प्रकृति विज्ञानी चार्ल्स रॉवर्ट डार्विन (Charles Darwin) की जीवनी

चार्ल्स रॉवर्ट डार्विन (Charles Darwin) (12 फरवरी 1809 – 19 अप्रैल 1882) एक महान प्रकृति विज्ञानी थे। उन्होंने प्रमाणित किया कि जीवों की सभी प्रजातियों का विकास समान पूर्वज से लंबे समय में हुआ है। उन्होंने वैज्ञानिक सिद्धांत दिया कि जीवों की शाखा-प्रशाखाओं का विकास एक प्रक्रिया का परिणाम है।

इस प्रक्रिया को उन्होंने प्राकृतिक चयन का नाम दिया। उन्होंने विकास के स्वरूप से जुड़े प्रमाणों के संग्रह के साथ अपने सिद्धांत का प्रकाशन 1859 में अपनी किताब ऑन द ओरिजन ऑफ स्पेसिज के रूप में किया। उनका यह सिद्धांत उनके जीवन काल में ही वैज्ञानिकों, और अच्छी संख्या में आम लोगों द्वारा मान लिया गया। डार्विन की वैज्ञानिक खोज ने जीव विज्ञान को एकीकृत कर दिया। इसने पृथ्वी पर जीवन की अनेकता के कारणों की व्याख्या की।

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प्रकृति विज्ञान में रुचि के कारण एडिनवर्ग विश्व विद्यालय में डाक्टरी की शिक्षा की उपेक्षा करते हुए डार्विन ने समुद्री जीवों के अध्यन में समय दिया। कैंब्रिज विश्व विद्यालय में अध्ययन करते वक्त प्रकृति विज्ञान में उनकी रूचि को और बढ़ावा मिला। बीगल नामक समुद्री जहाज पर समुद्री जीवों के सर्वेक्षण के लिए पांच वर्षों तक की गयी अनवरत यात्रा में प्राप्त तथ्यों ने उस सिद्धांत को सही साबित कर दिया, जिसे उन्होंने अपनी किताब ओरिजन ऑफ स्पेसीज में प्रस्तुत किया था। चार्ल्स के एकरूपताबादी विचार सही प्रमाणित हुए। और बीगल के समुद्री यात्रा की डायरी के प्रकाशन से उन्हें एक महान लेखक और महत्वपूर्ण प्रकृति विज्ञानी के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई।

चार्ल्स रोबर्ट डार्विन का जीवन। Biography of Charles Robert Darwin

चार्ल्स रॉवर्ट डार्विन (Charles Darwin) का जन्म 12 फरवरी 1809 को श्रेउसबरी, श्रोपश्राइन, इंग्लैंड के माउंट स्थित अपने घर में हुआ था। वह अपने छः भाई-बहनों में पांचवें थे। उनके पिता और माता का नाम क्रमशः रॉवर्ट डार्विन और सुसान डार्विन था। प्रकृति विज्ञान में डार्विन की रुचि आठ वर्ष की उम्र से ही हो गई थी। जुलाई 1818 में उनकी माँ का निधन हो गया।

इसके बाद उन्हें बड़े भाई इसमस के साथ नजदीक के एंग्लीकेरियन श्रेउसवरी स्कूल के छात्रावास में डाल दिया गया। डार्विन ने 1825 के अक्टूबर में अपने बड़े भाई इसमस के साथ एडिनबर्ग विश्वविद्यालय के मेडिकल स्कूल में दाखिले के पहले की गर्मी प्रशिक्षु डॉक्टर के रूप में श्रोपसायर में गरीब मरीजों का इलाज करने में अपने डाक्टर पिता की सहायता करते हुए बिताया।

चिकित्सा शिक्षा उनकी रुचि के अनुकूल नहीं थी, उन्होंने इसकी उपेक्षा की। अगले वर्ष वह प्लीनियन सोसाइटी का सदस्य बन गए। यह प्रकृति विज्ञानी छात्रों का एक मंच था और क्रांतिकारी भौतिकवादी वाद-विवाद में संलग्न था। उन्होंने रॉवर्ट एडमर्ड ग्रांट के समुद्री अकशेरुकियों के जीवन चक्र और शरीर रचना के अध्ययन में सहयोग करना शुरू किया।

मार्च 1827 में पलीनियन में स्वयं अपनी खोज को प्रस्तुत किया। इसी क्रम में डार्विन रॉवर्ट जिमसन्स के प्रकृति विज्ञान के वर्ग में नामांकित कर लिये गए। उन्होंने वनस्पतियों का वर्गीकरण पढ़ा तथा विशवविद्यालय संग्रहालय के लिए संग्रह के कार्य में सहायता की। वह संग्रहालय आज यूरोप का सबसे बड़ा संग्रहालय है।

डार्विन द्वारा डाक्टरी की पढ़ाई की इस उपेक्षा से उनके पिता बहुत क्षुब्द्ध थे। उन्होंने उनका नामांकन कैंब्रिज विश्वविद्यालय के क्रिस्ट कॉलेज में स्नातक कला की शिक्षा के लिये कर दिया। डार्विन जून तक कैंब्रिज में रहे। उन्होंने वहां प्लेज के प्राकृतिक धर्मशास्त्र को पढ़ा। इसमे प्रकृति को ईश्वरीय रचना प्रमाणित किया गया था। इसमें कहा गया था कि ईश्वर स्वयं प्रकृति के माध्यम से क्रियाशील होता है।

उन्होंने जॉन हर्सेल की नई किताब भी पढी। इसमे प्रकृति के नियमों को समझने के लिए तर्क और अन्वेषण पर जोर दिया गया था। उन्हें अलेक्जेंडर हंबोल्ड की वैज्ञानिक यात्राओं के अनुभवों को पढ़ने का अवसर मिला। डार्विन ने स्नातक की शिक्षा के बाद प्रकृति विज्ञान की पढ़ाई करने के लिए अपने कुछ मित्रों के साथ टेनेरिफ की यात्रा की योजना बनाई।

पांच वर्षों की इस समुद्री यात्रा का आरंभ 27 दिसंबर 1831 को हुआ। चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) ने अपना अधिकांश समय तटों पर शोध और संग्रहण में बिताया। बीगल ने दक्षिण अमरीकी तटों का सर्वेक्षण किया और डार्विन ने पशु-पक्षियों और पेड़-पौधों के स्वरूप को समझने तथा इससे जुड़े तथ्य जुटाने में अपना समय लगाया।

सेंट जागो पंटा, अल्टा पेटागोनिया में प्राप्त प्रजातियों के नमूनों और जीवाश्मों को जमा किया। दक्षिण अमरीकी तट के कैप वर्डे, फाकलैंड, चीली, कोकोस सेंट और कीलिंग सेंट और कीलिंग, हेलेना और एसेंसियन तथा अन्य द्वीपों, मालडोनार्डो, रीओ निग्रो, मोंटेवीडे, टेरा डेल फूगो, वालप एरासियो, वालडीवीआ, तहिती, न्यूजीलैंड, ब्राजील आदि में संग्रहण का काम किया। शांता क्रूज नदी के तटीय हिस्सों पर भी भ्रमण किया। 2 अक्टूबर को बीगल ने इंग्लैंड के फालमाउथ में पड़ाव डाला। वे 4 अक्टूबर को अपने घर लौट सके।

तैयारी के लिए उन्होंने एडम सेडविक्स के प्रकृति विज्ञान के वर्ग में नामांकन कर लिया। यात्रा से घर लौटने पर उन्हें एक पत्र प्राप्त हुआ जिसमे बीगल नामक जहाज पर प्रकृति विज्ञानी के रूप में कैप्टन रॉबर्ट सेडविक्स के साथ अपने खर्चे पर जाने का आमंत्रण दिया गया था। यह जहाज दक्षिण अमरीकी समुद्र तटीय अभियान पर जा रहा था। उनके पिता ने दो वर्षों की इस समुद्री यात्रा पर आपत्ति की। लेकिन बहनोई जोसिया वेडवुड के समझाने पर वह मान गए।

अत्यधिक श्रम, बीमारी तथा विवाह

लौटने के बाद चार्ल्स डार्विन (Charles Darwin) यात्रा की अपनी डायरी का पुनर्लेखन, अपने संग्रह पर रिपोर्टों का लेखन और संपादन तथा अनेक जिल्द वाले बीगल की समुद्री यात्रा का जीव विज्ञान लिखने और प्रकाशन के कठिन कार्य में डूबते चले गए। अत्यधिक श्रम के कारण उनका रक्तचाप बढ़ता गया। 1837 के 20 सितंबर को उनके हृदय की धड़कन काफी असन्तुलित हो गई। डाक्टर ने उन्हें लेखन का काम छोड़ कर आराम करने की सलाह दी। कुछ सप्ताह तक उन्हें काम छोड़ना पड़ा।

लेकिन इस अवधि में वह अपनी यात्रा के अनुभवों को लिखने के लिए बहुत उतावले थे। उनके मात्र नौ माह बड़े चाचा ने मिट्टी के बनने में केचुए की भूमिका पर लिखने की सलाह दी। इस विषय पर अपने आलेख को डार्विन ने जियोलॉजिकल सोसाइटी की बैठक में एक नवम्बर को प्रस्तुत किया। इसी बीच विलियम वेवेल ने जियोलोजिकल सोसाइटी का सचिव बनने का प्रस्ताव उन्हें दिया।

अत्यधिक श्रम के कारण डार्विन (charles darwin) की बीमारी बहुत बढ़ती जा रही थी। जून के अंत तक उन्हें हृदय रोग, सर के रोग के साथ-साथ आंत के रोग से जूझना पड़ा। खास कर उनके काम करने की क्षमता पर इसका बुरा प्रभाव पड़ रहा था। इलाज के बाद हल्का ठीक होते ही वह काम में लगते, और बीमारी फिर से बढ़ जाती।

11 नवम्बर 1838 को ईमा वेडवुड (1808-1896) से विवाह का प्रस्ताव Charles Darwin ने किया। 24 जनवरी 1848 को उनके साथ विवाह संपन्न हुआ। ईमा और डार्विन के दस बच्चे हुए। उनमें से दो की मौत शैशवावस्था में ही हो गयी। बेटी एनी की मौत दस वर्ष की उम्र में हुई। बेटी की मौत ने डार्विन को तोड़ कर रख दिया। उनके जीवित बचे बच्चों में से तीन जॉर्ज (नक्षत्र वैज्ञानिक), फ्रांसिस (वनस्पति वैज्ञानिक) और होरास (सिविल इंजीनियर) रॉयल सोसाइटी के सदस्य बने। एक बेटा लियोनार्ड फौजी थी। उसे बाद में राजनीतिज्ञ और अर्थशास्त्री के रूप में प्रतिष्ठा प्राप्त हुई। रोनाल्ड फीसर जीव विज्ञानी बना।

डार्विन की रचनाओं में प्रमुख हैं : द वोयेज ऑफ बीगल, द ओरिजन ऑफ स्पेसिज, द डीयेन्ट ऑफ मैन इन रिलेसन टू सेक्स, द एक्सप्रेसन ऑफ इमोसन इन दी मैन एन्ड एनीमल्स, द पावर ऑफ मूवमेंट इन प्लांट्स, द फार्मेसन ऑफ वेजीटेवल मॉल्ड थ्रू दी एक्सन ऑफ वर्म।

प्राकृतिक चयन और अस्तिव के लिए संघर्ष के सैद्धांतिक निष्कर्षों ने न सिर्फ विज्ञान बल्कि धर्म-दर्शन और राजनीति तक प्रभावित किया। सभी वर्गो के चिंतकों ने उनके निष्कर्षों से अपने-अपने ढंग से प्रेरणा ग्रहण की। अस्तित्व रक्षा के लिए संघर्ष के सिद्धांत ने दबे-कुचले लोगों में भी संघर्ष की चेतना पैदा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

यह थी महान प्रकृति विज्ञानी चार्ल्स रॉवर्ट डार्विन (Charles Darwin) की कुछ संक्षिप्त जीवनी। पोस्ट पसंद आया हो तो अपने दोस्तो के साथ इस पोस्ट को फेसबुक पर शेयर करें। इस तरह का पोस्ट अपने ईमेल पर पाते रहने के लिए सब्सक्राइब करें।

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Himanshu Kumar
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