परमार वंश का इतिहास : Parmar Vansh History in Hindi

Parmar vansh history in hindi : परमार वंश की स्थापना उपेन्द्रराज अथवा कृष्णराज ने की। परमार मध्यकालीन भारत का एक अग्निवंशी क्षत्रिय राजवंश था। इस वंश का अधिकार धार-मालवा-उज्जयिनी-आबू पर्वत और सिंधु के निकट अमरकोट आदि राज्यों तक था। लगभग सम्पूर्ण पश्चमी भारत क्षेत्र में परमार वंश (parmar dynasty) का साम्राज्य था।

इस वंश के शासकों ने 800 ई० से 1327 ई० तक शासन किया। परमार वंश के प्रमुख शासक थे – श्रीहर्ष, वाक्यपति मुंज, सिंधुराज, राजा भोज इत्यादि। इस पोस्ट में परमार वंश के इतिहास (parmar vansh ka itihas) के बारे में जानेंगे।

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परमार वंश के शासकों की सूची : Parmar Dynasty Emperor List

  • उपेन्द्र (800 – 818 ई०)
  • वैरीसिंह प्रथम (818 – 843 ई०)
  • सियक प्रथम (843 – 893 ई०)
  • वाकपति (893 – 918 ई०)
  • वैरीसिंह द्वितीय (918 – 948 ई०)
  • सियक द्वितीय (948 – 974 ई०)
  • वाकपतिराज (974 – 995 ई०)
  • सिंधुराज (995 – 1010 ई०)
  • भोज प्रथम (1010 – 1055 ई०)
  • जयसिंह प्रथम (1055 – 1060 ई०)
  • उदयादित्य (1060 – 1087 ई०) 
  • लक्ष्मणदेव (1087 – 1097 ई०)
  • नरवर्मन (1097 – 1134 ई०)
  • यशोवर्मन (1134 – 1142 ई०)
  • जयवर्मन प्रथम (1142 – 1160 ई०)
  • विंध्यवर्मन (1160 – 1193 ई०)
  • सुभातवर्मन (1193 – 1210 ई०)
  • अर्जुनवर्मन I (1210 – 1218 ई०)
  • देवपाल (1218 – 1239 ई०)
  • जयतुगीदेव (1239 – 1256 ई०)
  • जयवर्मन द्वितीय (1256 – 1269 ई०)
  • जयसिंह द्वितीय (1269 – 1274 ई०)
  • अर्जुनवर्मन द्वितीय (1274 – 1283 ई०)
  • भोज द्वितीय (1283 – ?)
  • महालकदेव (? – 1305)
  • संजीव सिंह परमार (1305 – 1327 ई०)

परमार वंश का इतिहास : Parmar Vansh History in Hindi

परमार वंश का संस्थापक उपेन्द्रराज था। इसकी राजधनी धारा नगरी थी। (प्राचीन राजधनी – उज्जैन) परमार वंश का सर्वाधिक शक्तिशाली शासक राजा भोज था।

श्रीहर्ष या सीयक द्वितीय (Shri Harsha)

  • हर्ष को परमार वंश की स्वतंत्रता का जन्मदाता कहा जाता है।
  • श्रीहर्ष वैरीसिंह द्वितीय का पुत्र और उत्तराधिकारी था।
  • खुजराहों लेख से पता चलता है कि चंदेल शासक यशोवर्मन ने श्रीहर्ष अथवा सीयक द्वितीय को पराजित किया था।
  • सीयक ने अपने वंश को राष्ट्रकूटों की अधीनता से स्वतंत्र कराया।
  • नर्मदा नदी के तट पर राष्ट्रकूट नरेश खोट्टिग की सेनाओं के साथ युद्ध हुआ जिसमें सीयक की जीत हुई।
  • नैषधीयचरित के लेखक श्रीहर्ष अथवा सीयक द्वितीय थे।

वाक्यपति मुंज (Vakyapati Munga)

  • सीयक के दो पुत्र थे – मुंज तथा सिंधुराज। मुंज उसका दत्तक पुत्र था।
  • सीयक ने स्वयं वाक्यपति मुंज को अपना उत्तराधिकारी नियुक्त किया।
  • मुंज ने कलचुरी शासक युवराज द्वितीय को हराकर उसकी राजधानी त्रिपुरी को लूट।
  • नवसाहसाङ्क चरित के रचियता पद्‌मगुप्त, दशरूपक के रचयिता धनंजय, धनिक, हलायुध एवं अमितगति जैसे विद्वान वाक्यपति मुंज के दरबार में रहते थे।
  • अपनी राजधानी में उसने ‘मुंजसागर’ नामक एक तालाब बनवाया तथा गुजरात में मुंजपुर नामक नये नगर की स्थापना करवायी थी । 

सिंधुराज (Sindhuraja)

  • मुंज का कोई पुत्र न होने के कारण उसकी मृत्यु के बाद उसका छोटा भाई सिंधुराज शासक बना।
  • सिंधुराज ने कल्याणी के चालुक्य नरेश सत्याश्रय को पराजित किया।
  • गुजरात के चालुक्य शासक मूलराज प्रथम के पुत्र चामुण्डराज ने सिंधुराज को पराजित किया।

राजा भोज (Raja Bhoja)

  • परमार वंश का सबसे शक्तिशाली शासक राजा भोज था।
  • भोज, धारा नगरी के ‘सिन्धुल‘ नामक राजा के पुत्र थे और इनकी माता का नाम सावित्री था।
  • राजा भोज की पत्नी का नाम लीलावती था।
  • राजा भोज ने अपनी राजधानी उज्जैन से हटाकर क्षिप्रा नदी पर अवस्थित धारा में स्थापित किया।
  • रोहक इनका प्रधानमंत्री और भुवनपाल मंत्री था। 
  • राजा भोज ने भोपाल के दक्षिण में भोजपुर नामक झील का निर्माण करवाया।
  • राजा भोज ने चिकित्सा, गणित एवं व्याकरण पर अनेक ग्रंथ लिखे।
  • भोजकृत युक्तिकल्पतरु में वास्तुशास्त्र के साथ-साथ विविध वैज्ञानिक यंत्रो व उनके उपयोग का उल्लेख है।
  • राजा भोज कविराज की उपाधि से विभूषित शासक था।
  • भोज ने अपनी राजधानी में सरस्वती मंदिर का निर्माण करवाया था।
  • इस मंदिर के परिसर में संस्कृत विद्यालय भी खोला गया था।
  • राजा भोज के शासनकाल में धारा नगरी विद्या एवं विद्वानों का प्रमुख केंद्र थी।
  • भोज ने चित्तौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण करवाया।
  • भोजपुर नगर की स्थापना राजा भोज ने की थी।

परमार वंश के बाद तोमर वंश का, उसके बाद चाहमान या चौहान वंश का और अंततः 1297 ई० में अलाउद्दीन खिलजी के सेनापति नसरत खाँ और उलुग खाँ ने मालवा पर अधिकार कर लिया।

Parmar Vansh GK Question Answer in Hindi

  1. ‘कविराज’ के नाम से कौन विख्यात था – भोज परमार
  2. भोज परमार द्वारा रचित पुस्तकें हैं – समरांगण सूत्रधार, सरस्वती कंठाभारण, योज सूत्रवृत्ति, आयुर्वेद सर्वस्व
  3. ‘समरांगण सूत्रधार’ का विषय है – स्थापत्य शास्त्र
  4. ‘उसकी मृत्यु से धारा नगरी, विद्या और विद्वान तीनों ही निराश्रित हो गए’ — यह उक्ति किस शासक के संबंध में है – भोज परमार
  5. परमार वंश की स्थापना किसने की – उपेन्द्रराज
  6. परमार वंश का सबसे शक्तिशाली शासक कौन था – राजा भोज
  7. प्रबन्धचिंतामणि के लेखक कौन थे – मेरुतुंग
  8. नैषधीयचरित के लेखक कौन थे – श्रीहर्ष / सीयक द्वितीय
  9. नवसाहसाङ्क चरित के रचियता कौन थे – पद्मगुप्त
  10. दशरूपक के रचियता कौन थे – धनंजय
  11. पद्मगुप्त किसके दरबार में रहते थे – वाक्यपति मुंज
  12. सरस्वती मंदिर का निर्माण किस परमार शासक ने करवाया – राजा भोज
  13. चित्तौड़ में त्रिभुवन नारायण मंदिर का निर्माण किसने करवाया – भोज
  14. भोजपुर नगर की स्थापना किसने की थी – राजा भोज ने
  15. ‘मुंजसागर’ नामक एक तालाब किसने बनवाया था – वाक्यपति मुंज
  16. परमार वंश की स्वतंत्रता का जन्मदाता किसे कहा जाता है – श्रीहर्ष या सीयक द्वितीय

प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :

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Himanshu Kumar
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