबा के समीप कीर्तिसगर नामक जलाशय का निर्माण किया।
परमर्दिदेव (Paramardideva)
- आल्हा-उदल नामक दो सेनानायक परमर्दिदेव के दरबार में रहते थे, जिन्होंने पृथ्वीराज चौहान के साथ युद्ध करते हुए अपने जान गँवायी थी।
- चन्देल वंश का अंतिम शासक परमर्दिदेव था।
- परमर्दिदेव ने 1202 ई० में कुतुबुद्दीन ऐबक की अधीनता स्वीकार कर ली। इस पर उसके मंत्री अजयदेव ने उसकी हत्या कर दी।
अंत में लगभग 1205 ई० में चंदेल राज्य को दिल्ली सल्तनत में मिला लिया गया।
Chandel Vansh GK Question Answer in Hindi
- खजुराहो स्थित मंदिरों का निर्माण किसने किया था – चन्देल राजपूत
- किस मंदिर परिसर में एक भारी-भरकम नंदी की मूर्ति है जिसे भारत की विशालतम नंदी मूर्ति माना जाता है – कंदरिया महादेव मंदिर
- किस शासक ने कालिंजर के अजेय दुर्ग का निर्माण करवाया – धंगदेव
- चन्देल वंश (chandel dynasty) का उदय कहाँ पर हुआ – बुंदेलखंड
- बुंदेलखंड का प्राचीन नाम क्या था – जेजाकभुक्ति
- चन्देल वंश की स्थापना किसने की – नन्नुक
- चन्देल वंश की प्रारंभिक राजधानी क्या थी – कालिंजर (महोबा)
- किस राजा ने चन्देल साम्राज्य की राजधानी कालिंजर से खजुराहो में स्थानांतरित की थी – धंग ने
- चन्देल वंश का प्रथम स्वतंत्र एवं सबसे प्रतापी राजा कौन था – यशोवर्मन
- यशोवर्मन ने किस राजा को हराकर उससे विष्णु की प्रतिमा प्राप्त की और उसे खजुराहो के विष्णु मंदिर में स्थापित की – प्रतिहार राजा देवपाल
- कंदरिया महादेव मंदिर का निर्माण 999 ई० में किसने करवाया था – धंगदेव
- कन्नौज के प्रतिहार शासक राज्यपाल की हत्या किसने की थी – चन्देल शासक विद्याधर ने
- प्रबोध चन्द्रोदय की रचना किसने की थी – कृष्ण मिश्र
- महोबा के समीप कीर्तिसागर नामक जलाशय का निर्माण किसने किया – कीर्तिवर्मन ने
- आल्हा-उदल नामक दो सेनानायक किसके दरबार में रहते थे – परमर्दिदेव
- चन्देल वंश का अंतिम शासक कौन था – परमर्दिदेव
- परमर्दिदेव की हत्या किसने की थी – अजयदेव ने
- चन्देल शासक (chandel emperor) यशोवर्मन के पिता कौन थे – हर्ष
- परमर्दिदेव ने किसकी अधीनता स्वीकार कर ली – कुतुबुद्दीन ऐबक
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