कुत्ता और दामाद : Akbar Birbal Story in hindi – शहंशाह अकबर ने एक बार बीरबल से कहा, “बीरबल, क्या तुम ऐसे प्राणी ला सकते हो, जिनमें से एक उपकार को मानता हो और दूसरा उपकार के बदले उपकार करने की सोचता हो ?”
बीरबल कुछ देर तक चुप रहे, फिर ‘हां’ में सिर हिला कर चले गए। दूसरे दिन बीरबल एक कुत्ता और अपने दामाद को लेकर दरबार में आए। फिर वह सिर झुका कर बादशाह अकबर से बोले, “हुजूर, मैं दोनों प्राणियों को लेकर आया हूं। इनमें दोनों ही गुण है।”
बादशाह अकबर ने कहा, “ठीक है, लेकिन हमें इनके गुणों का पता कैसे चलेगा ?”
बीरबल बोले, “जहांपना, यह कुत्ता है। केवल रोटी का एक टुकड़ा खाकर मरते दम तक अपने स्वामी की रखवाली करता है। इसे डंडे से पीटकर मालिक घर से भगा देता है तब भी यह बुलाने पर भागा-भागा चला आता है और उसी ईमानदारी के साथ मालिक को हर खतरे से बचाता है।” बीरबल यह कह कर चुप हो गए।
शहंशाह अकबर बोले, ‘और दूसरा प्राणी ?” बीरबल थमती आवाज में बोले, “हुजूर, या मेरा दामाद है। इसका स्वभाव ऐसा है कि लड़की का पिता अपना सबकुछ इसे क्यों ना दे दे और स्वयं फकीर ही क्यों न बन जाए, फिर भी इसे चैन नहीं मिलता।”
अकबर बीरबल की बातें सुनकर क्रोधित हो गए और दामाद को गुस्से से गिरते हुए कहा, “ले जाओ, दामाद को सूली पर लटका दो और कुत्ते को दूध पिलाओ।”
बादशाह का हुकुम सुनते ही बीरबल का पसीना छूट गया। वह सिर झुका कर नम्र स्वर में बोले, “हुजूर, मेरी बात को समझें। मैंने जो भी कुछ कहा, वह केवल अपने दामाद के लिए नहीं कहा, मैंने तो दुनिया के सारे दामादों की बात कही है।
जहांपनाह, क्या मेरे दामाद को ही दंडित करना उचित होगा ? आप भी तो किसी के दामाद हैं या यहां पर जितने भी लोग हैं, वे सब किसी ना किसी के तो दामाद हैं ही।”
बादशाह अकबर अचानक ही सहम गए और उन्होंने अपना हुक्म वापस ले लिया।
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