परमात्मा, आत्मा और मन क्या है :- परमात्मा सर्वव्यापक परम तत्व है। ब्रह्मांडीय ऊर्जा उसका प्रथम विकास है। अब यह प्रश्न हो सकता है कि आत्मा क्या है। परमात्मा और आत्मा वास्तव में एक ही मूल परम तत्व के दो भाग हैं। पहला भाग परमात्मा निष्क्रिय और तटस्थ है। किन्तु दूसरा भाग है आत्मा सक्रिय और भ्रमणशील है। यह भी परमतत्व की भांति सर्वव्यापक है।

एक बात यहाँ समझ लेना चाहिए कि ‘आत्मा’ भ्रमणशील है, क्रियाशील नहीं। यह भी परमतत्व के समान अपने आपमें तटस्थ (neutral) है। जैसा कि पहले बतला चुके है ‘आत्मा’ का भी एक स्वतंत्र भाग हैं जिसे हम ‘मन’ कहते हैं। मन और आत्मा में क्या संबंध है, इसके बारे में अधिक जानकारी के लिए यह पोस्ट पढ़े : मन और आत्मा (soul) एक ही पदार्थ के दो रूप है।
परमात्मा ‘आत्मा’ का साक्षी है और आत्मा है ‘मन’ का साक्षी। मन क्रियाशील है। इसी क्रियाशीलता के परिणामस्वरूप उसमें विकार उत्पन्न होता है। इच्छा, बुद्धि, अहंकार, कामना, वासना और विचार, संकल्प-विकल्प ये सब मन के विकार हैं इन तमाम विकारों से युक्त ‘मन’ और उस मन से युक्त ‘आत्मा’ को ‘जीवात्मा‘ की संज्ञा दी गई है।
जीवात्मा स्वतंत्र नहीं है, वह मन के आधीन है। ‘मन’ जो कुछ भी करेगा, उसमें आत्मा का कोई सहयोग तो नहीं रहता मगर उसके कार्यो का वह साक्षी अवश्य रहता है।
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उम्मीद करता हूँ परमात्मा, आत्मा और मन के बारे में आपको अच्छे से समझ में आया होगा। इसके बारे में आपका कोई प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में अपना कमेंट लिखें।
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