Pallava vansha history in hindi : पल्लव वंश (pallava dynasty) का संस्थापक सिंहविष्णु (575-600 ई०) था। यह प्राचीन दक्षिण भारत का एक राजवंश था। चौथी शताब्दी में इसने कांचीपुरम में राज्य स्थापित किया और लगभग 600 वर्ष तमिल और तेलुगु क्षेत्र में राज किया। बोधिधर्म इसी वंश का था जिसने ध्यान योग को चीन में फैलाया। यह राजा अपने आप को क्षत्रिय मानते थे। इस पोस्ट में पल्लव साम्राज्य (pallava empire) के इतिहास तथा इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण question answer के बारे में जानेंगे।
पल्लवों का प्रारंभिक इतिहास क्रमबद्ध रूप से नहीं प्रस्तुत किया जा सकता। सिंहवर्मन द्वितीय से पल्लवों का राज्यक्रम सुनिश्चित हो जाता है। पल्लव वंश के गौरव का श्रीगणेश उसके पुत्र सिंहविष्णु (575-600 ई०) के द्वारा हुआ।
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पल्लव वंश के प्रमुख शासक : Pallava Vansha Emperor List
शासक | शासन काल |
सिंहविष्णु | 575-600 ई० |
महेन्द्र वर्मन प्रथम | 600-630 ई० |
नरसिंह वर्मन प्रथम | 630-668 ई० |
महेंद्र वर्मन द्वितीय | 668-670 ई० |
परमेश्वर वर्मन प्रथम | 670-695 ई० |
नरसिंहवर्मन द्वितीय | 695-720 ई० |
परमेश्वर वर्मन द्वितीय | 720-730 ई० |
नंदिवर्मन द्वितीय | 730-795 ई० |
दंतिवर्मन | 796-847 ई० |
नंदिवर्मन द्वितीय | 847-872 ई० |
नृपतंगवर्मन | 872-882 ई० |
अपराजित वर्मन | 882-897 ई० |
पल्लव वंश का इतिहास : Pallava Vansha History in Hindi
सिंहविष्णु (Simhavishnu)
- पल्लव वंश का संस्थापक सिंहविष्णु (575-600 ई०) था।
- इसकी राजधानी काँची (तमिलनाडु में काँचीपुरम) थी।
- सिंहविष्णु वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
- किरातार्जुनीयम के लेखक भारवि सिंहविष्णु के दरबार में रहते थे।
महेन्द्र वर्मन प्रथम (Mahendra Varman I)
- महेन्द्र वर्मन प्रथम के पिता सिंहविष्णु था।
- इनके समय में पल्लवों और चालुक्यों के बीच संघर्ष प्रारंभ हुआ।
- चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय की सेना विजय करती हुई पल्लव राजधानी के बिल्कुल समीप पहुँच गई थी।
- पुल्ललूर के युद्ध में महेंद्रवर्मन ने चालुक्यों को पराजित किया।
- उसने महेंद्रवाडि में महेंद्र-तटाक नाम के जलाशय का निर्माण किया।
- महेन्द्रवर्मन को चित्रकला में भी रुचि थी एवं वह कुशल संगीतज्ञ के रूप में भी प्रसिद्ध था।
- मतविलास प्रहसन की रचना महेन्द्रवर्मन ने की थी।
- महेन्द्रवर्मन शुरू में जैन-मतावलंबी था, परंतु बाद में तमिल संत अप्पर के प्रभाव में आकर शैव बन गया था।
नरसिंह वर्मन प्रथम (Narasimha Varma I)
- महेन्द्र वर्मन प्रथम का पुत्र नरसिंह वर्मन प्रथम था।
- इनके समय में पल्लव दक्षिणी भारत की प्रमुख शक्ति बन गए।
- इन्होंने चालुक्य नरेश पुलकेशिन द्वितीय के तीन आक्रमणों को विफल कर दिया।
- नरसिंह वर्मन प्रथम ने 642 ई. में चालुक्यों की राजधानी वातापी पर अधिकार कर लिया।
- इस विजय के उपलक्ष में नरसिंह वर्मन प्रथम ने वातापिकोंड की उपाधि धारण की।
- महाबलीपुरम के एकाश्म मंदिर जिन्हें रथ कहा गया है का निर्माण पल्लव राजा नरसिंह वर्मन प्रथम के द्वारा करवाया गया था।
- रथ मंदिरों की संख्या सात है। रथ मंदिरों में सबसे छोटा द्रोपदी रथ है जिसमें किसी प्रकार का अलंकरण नहीं मिलता है।
महेन्द्रवर्मन द्वितीय (Mahendra Varmana II)
नरसिंह वर्मन प्रथम का पुत्र महेंद्र वर्मन द्वितीय का राज्यकाल दो वर्ष का ही था। जिसमें उसे चालुक्य विक्रमादित्य के हाथों पराजित होना पड़ा।
परमेश्वरवर्मन प्रथम (Parameshvara Varmana I)
- महेन्द्रवर्मन द्वितीय का पुत्र परमेश्वर वर्मन प्रथम का राजनीतिक महत्व चालुक्य नरेश विक्रमादित्य का सफल विरोध करने में है।
- इन्होंने विक्रमादित्य के पुत्र विनयादित्य और पौत्र विजयादित्य का पराजित किया।
- महाबलिपुरम् की कुछ कलाकृतियाँ उसी ने बनवाई थीं।
- महेन्द्रवर्मन शिव का उपासक था।
- उसने कांची के समीप कूरम् में एक शिवमंदिर का निर्माण कराया।
नरसिंहवर्मन द्वितीय (Narasimha Varamana II)
- परमेश्वरवर्मन प्रथम का पुत्र नरसिंहवर्मन द्वितीय था।
- अरबों के आक्रमण के समय पल्लवों का शासक नरसिंहवर्मन द्वितीय था।
- उसने ‘राजसिंह‘ (राजाओं में सिंह), ‘आगमप्रिय‘ (शास्त्रों का प्रेमी) और शंकरभक्त (शिव का उपासक) की उपाधियाँ धारण की।
- नरसिंहवर्मन द्वितीय ने काँची के कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण करवाया। जिसे राजसिद्धेश्वर मंदिर भी कहा जाता है।
- इस मंदिर के निर्माण से द्रविड़ स्थापत्य कला की शुरुआत हुई। (महाबलीपुरम में शोर मंदिर)
- काँची के कैलाशनाथ मंदिर में पल्लव राजाओं और रानियों की आदमकद तस्वीरें लगी हैं।
- दशकुमारचरित के लेखक दंडी नरसिंहवर्मन द्वितीय के दरबार में रहते थे।
परमेश्वर वर्मन द्वितीय (Parmeshvara Varmana II)
- नरसिंहवर्मन द्वितीय का पुत्र परमेश्वरवर्मन द्वितीय था।
- इसके राज्यकाल के अंतिम वर्षों में चालुक्य युवराज विक्रमादित्य ने गंगों की सहायता से कांची पर आक्रमण किया। परमेश्वरवर्मन् ने भेंट आदि देकर आक्रमणकारियों को लौटाया।
- प्रतिकार की भावना से प्रेरित होकर उसने गंग राज्य पर आक्रमण किया किंतु युद्ध में मारा गया।
- तिरुवडि का शिवमंदिर संभवत: उसी ने बनवाया था।
नंदिवर्मन द्वितीय (Nandi Varmana II)
- यह सिंहविष्णु के भाई भीमवर्मन के वंशज हिरण्यवर्मन का पुत्र था।
- काँची के मुक्तेश्वर मंदिर तथा बैकुण्ठ पेरुमाल मंदिर का निर्माण नंदिवर्मन द्वितीय ने कराया।
- प्रसिद्ध वैष्णव संत तिरुमङ्गई अलवार नंदिवर्मन द्वितीय के समकालीन थे।
अपराजित वर्मन (Aparajita Varmana)
- नृपतुंगवर्मन् का पुत्र अपराजित वर्मन पल्लव वंश का अंतिम सम्राट् था।
- पल्लवों के सामंत आदित्य प्रथम ने अपनी शक्ति बढ़ाई और 893 ई० के लगभग अपराजित वर्मन को पराजित कर पल्लव साम्राज्य को चोल राज्य में मिला लिया।
इस प्रकार पल्लव साम्राज्य (pallava empire) का अस्तित्व समाप्त हुआ।
Pallava Vansha Important GK Question Answer in Hindi
- चालुक्यों और पल्लवों के बीच लंबे समय तक चलनेवाले संघर्ष का आरंभ किसने किया – पुलकेशिन द्वितीय
- चालुक्य-पल्लव संघर्ष के दौरान किसने पुलकेशिन द्वितीय की हत्या कर वातापी पर कब्जा कर लिया तथा ‘वातापीकोंडा’ (वातापी का विजेता) की उपाधि धारण की – नरसिंहवर्मन प्रथम ‘माम्मल’
- पल्लवों के एकाश्मीय रथ मिलने का स्थान कौन-सा है – महाबलिपुरम
- महाबलिपुरम, जो एक मुख्य नगर, वह कला में किन शासकों की रुचि को दर्शाता है – पल्लवों की
- ‘मतविलास प्रहसन’ नाटक का रचियता कौन था – महेन्द्रवर्मन प्रथम
- ‘विचित्र चित्त’, ‘मत्त विलास’ आदि की उपाधि धारण करनेवाला पल्लव शासक कौन था – महेन्द्रवर्मन द्वितीय
- मंदिर स्थापत्य कला की द्रविड़ शैली का आरंभ किस राजवंश के समय में हुआ – पल्लव
- माम्मलपुरम किसका समानार्थी है – महाबलिपुरम
- ह्वेनसांग के काँची प्रवास के समय पल्लव शासक कौन था – नरसिंहवर्मन प्रथम ‘माम्मल’
- आलवारों (वैष्णव संतों) एवं नायनारों / आडियारों (शैव संतों) द्वारा दक्षिण में भक्ति आंदोलन किस राजवंश के समय में आरंभ हुआ – पल्लव
- माम्मलपुरम (महाबलीपुरम) के मंडप मंदिरों एवं रथ मंदिरों (सप्त पगोडा) का निर्माण किसने कराया – नरसिंहवर्मन प्रथम ‘माम्मल’
- किस मंदिर को ‘राजसिंहेश्वर / राजसिद्धेश्वर’ मंदिर भी कहा जाता है – काँची का कैलाशनाथ मंदिर
- पल्लवों की राजभाषा क्या थी – संस्कृत
- गोपुरम (मुख्य द्वार) के प्रारंभिक निर्माण का स्वरूप सर्वप्रथम किस मंदिर में मिलता है – काँची का कैलाशनाथ मंदिर
- द्रविड़ शैली के मंदिरों में ‘गोपुरम’ से तात्पर्य क्या है – तोरण के ऊपर बने अलंकृत एवं बहुमंजिला भवन से
- पल्लव वंश के संस्थापक कौन थे – सिंहविष्णु
- भारवि किस पल्लव शासक के दरबार में रहते थे – सिंहविष्णु
- सिंहविष्णु किस धर्म का अनुयायी था – वैष्णव धर्म
- मतविलास प्रहसन की रचना किसने की – महेन्द्रवर्मन प्रथम
- महेन्द्रवर्मन प्रथम किस तमिल संत के प्रभाव से जैन से शैव बन गया – अप्पर
- काँची का कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किसने करवाया – नरसिंहवर्मन द्वितीय
- दशकुमारचरित के लेखक कौन थे – दंडी
- दंडी किसके दरबार में रहते थे – नरसिंहवर्मन द्वितीय
- काँची के मुक्तेश्वर मंदिर तथा बैकुण्ठ पेरुमाल मंदिर का निर्माण किसने करवाया – नंदिवर्मन द्वितीय
- पल्लव वंश का अंतिम सम्राट कौन था – अपराजित वर्मन
पल्लवकालीन मंदिर निर्माण शैली एवं उसके प्रतिपादक
मंदिर निर्माण शैली | प्रतिपादक |
महेन्द्रवर्मन शैली | महेन्द्रवर्मन प्रथम |
माम्मल शैली | नरसिंहवर्मन प्रथम |
राजसिंह शैली | नरसिंहवर्मन द्वितीय |
अपराजित शैली | नंदिवर्मन |
पल्लवकालीन प्रशासकीय विभाजन एवं उसके प्रधान
पल्लवकालीन प्रशासकीय विभाजन | प्रधान |
राष्ट्र (प्रान्त) | विषयिक |
विषय (जिला) | राष्ट्रिक |
कोट्टम (तालुका) | ग्रामभोजक |
ग्राम | देशाधिकृत |
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Nice post
What is Pallav Vansh/