सूरत से बड़ी सीरत : Hindi Story of Akbar Birbal – बादशाह अकबर दरबार में आए तो उन्हें बीरबल कहीं नजर नहीं आए। बादशाह बड़ी बेताबी से उनका इंतजार कर रहे थे, तभी बीरबल दरबार में हाजिर हुए। अकबर बादशाह ने बीरबल को देखते ही सवाल कर दिया, “बीरबल हमारी इच्छा है कि हम पिशाचिनी और अप्सरा को एकसाथ देखें।”
बीरबल यह सुनकर थोड़ी देर तक चुप रहे, फिर बोले, ठीक है, हुजूर।” यह कहकर बीरबल दरबार से बाहर आ गए और पूरे दिन वह इसी पर सोचते- विचारते रहे। शाम के समय बीरबल एक वेश्या से मिले और उसे समझा-बुझाकर अगले दिन दरबार में हाजिर होने के लिए तैयार किया।

दूसरी सुबह दरबार लगा तो वह वैश्या बीरबल से आकर मिली। बीरबल अपनी पत्नी और वैश्या को लेकर दरबार में हाजिर हुए। बीरबल ने अपनी पत्नी का परिचय कराते हुए शहंशाह से कहा, “हुजूर ! यह अप्सरा है। मेरा जीवन और मेरा घर इसी के कारण स्वर्ग बना हुआ है।”
शहंशाह बीरबल की बातों से असंतुष्ट होते हुए कहा, “मैं नहीं मानता। अप्सरा तो खूबसूरत होती है, तुम्हारी स्त्री तो साधारण सी है और दुबली-पतली भी है। भला यह अप्सरा कैसे हो सकती है ?”
बीरबल बोले, “जहांपनाह, खूबसूरती सीरत और चरित्र की महत्वपूर्ण होती है, रूप कि नहीं। इस स्त्री से मुझे स्वार्गिक सुख मिलता है, इसीलिए यह अप्सरा है।” यह कहने के बाद बीरबल ने वेश्या की ओर इशारा किया। उस पर नजर पड़ते ही बादशाह सहसा ही बोल पड़े, “वाह ! क्या सुंदरता है।”
बीरबल बोले, “जहांपनाह यह, एक वेश्या है, यह महाठागिनी है और गले का फंदा है। यही है पिशाचिनी, जिसको एक बार पकड़ लेती है, उसका सबकुछ बर्बाद करके ही उसका पीछा छोड़ती है, हुजूर।”
बादशाह ने जब बीरबल के मुख से दोनों औरतों के गुणों को सुना तो उनको पिशाचिनी और अप्सरा का अंतर समझ में आ गया।
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