Pala vansh history notes in hindi : पाल वंश के संस्थापक गोपाल (750 ई०) था। इस वंश की राजधानी मुंगेर थी। पाल साम्राज्य (pala empire) मध्यकालीन ‘उत्तर भारत’ का सबसे शक्तिशाली और महत्त्वपूर्ण साम्राज्य माना जाता है। इस पोस्ट में पाल वंश (pala dynasty) के प्रमुख शासक धर्मपाल, देवपाल, नारायणपाल, महिपाल, नयपाल इत्यादि के बारे में जानेंगे। पाल वंश के इतिहास से संबंधित प्रश्न उत्तर (pala vansh question answer in hindi) को भी देखेंगे।

पाल वंश का इतिहास : Pala Vansh History in Hindi
पाल वंश पूर्व मध्यकालीन राजवंश था। इस वंश ने भारत के पूर्वी भाग में एक विशाल साम्राज्य बनाया। इस राज्य में वास्तु कला को बहुत बढावा मिला। पाल राजाओं के काल में बौद्ध धर्म को बहुत बढावा मिला। पाल राजा हिन्दू थे परन्तु वे बौद्ध धर्म को भी मानने वाले थे। पाल राजाओं के समय में बौद्ध धर्म को बहुत संरक्षण मिला।
पाल वंश के प्रमुख शासक थे : धर्मपाल, देवपाल, नारायणपाल, महिपाल, नयपाल आदि
पाल राज्य का क्षेत्र : Pala Empire

कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष : The Kannauj Triangle

पाल वंश के शासक : Pala Dynasty Emperor
पालवंश के शासक | शासन काल |
गोपाल प्रथम | लगभग 750-770 ई० |
धर्मपाल | लगभग 770-810 ई० |
देवपाल | लगभग 810-850 ई० |
महेन्द्रपाल | N.A. |
विग्रहपाल | लगभग 850-860 ई० |
नारायणपाल | लगभग 860-915 ई० |
गोपाल द्वितीय | लगभग 940-957 ई० |
महिपाल प्रथम | लगभग 978-1030 ई० |
नयपाल | लगभग 1030-1055 ई० |
महिपाल द्वितीय | लगभग 1070-1075 ई० |
रामपाल | लगभग 1075-1120 ई० |
गोपाल तृतीय | लगभग 1145 ई० |
मदनपाल | लगभग 1144-1162 ई० |
गोविंद पाल | लगभग 1162-1174 ई० |
गोपाल प्रथम (Gopala I)
- पाल वंश का उद्भव बंगाल में लगभग 750 ई० में गोपाल के द्वारा हुआ।
- पाल वंश की राजधानी मुंगेर थी।
- गोपाल बौद्ध धर्म का अनुयायी था।
- गोपाल ने ओदंतपुरी (आधुनिक बिहार शरीफ) में विश्वविद्यालय की स्थापना की थी।
धर्मपाल (Dharmapala)
- गोपाल के बाद उसका पुत्र धर्मपाल 770 ई० में सिंहासन पर बैठा।
- पालवंश का सबसे महान शासक धर्मपाल था।
- धर्मपाल ने 40 वर्षों तक शासन किया।
- कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष पालवंश, गुर्जर प्रतिहार वंश एवं राष्ट्रकूट वंश के बीच हुआ। इसमें पालवंश की ओर से सर्वप्रथम धर्मपाल शामिल हुआ था।
- धर्मपाल ने कन्नौज की गद्दी से इंद्रायूध को हराकर चक्रायुध को आसीन किया।
- ग्यारहवीं सदी के गुजराती कवि सोड्ठल ने धर्मपाल को ‘उत्तरापथ स्वामी‘ की उपाधि से संबोधित किया है।
- धर्मपाल एक उत्साही बौद्ध समर्थक था। उसके लेखों में उसे परम सौगात कहा गया है।
- धर्मपाल ने भागलपुर जिले में स्थित विक्रमशिला विश्वविद्यालय का निर्माण करवाया था।
- धर्मपाल ने विक्रमशिला व सोमपुरी प्रसिद्ध विहारों का भी निर्माण करवाया।
- उल्लेखनीय है कि प्रतिहार राजा नागभट्ट द्वितीय एवं राष्ट्रकूट राजा ध्रुव ने धर्मपाल को पराजित किया था।
देवपाल (Devapala)
- धर्मपाल के बाद उसका पुत्र देवपाल गद्दी पर बैठा।
- धर्मपाल ने मुंगेर को अपनी राजधानी बनाई।
- उसने पूर्वोत्तर में प्राज्योतिषपुर, उत्तर में नेपाल, पूर्वी तट पर उड़ीसा तक विस्तार किया।
- कन्नौज के संघर्ष में देवपाल ने भाग लिया था।
- ओदंतपुरी (बिहार) के प्रसिद्ध बौद्धमठ का निर्माण देवपाल ने करवाया था।
- जावा के शैलेंद्रवंशी शासक बालपुत्र देव के अनुरोध पर देवपाल ने उसे नालंदा में एक बौद्धविहार बनवाने के लिए पाँच गाँव दान में दिए थे।
- इसी के शासनकाल में अरब यात्री सुलेमान भारत आया था।
- बौद्ध कवि वज्रदत्त देवपाल के दरबार में रहता था, जिसने लोकेश्वर शतक की रचना की।
- देवपाल ने 850 ई० तक शासन किया था। देवपाल के बाद पाल वंश की अवनति प्रारम्भ हो गयी।
विग्रहपाल (Vigrahapala)
- देवपाल का उत्तराधिकारी विग्रहपाल था।
- चार साल के छोटे शासन काल के बाद विग्रहपाल ने गद्दी त्याग दी।
नारायणपाल (Narayanapala)
- विग्रहपाल के बाद उसका पुत्र नारायणपाल गद्दी पर बैठा।
- नारायण पाल अपने वंश का एक शक्तिशाली राजा था, जिसने कम से कम 54 तक वर्ष शासन किया।
- नारायण पाल शैव धर्म का अनुयायी था।
- अपने शासन-काल के प्रारम्भिक वर्षों में नारायण पाल ने शिव के एक हजार मन्दिरों का निर्माण कराया।
राज्यपाल एवं गोपाल द्वितीय (Rajyapala & Gopala II)
- नारायणपाल का उत्तराधिकारी उसका पुत्र राज्यपाल हुआ और राज्यपाल का उत्तराधिकारी उसका पुत्र गोपाल द्वितीय था।
- चंदेल तथा कलचुरी आक्रमणों के कारण पाल साम्राज्य पूरी तरह चरमरा गई।
महिपाल प्रथम (Mahipala I)
- 11वीं सदी में महीपाल प्रथम ने 988 ई०-1008 ई० तक शासन किया।
- महीपाल को पाल वंश का द्वितीय संस्थापक कहा जाता है।
- उसने समस्त बंगाल और मगध पर शासन किया।
- महिपाल के शासन काल की सबसे महत्त्वपूर्ण घटना बंगाल पर राजेन्द्र चोल का आक्रमण है।
- राजेन्द्र चोल के एक सेनानायक ने उड़ीसा के मार्ग से होकर बंगाल पर आक्रमण कर दिया। आक्रमण का महिपाल प्रथम ने सामना किया, परन्तु चोल सेना ने उसे पराजित कर दिया।
- फिर भी पाल नरेश ने उसे गंगापार बढ़ने नहीं दिया।
नयपाल (Nayapala)
- पाल नरेश नयपाल और चेदि नरेश लक्ष्मीकर्ण के बीच संघर्ष हुआ।
- कुछ समय बाद दोनों के बीच संधि होने के बाद युद्ध समाप्त हो गया।
- नयपाल ने लगभग 20 वर्षो तक शासन किया।
विग्रहपाल तृतीय (Vigrahapala III)
- विग्रहपाल ने चेदि नरेश लक्ष्मीकर्ण की पुत्री यौवनश्री से विवाह कर पाल व चेदि वंश के बीच मैत्रीपूर्ण संबंध स्थापित किया।
- विग्रहपाल तृतीय के तीन पुत्र थे – महिपाल द्वितीय, शूरपाल तथा रामपाल।
गौड़ीरीति नामक साहित्यिक विद्या का विकास पाल शासकों के समय में हुआ। पाल शासक बौद्ध धर्म के अनुयायी थे।
पाल वंश से महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर : Pala Vansh GK Question Answer in Hindi
- किस पर स्वामित्व के लिए पाल, प्रतिहार व राष्ट्रकूट के बीच त्रिपक्षीय संघर्ष हुआ – कन्नौज
- त्रिपक्षीय संघर्ष की पहल किसने की – वत्सराज
- त्रिपक्षीय संघर्ष का आरंभ किस सदी में हुआ – 8वीं सदी में
- त्रिपक्षीय संघर्ष का आरंभ और अंत किस राजवंश ने किया – प्रतिहार
- पाल वंश के संस्थापक कौन थे – गोपाल
- पाल वंश की राजधानी क्या थी – मुद्दगिरि / मुंगेर
- 750 ई० में बंगाल के पाल वंश के स्थापना करनेवाले गोपाल ऐसे शासक थे जिन्हें – सामंती सरदारों ने चुना
- किस पाल शासक को गुजराती कवि सोड्ठल ने ‘उत्तरापथ स्वामिन’ कहा – धर्मपाल
- 9वीं सदी में भारत आए अरब यात्री सुलेमान ने किस साम्राज्य को ‘रूहमा’ कहकर संबोधित किया – पाल
- पाल वंश (pala vansh) के पतन के बाद बंगाल का राजनीतिक नेतृत्व किसने प्रदान किया – सेन वंश ने
- ओदंतपुरी विश्वविद्यालय (बिहारशरीफ — नालंदा जिला का मुख्यालय, बिहार) का संस्थापक कौन था – गोपाल
- गोपाल किस धर्म का अनुयायी था – बौद्ध धर्म
- विक्रमशिला विश्वविद्यालय की स्थापना किसने की थी – धर्मपाल
- पालवंश की ओर से सर्वप्रथम किस शासक ने कन्नौज के लिए त्रिपक्षीय संघर्ष में शामिल हुआ था – धर्मपाल
- ओदंतपुरी (बिहार) के प्रसिद्ध बौद्धमठ का निर्माण किसने करवाया था – देवपाल
प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :
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