पूनम और दूज का चांद : Punam & Duj ka chand story (Akbar birbal story in hindi) – एक बार बीरबल अपने किसी काम से काबुल गए। उनकी वेशभूषा देखकर लोगों ने वहां के बादशाह को शिकायत कर दी। काबुल के बादशाह के सैनिक बीरबल को दरबार में लेकर आए। काबुल के बादशाह ने उनसे पूछा, “आप कौन हैं और यहां किस मकसद से आए हैं ?” बीरबल बोले, “मैं एक मुसाफिर हूं और देश विदेश की यात्रा करता रहता हूं।”
काबुल के बादशाह ने कहा, “तब तो तुम्हें देश-विदेश के अनेक राजाओं के बारे में पता होगा। बताओ, तुमने कहीं हमारे जैसा बादशाह देखा है ?”

बीरबल सिर झुका कर बोले, “हुजूर, आप तो पूनम के चांद है। आप जैसा अन्य बादशाह भला कौन हो सकता है।”
काबुल का बादशाह मन-ही-मन खुश होता हुआ बोला, “हम पूनम के चांद हैं तो तुम्हारा बादशाह क्या है ?” बीरबल सीना तान कर बोले, “हुजूर, हमारा शाहजहां तो दूज का चांद है।”
काबुल का बादशाह स्वयं को पूनम का चांद समझकर खुशी के मारे गदगद हो गया और बीरबल को छोड़ दिया और सादर अपने दरबार में बैठाया। दूसरे दिन बीरबल को वस्त्राभूषणों से नवाज कर विदा किया।
बीरबल वहां से दिल्ली पहुंचे तो उन्होंने अपने मित्रों को यह बात बताएं सुनाई। यह बात एक मुंह से दूसरे मुंह होते हुए शाही दरबार तक भी पहुंच गई। बीरबल से जो दरबारी ईर्ष्या करते थे उन्होंने इस बात को नमक मिर्च लगाकर बादशाह अकबर के सामने पेश कर दिया।
अकबर बादशाह को यह बात बड़ी ही बुरी लगी। अगले दिन बीरबल दरबार में पधारे तो शहंशाह ने बीरबल से कहा, “बीरबल, हम क्या सुन रहे हैं। तुम काबुल गए थे। बताओ, तुमने वहां के सुल्तान से क्या कहा है ?” बीरबल ने बादशाह सलामत को वहां की सारी बातें कह सुनाईं। अकबर बादशाह नाराज होते हुए बोले, “बीरबल, काबुल के बादशाह को पूनम के चांद की तरह बड़ा और हमें दूज के चांद की तरह छोटा बताकर तुमने हमारी बेइज्जती नहीं है की है ?”
बीरबल सहज भाव से ही बोले, “बादशाह सलामत, आप यह क्या कर रहे हैं। मैंने तो वहां आप का गुणगान ही किया है। पूनम का चांद कितना ही बड़ा क्यों ना हो उसे कोई भी महत्व नहीं देता और वह तो अगले दिन से घटने लगता है। पल-पल घटने वाली चीज तो हर धर्म में अशुभ, तुच्छ और त्याज्य मानी जाती है।
दूज का चांद चाहे कितना भी छोटा हो लेकिन हिंदू और मुसलमान दोनों ही बड़े आदर भाव के साथ उसका दर्शन करते हैं। मुस्लिम महीना दूज से ही शुरू होता है, हिंदू लोग दूज के चांद को शुभ मानकर उसी दिन शुभ कार्य की शुरुआत करते हैं।
इन सबसे बड़ी बात यह है कि दूज का चांद दिन प्रतिदिन बढ़ता ही है। जहांपनाह, अब आप ही बोलिए कि काबुल के बादशाह को पूनम का चांद और आपको दूज का चांद कह कर मैंने किस की प्रशंसा की है ?”
बीरबल को बादशाह ने उठकर गले से लगा लिया और कहा, “मुझे पता है, बीरबल तुम जहां भी जाओगे, वहां मेरी प्रशंसा ही करोगे।
बीरबल से जलने वाले दरबारियों का मुंह इतना-सा हो गया और जो दरबारी बीरबल की पसंद करते थे, वह तालियां पीट कर उनकी तारीफ करने लगे।
बीरबल की यही तो विशेषता थी कि वह बहुत ही सोच-समझकर बातें करते थे और मौका आने पर अपनी बात को सिद्ध करके दिखा भी दे देते थे।
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