Gupta Samrajya History Notes in Hindi : गुप्त साम्राज्य एक प्राचीन भारतीय साम्राज्य था, जो लगभग 319 ई० से लगभग 605 ई० तक अपने चरम पर मौजूद था और भारतीय उपमहाद्वीप में से अधिकांश को कवर किया था। गुप्त वंश का प्रारम्भिक राज्य आधुनिक उत्तर प्रदेश और बिहार में था। इस पोस्ट में गुप्त वंश (gupta vansha) के प्रमुख शासक चन्द्रगुप्त प्रथम, समुद्रगुप्त, चन्द्रगुप्त द्वितीय, कुमारगुप्त, स्कंधगुप्त इत्यादि के बारे में जानेंगे। साथ ही गुप्त साम्राज्य (gupta empire) के महत्त्वपूर्ण question answer को भी देखेंगे।

गुप्त साम्राज्य / गुप्त वंश : Gupta Samrajya History in Hindi
गुप्त साम्राज्य का उदय तीसरी शताब्दी के अंत में प्रयाग के निकट कौशाम्बी में हुआ। गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त (240-280 ई०) था। श्रीगुप्त ने गया में चीनी यात्रियों के लिए एक मंदिर बनवाया था जिसका उल्लेख चीनी यात्री इत्सिंग ने 500 वर्षों बाद सन् 671 से सन् 695 के बीच में किया।
श्रीगुप्त का उत्तराधिकारी घटोत्कच (280-320 ई०) हुआ।
घटोत्कच (Ghatotkacha)
- श्रीगुप्त के बाद उसका पुत्र घटोत्कच गद्दी पर बैठा।
- यह 280 ई० से 320 ई० तक गुप्त साम्राज्य का शासक बना रहा।
- इसने महाराजा की उपाधि धारण की थी।
- प्रभावती गुप्ता के पूना एवं रिद्धपुर ताम्रपत्र अभिलेखों में घटोत्कच को गुप्त वंश का प्रथम राजा बताया गया है।
- इसका राज्य सम्भवतः मगध के आस-पास तक ही सीमित था।
चन्द्रगुप्त प्रथम (Chandragupta I)
- सन् 320 ई० में यह अपने पिता घटोत्कच के बाद राजा बना।
- गुप्त वंश का प्रथम महान सम्राट चन्द्रगुप्त प्रथम था।
- चन्द्रगुप्त ने लिच्छवि राजकुमारी कुमार देवी से विवाह किया।
- इसने भी महाराजाधिराज की उपाधि धारण की।
- गुप्त संवत् (319-320 ई०) की शुरुवात चन्द्रगुप्त प्रथम ने की।
- इसका शासन काल 320 ई० से 335 ई० तक था।
समुद्रगुप्त (Samudrgupta)
- चन्द्रगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी समुद्रगुप्त हुआ।
- यह 335 ई० में राजगद्दी पर बैठा।
- इसने आर्यावर्त्त के 9 शासकों और दक्षिणावर्त्त के 12 शासकों को पराजित किया।
- इन्हीं विजयों के कारण समुद्रगुप्त को भारत का नेपोलियन कहा जाता है।
- समुद्रगुप्त का दरबारी कवि हरिषेण था, जिसने इलाहाबाद प्रशस्ति लेख की रचना की।
- समुद्रगुप्त विष्णु का उपासक था।
- समुद्रगुप्त ने अश्वमेधकर्त्ता की उपाधि धारण की।
- समुद्रगुप्त संगीत-प्रेमी था। ऐसा अनुमान उसके सिक्कों पर उसे वीणा-वादन करते हुए दिखाया जाने से लगाया गया है।
- समुद्रगुप्त ने विक्रमंक की उपाधि धारण की थी। इसे कविराज भी कहा जाता था।
- इसने प्रसिद्ध बौद्ध विद्वान वसुबन्धु को अपना मन्त्री नियुक्त किया था।
चन्द्रगुप्त द्वितीय (Chandragupta II)
- समुद्रगुप्त का उत्तराधिकारी चन्द्रगुप्त द्वितीय है, जो 380 ई० में राजगद्दी पर बैठा।
- यह समुद्रगुप्त की प्रधान महिषी दत्तदेवी से हुआ था।
- यह विक्रमादित्य के नाम से इतिहास में प्रसिद्ध हुआ।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का अन्य नाम देव, देवगुप्त, देवराज, देवश्री आदि हैं।
- इसने विक्रमांक, विक्रमादित्य, परम भागवत आदि उपाधियाँ धारण की।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी बौद्ध यात्री फाहियान भारत आया।
- शकों पर विजय के उपलक्ष्य में चन्द्रगुप्त द्वितीय ने चाँदी के सिक्के चलाए।
- इसने नागवंश, वाकाटक और कदम्ब राजवंश के साथ वैवाहिक संबंध स्थापित किया।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में संस्कृत भाषा का सबसे प्रसिद्ध कवि कालिदास थे।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में रहनेवाला आयुर्वेदाचार्य धन्वंतरि थे।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के दरबार में नौ रत्न थे- कालिदास, धन्वन्तरि, क्षपणक, अमरसिंह, शंकु, बेताल भट्ट, घटकर्पर, वाराहमिहिर, वररुचि, आर्यभट्ट, विशाखदत्त, शूद्रक, ब्रम्हगुप्त, विष्णुशर्मा और भास्कराचार्य उल्लेखनीय थे।
कुमारगुप्त प्रथम (Kumaragupta I)
- चन्द्रगुप्त द्वितीय का उत्तराधिकारी कुमारगुप्त प्रथम (415-454 ई०) हुआ।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय की मृत्यु के बाद 415 ई० में यह सिहांसन पर बैठा।
- यह चन्द्रगुप्त द्वितीय की पत्नी ध्रुवदेवी से उत्पन्न सबसे बड़ा पुत्र था, जबकि गोविन्दगुप्त उसका छोटा भाई था।
- कुमारगुप्त के सिक्कों से पता चलता है कि उसने अश्वमेध यज्ञ किया था।
- उसने महेन्द्र कुमार, श्री महेन्द्र, श्री महेन्द्र सिंह, महेन्द्रा दिव्य आदि उपाधि धारण की थी।
- कुमारगुप्त प्रथम ने नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
स्कंदगुप्त (Skandagupta)
- कुमारगुप्त प्रथम का उत्तराधिकारी स्कंदगुप्त (455 ई०-467 ई०) हुआ।
- सिंहासन पर बैठते ही उसने सर्वप्रथम पुष्यमित्र को पराजित किया।
- स्कन्दगुप्त ने विक्रमादित्य, क्रमादित्य आदि उपाधियाँ धारण कीं।
- कहौम अभिलेख में स्कन्दगुप्त को शक्रोपम कहा गया है।
- स्कन्दगुप्त ने गिरनार पर्वत पर स्थित सुदर्शन झील का पुनरुद्धार किया।
- स्कन्दगुप्त ने पर्णदत्त को सौराष्ट्र का गवर्नर नियुक्त किया।
- स्कन्दगुप्त के शासनकाल में ही हूणों का आक्रमण शुरू हो गया।
- स्कन्दगुप्त गुप्त राजवंश का आखिरी शक्तिशाली सम्राट था।
स्कंदगुप्त की मृत्य सन् 467 ई० में हुई। हालांकि गुप्त वंश का अस्तित्व इसके 100 वर्षों बाद तक बना रहा पर यह धीरे धीरे कमजोर होता चला गया।
गुप्त वंश का अंतिम शासक विष्णुगुप्त था।
गुप्त वंश के पतन का कारण :
- स्कन्दगुप्त के बाद केंद्र की शक्तियों का दुर्बल होना
- हूणों का आक्रमण
- प्रांतीय शासको का विद्रोह
गुप्तकालीन प्रसिद्ध मंदिर
मंदिर | स्थान |
विष्णु मंदिर | तिगवा (जबलपुर, मध्य प्रदेश) |
शिव मंदिर | भूमर (नागौद, मध्य प्रदेश) |
पार्वती मंदिर | नयना कुठार, (मध्य प्रदेश) |
दशावतार मंदिर | देवगढ़ (ललितपुर, उत्तर प्रदेश) |
शिव मंदिर | खोह (नागौद, मध्य प्रदेश) |
भीतर गाँव मंदिर | भीतर गाँव |
लक्ष्मण मंदिर (ईंटों द्वारा निर्मित) | कानपुर (उत्तर प्रदेश) |
गुप्तकालीन प्रशासनिक व्यवस्था
- गुप्त साम्राज्य की सबसे बड़ी प्रादेशिक इकाई ‘देश‘ थी, जिसके शासक को गोप्ना कहा जाता था।
- एक दूसरी प्रादेशिक इकाई भूक्ति थी, जिसके शासक उपरिक कहलाते थे।
- भूक्ति के नीचे विषय नामक प्रशासनिक इकाई होती थी, जिसके प्रमुख विषयपति कहलाते थे।
- पुलिस विभाग का मुख्य अधिकारी दण्डपाशिक कहलाता था।
- पुलिस विभाग के साधारण कर्मचारियों को चाट एवं भाट कहा जाता था।
- प्रशासन की सबसे छोटी इकाई ग्राम थी।
- ग्राम का प्रशासन ग्राम-सभा द्वारा संचालित होता था।
- ग्राम-सभा का मुखिया ग्रामिक कहलाता था एवं अन्य सदस्य महत्तर कहलाते थे।
- ग्राम-समूहों की छोटी इकाई को पेठ कहा जाता था।
गुप्तकालीन आर्थिक व्यवस्था
आर्थिक उपयोगिता के आधार पर निम्न प्रकार की भूमि थी –
1. क्षेत्र : कृषि करने योग्य भूमि।
2. वस्तु : वास करने योग्य भूमि।
3. चारागाह भूमि : पशुओं के चारा योग्य भूमि।
4. सिल : ऐसी भूमि जो जोतने योग्य नहीं होती थी।
5. अप्रहत : ऐसी भूमि जो जंगली होती थी।
- गुप्त शासक कुमारगुप्त के दामोदरपुर ताम्रपत्र में भूमि बिक्री संबंधी अधिकारियों क्रियाकलापों का उल्लेख है।
- भू-राजस्व कुल उत्पादन का 1/4 भाग से 1/6 भाग हुआ करता था।
- सिंचाई के लिए रहट या घंटी यंत्र का प्रयोग होता था।
- श्रेणी के प्रधान को ज्येष्ठक कहा जाता था।
गुप्त काल के अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य (Gupta Period Important Facts)
- गुप्त काल में उज्जैन सर्वाधिक महत्वपूर्ण व्यापारिक केंद्र था।
- गुप्त राजाओं ने सर्वाधिक स्वर्ण मुद्राएँ जारी कीं।
- इनकी स्वर्ण मुद्राओं को अभिलेखों में दीनार कहा गया है।
- गुप्तकाल में विष्णु शर्मा द्वारा लिखित पंचतंत्र (संस्कृत) को संसार का सर्वाधिक प्रचलित ग्रंथ माना जाता है। बाइबिल के बाद इसका स्थान दूसरा है।
- आर्यभट्ट ने आर्यभट्टीयम एवं सूर्यसिद्धांत नामक ग्रंथ लिखे। इसी ने सर्वप्रथम बताया कि पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है।
- पुराणों की वर्तमान रूप में रचना गुप्तकाल में हुई। इसमें ऐतिहासिक परम्पराओं का उल्लेख है।
- गुप्तकाल की राजकीय भाषा (Official language) प्राकृत थी।
- गुप्तकाल में चाँदी के सिक्कों को रूप्यका कहा जाता था।
- याज्ञवल्क्य, नारद, कात्यायन एवं बृहस्पति स्मृतियों की रचना गुप्तकाल में हुई।
- मंदिर बनाने की कला का जन्म गुप्तकाल में हुआ।
- सांस्कृतिक उपलब्धियों के कारण गुप्तकाल को भारतीय इतिहास का स्वर्ण युग कहा जाता है।
- कायस्थों का सर्प्रथम वर्णन याज्ञवल्क्य स्मृति में मिलता है।
- जाति के रूप में कायस्थों का सर्प्रथम वर्णन ओशनम् स्मृति में मिलता है।
- विंध्य जंगल में शबर जाती के लोग अपने देवताओं को मनुष्य का मांस चढ़ाते थे।
- पहली बार किसी के सती होने का प्रमाण 510 ई० के भानुगुप्त के एरण अभिलेख से मिलता है, जिसमें किसी भोजराज की मृत्यु पर उसकी पत्नी के सती होने का उल्लेख है।
- गुप्तकाल (gupta samrajya) में वेश्यावृत्ति करने वाली महिलाओं को गणिका कहा जाता था। वृद्ध वेश्याओं को कुट्टनी कहा जाता था।
- गुप्त सम्राट वैष्णव धर्म के अनुयायी थे तथा उन्होंने इसे राजधर्म बनाया था।
- विष्णु का वाहन गरुड़ गुप्तों का राजचिह्न था।
- गुप्तकाल में वैष्णव धर्म संबंधी सबसे महत्त्वपूर्ण अवशेष देवगढ़ (जिला – ललितपुर) का दशावतार मंदिर है। यह बेतवा नदी के तट पर स्थित है।
- अजंता में निर्मित कुल 29 गुफाओं में वर्तमान में केवल 6 ही शेष हैं, जिनमें गुफा संख्या 16 एवं 17 ही गुप्तकालीन हैं। इसमें गुफा संख्या 16 में उत्कीर्ण मरणासन्न राजकुमारी का चित्र प्रशंसनीय है।
- गुफा संख्या 17 के चित्र को चित्रशाला कहा गया है। इस चित्रशाला में बुद्ध के जन्म, जीवन, महाभिनिष्क्रमण एवं महापरिनिर्वाण की घटनाओं से संबंधित चित्र उद्धृत किये गए हैं।
- अंजता की गुफाएँ बौद्धधर्म की महायान शाखा से संबंधित हैं।
- गुप्तकाल में निर्मित अन्य गुफा बाघ की गुफा है, जो ग्वालियर के समीप बाघ नामक स्थान पर विन्ध्यपर्वत को काटकर बनाई गयी थी।
Gupta Samrajya GK Question Answer in Hindi
- गुप्त वंश का संस्थापक कौन था – श्रीगुप्त
- गुप्त किसके सामंत थे – कुषाणों के
- गुप्त वंश (gupta vansha) के किस शासक ने सर्वप्रथम ‘महाधिराज’ की उपाधि धारण की – चन्द्रगुप्त प्रथम ने
- बिलसड स्तंभ लेख किस गुप्त शासक से संबंधित है – कुमारगुप्त
- भितरी स्तंभ लेख किस गुप्त शासक से संबंधित है – स्कन्दगुप्त
- गुप्त शासन के दौरान ऐसा व्यक्ति कौन था जो एक महान खगोलविज्ञानी और गणितज्ञ था – आर्यभट्ट
- गुप्त शासकों की सरकारी / दरबारी भाषा क्या थी – संस्कृत
- इतिहासकार वी. ए. स्मिथ ने किसकी विजयों से प्रभावित होकर उसे ‘भारत का नेपोलियन’ कहकर पुकारा है – समुद्रगुप्त
- गुप्त वंश (gupta vansha) का राजा कौन था जिसने हूणों को भारत पर आक्रमण करने से रोका – स्कन्दगुप्त
- गुप्त राजवंश (gupta samrajya) किस लिए प्रसिद्ध था – कला एवं स्थापत्य
- अजंता कलाकृतियाँ किस्से संबंधित है – गुप्त काल से
- कुछ विद्वानों के अनुसार कवि कालिदास किसके राजकवि थे – चन्द्रगुप्त द्वितीय ‘विक्रमादित्य’
- अजंता चित्रकारी का विषयवस्तु किससे संबंधित है – बौद्ध धर्म
- उत्तर-गुप्त युग में कौन-सा विश्वविद्यालय प्रसिद्ध हुआ था – नालंदा
- एरण अभिलेख का संबंध किस शासक से है – भानुगुप्त
- फाह्यान किसके शासन काल में भारत आय था – चन्द्रगुप्त द्वितीय
- भारतीय संस्कृति का ‘स्वर्ण युग’ (Golden Ages) था – गुप्त काल
- फाहियान कहाँ का निवासी था – चीन
- ‘सेतुबंध’ का रचनाकार प्रवरसेन द्वितीय किस वंश का शासक था – वाकाटक
- किस गुप्तकालीन शासक को ‘कविराज’ कहा गया – समुद्रगुप्त
- स्कन्दगुप्त को किस स्तम्भ लेख में ‘शक्रोपम’ कहा गया – कहौम स्तंभ लेख
- श्रीलंका के राजा मेघवर्मन ने किस स्थान पर भगवान बुद्ध का मंदिर बनवाने के लिए समुद्रगुप्त से अनुमति मांगी थी – बोधगया
- मंदिर निर्माण कला का जन्म सर्वप्रथम कब हुआ – गुप्त काल में
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ने ‘विक्रमादित्य’ की उपाधि कब धारण की – शकों का उन्मूलन करने के बाद
- गुप्त काल (gupta samrajya) के सर्वाधिक लोकप्रिय देवता कौन थे – विष्णु
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ने अपनी किस विजय की खुशी में चाँदी के विशेष सिक्के जारी किये – शकों को पराजित करने के बाद
- मेहरौली (दिल्ली) स्थित लौह-स्तम्भ का निर्माण किस सदी में हुआ – चतुर्थ सदी ई०
- धन्वन्तरि कौन थे – चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के राजदरबार के ‘नवरत्न’ में से एक जोकि प्रसिद्ध चिकित्सक थे
- गुप्तकालीन शासन प्रणाली किस प्रकार की थी – राजतंत्रात्मक
- गुप्त स्थापत्य कला का सर्वोत्कृष्ट मंदिर कौन-सा है – देवगढ़ का दशावतार मंदिर
- अजंता की गुफाओं में किन गुफाओं का निर्माण गुप्त काल में हुआ – 16, 17 एवं 19
- ‘अमरकोश’ के लेखक अमर सिंह किस शासक के दरबार से जुड़े थे – चन्द्रगुप्त द्वितीय
- गुप्त संवत् (319-320) को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है – चन्द्रगुप्त प्रथम
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त संवत् का प्रारंभ किस उपलक्ष्य में किया – अपने राज्यारोहण के स्मारक के रूप में
- प्रयाग प्रशस्ति अभिलेख का लेखक हरिषेण किस शासक का दरबारी कवि था – समुद्रगुप्त
- गुप्त काल को प्राचीन भारत का ‘क्लासिकल युग’ क्यों कहा जाता है – कला व साहित्य के क्षेत्र के अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचने के कारण
- सारनाथ के ‘धमेख स्तूप’ का निर्माण किस काल में हुआ – गुप्त
- गुप्त काल की सोने की मुद्रा को क्या कहा जाता था – दीनार
- ‘कुमारसंभव’ महाकाव्य किस कवि ने लिखा – कालिदास
- नालंदा विश्वविद्यालय की स्थापना का युग क्या था – गुप्त
- गुप्त युग में भू-राजस्व की दर क्या थी – उपज का छठा भाग
- किस वंश के शासकों ने मंदिरों एवं ब्राह्मणों को सबसे अधिक ग्राम अनुदान में दिया था – गुप्त वंश
- नगरों का क्रमिक पतन किस काल की एक महत्त्वपूर्ण विशेषता थी – गुप्त काल
- कालिदास द्वारा रचित ‘मालविकाग्निमित्र’ नाटक का नायक कौन था – अग्निमित्र
- समुद्रगुप्त की सैनिक उपलब्धियों का वर्णन उसके किस अभिलेख में उपलब्ध है – प्रयाग के
- किस काल में स्त्रियों की पुरुषों से बराबरी थी – गुप्त काल में
- कौन-सा राजवंश हूणों के आक्रमण से अत्यंत विचलित हुआ – गुप्त
- गुप्त वंश (gupta vansha) ने कितने अवधि तक शासन किया – 319-500 ई०
- बाल विवाह की प्रथा आरंभ कब हुई – गुप्त काल में
- सोने के सर्वाधिक सिक्के किस काल में जारी किये गए – गुप्त काल में
- यूरोपीय भाषा में अनूदित / अनुवादित प्रथम भारतीय ग्रंथ कौन-सा है – अभिज्ञान शाकुंतलम
- सती प्रथा का पहला उल्लेख कहाँ से मिलता है – एरण अभिलेख से
- गुप्तकालीन सिक्कों का सबसे बड़ा ढेर कहाँ से प्राप्त हुआ है – बयाना (भरतपुर)
- किस गुप्त शासक को नालंदा विश्वविद्यालय का संस्थापक माना जाता है – कुमारगुप्त प्रथम
- गुप्त काल (gupta samrajya) में उत्तर भारतीय व्यापार किस एक पत्तन से संचालित होता था – ताम्रलिप्ति
- गुप्त शासकों (gupta emperor) द्वारा जारी किये गए चाँदी के सिक्के क्या कहलाते थे – रूपक
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में विद्या, कला व साहित्य का महान केंद्र कौन-सा था – उज्जैन
- कालिदास की किस कृति की गिनती विश्व की सौ प्रसिद्ध साहित्यिक कृतियों में होती है – अभिज्ञान शाकुंतलम
- वर्तमान गणित में दशमलव प्रणाली आविष्कार का श्रेय किस युग को जाता है – गुप्त युग
- किस गुप्त शासक ने अपने सिक्कों पर अपने को वीणा बजाते हुए आकृति में अंकित करवाया है – समुद्रगुप्त
- वह प्रथम भारतीय विद्वान कौन था, जिसने गणित को पृथक विषय के रूप में स्थापित किया – आर्यभट्ट
- गुप्तकालीन पुस्तक ‘नवनीतकम’ का संबंध है – चिकित्सा से
- ताँबा का सिक्का जारी करने वाला पहला गुप्त शासक कौन था – रामगुप्त
- किस गुप्त शासक (gupta emperor) ने दक्षिणापथ में स्थित 12 राज्यों पर ‘धर्मविजय’ की – समुद्रगुप्त
- किसने अंतिम शक शासक रुद्रसिंह तृतीय को पराजित कर और उसकी हत्या कर शकों का अंतिम रूप से उन्मूलन किया – चन्द्रगुप्त द्वितीय
- मिहिरकुल का संबंध किससे था – हूण
- गुप्त राजा जिसने ‘विक्रमादित्य’ की पदवी ग्रहण की थी – चन्द्रगुप्त द्वितीय
- सुदर्शन झील, जिसका निर्माण चन्द्रगुप्त मौर्य के सौराष्ट्र प्रान्त के गवर्नर पुष्यगुप्त ने करवाया था, तथा जिसकी मरम्मत पहली बार शक शासक रुद्रदमन ने करवाई थी, की दूसरी बार मरम्मत किसने करवाई – स्कन्दगुप्त
गुप्त काल के शासक एवं उसके अभिलेख
शासक | अभिलेख |
समुद्रगुप्त | प्रयाग प्रशस्ति |
चन्द्रगुप्त द्वितीय | मेहरौली लौह स्तम्भ लेख |
स्कन्दगुप्त | भितरी स्तंभ लेख |
बुद्धगुप्त | पहाड़पुर ताम्रपत्र |
गुप्त काल के शासक एवं उसकी उपाधि
शासक | उपाधि |
चन्द्रगुप्त प्रथम | महाधिराज |
समुद्रगुप्त | अश्वमेध पराक्रम |
चन्द्रगुप्त द्वितीय | परम भागवत |
स्कन्दगुप्त | शक्रोपम |
गुप्त काल के शासक एवं उसकी पत्नी का नाम
शासक | पत्नी |
चन्द्रगुप्त प्रथम | कुमारदेवी (लिच्छवी) |
रामगुप्त | ध्रुव देवी |
समुद्रगुप्त | दत्ता देवी |
रुद्रसेन द्वितीय | प्रभावती गुप्त |
गुप्तकालीन मुद्रा के प्रकार एवं शासक
मुद्रा के प्रकार | शासक |
कुमारदेवी प्रकार | चन्द्रगुप्त प्रथम |
वीणावादन प्रकार | समुद्रगुप्त |
चक्र-विक्रम प्रकार | चन्द्रगुप्त द्वितीय |
कार्तिकेय प्रकार | कुमारगुप्त प्रथम |
गुप्तकालीन रचनाकार एवं उसकी रचना
रचनाकार | रचना |
आर्यभट्ट | आर्यभट्टीय |
धन्वन्तरि | नवनीतकम् |
ब्रह्मगुप्त | ब्रह्मसिद्धान्त |
वराहमिहिर | पंचसिद्धान्तक |
विष्णु शर्मा | पंचतंत्र |
गुप्तकालीन (gupta period) प्रशासकीय विभाजन एवं प्रशासक
प्रशासकीय विभाजन | प्रशासक |
भुक्ति (प्रान्त) | उपरिक |
विषय (जिला) | विषयपति |
नगर | नगरपति |
ग्राम | ग्रामिक |
सुमेलित करें :
- क्षेत्र भूमि कृषि – योग्य भूमि
- वास्तु भूमि – निवास योग्य भूमि
- अप्रहत भूमि – जंगली भूमि
- खिल भूमि – कृषि के लिए अनुपयुक्त भूमि
- श्रेष्ठि – साहूकार
- सार्थवाह – व्यापारी
- कुलिक – शिल्पी / कारीगर
- कायस्थ – लेखक
सुमेलित करें :
- किरातर्जुनीयं – भारवि
- दशकुमार चरित – दंडिन
- मृच्छकटिकम – शूद्रक
- वाग्भट्ट – अष्टांग हृदय
- कामंदक – नीति सार
- विशाखदत्त – मुद्राराक्षस
सुमेलित करें :
- विशाखदत्त – नाटक
- वराहमिहिर – खगोल विज्ञान
- चरक – चिकित्सा
- ब्रह्मगुप्त – गणित
प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत : Source of Ancient Indian History in Hindi
- प्रागैतिहासिक काल : Prehistoric Age Notes in hindi
- सिंधु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता : Indus Valley Civilization Notes In Hindi
- सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल, नदी, खोजकर्ता, स्थिति, वस्तुएं
- वैदिक सभ्यता : Vedic Civilization Notes in Hindi
- 16 महाजनपदों का उदय : Mahajanpada Period in Hindi
- जैन धर्म का इतिहास : Jain Dharma History in Hindi
- बौद्ध धर्म का इतिहास : Bauddha Dharma History in Hindi
- जैन धर्म के 24 तीर्थंकर : Jain Tirthankara and their symbols in Hindi
- शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm in Hindi
- वैष्णव धर्म या भगवत धर्म : Vaishnav Dharm History in Hindi
- इस्लाम धर्म का इतिहास : Islam Dharm History in Hindi
- ईसाई धर्म का इतिहास : Christian Dharma History in Hindi
- पारसी धर्म का इतिहास : Parsi Dharma History in Hindi
- मगध राज्य का उत्कर्ष : Magadha Empire History in Hindi
- सिकंदर का इतिहास : Sikandar / Alexander the Great History in Hindi
- मौर्य साम्राज्य / वंश का इतिहास : Maurya Samrajya History in Hindi
- ब्राह्मण साम्राज्य : शुंग, कण्व और सातवाहन वंश का इतिहास
- भारत के यवन राज्य : Bharat Ke Yavana Rajya in Hindi
- शक वंश का इतिहास : Shak Vansh History in Hindi
- कुषाण वंश का इतिहास : Kushana Vansha History in Hindi
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