दीपक तले अंधेरा : Dipak Tale Andhera Akbar Birbal Story in hindi – शाही महल की सबसे ऊंची छत पर बीरबल बादशाह अकबर के साथ बैठे गुफ्तगू कर रहे थे। तभी उन्होंने सामने देखा, कुछ दूरी पर कुछ लोग एक राहगीर को लूट रहे थे। राहगीर अपने सामान को बचाने की कोशिश में था लेकिन वह अकेला राहगीर इतने लोगों के आगे हार गया और उसका कोई वश न चला। राहगीर पिट भी गया और उसका सब माल-असबाब भी उससे छिन गया।
वह लहूलुहान राहगीर बादशाह सलामत के किले के नजदीक आया और चीख-चीखकर कहने लगा, यह बड़ी शर्म और आश्चर्य की बात है, बादशाह के सामने ही लुटेरे मेरा सामान लूटकर भाग गए।”
उसकी चीख-पुकार बादशाह के कान में पड़ी तो उन्हें भी बड़ा कष्ट हुआ और उन्होंने बीरबल को फटकारते हुए कहा, “क्या बीरबल, यह है तुम सबकी शासन व्यवस्था ? जब हमारी आंखों के सामने ही हमारी प्रजा लुट जाती है तब हमारी आंखों के पीछे यहां क्या नहीं होता होगा ?”
बीरबल ने बड़ी नम्रता से कहा, “जहांपनाह, क्या आपको यह कहावत नहीं मालूम कि दीपक दूसरों को रोशनी देता है, पर उसके तले अंधेरा ही रहता है ?”
शहंशाह अकबर अवाक रह गए। बीरबल के कहने का आशय था कि प्रशासन की नाक के तले ऐसा ही होता है, जब कर्मचारी घूसखोर होते हैं।
बीरबल ने बातों-ही-बातों में बादशाह को यह समझा दिया था कि यह सब प्रशासन में ढील देने का नतीजा है।
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