Pushyabhuti Vansha / Vardhana Dynasty History in Hindi : पुष्यभूति वंश या वर्धन वंश का संस्थापक पुष्यभूति था। पुष्यभूति वंश ने भारत के उत्तरी भाग में 6ठी तथा 7वीं शताब्दी में शासन किया। इस वंश का सबसे प्रतापी राजा हर्षवर्धन (Harshvardhan) भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट था जिसके शासन काल में यह वंश अपने चरमोत्कर्ष पर पहुँचा।
भारत का अधिकांश उत्तरी तथा पश्चिमोत्तर भाग इस समय हर्ष के साम्राज्य के अंतर्गत था। इस पोस्ट में पुष्यभूति वंश (pushyabhuti dynasty) या वर्धन वंश के अंतर्गत राज्यवर्द्धन, हर्षवर्द्धन एवं इसके महत्त्वपूर्ण question answer के बारे में जानेंगे।

पुष्यभूति वंश या वर्द्धन वंश (Pushyabhuti Vansha or Vardhan Dynasty History in Hindi)
गुप्त वंश के पतन के बाद जिन नए राजवंशों का उद्भव हुआ, उनमें मैत्रक, मौखरि, पुष्यभूति, परवर्ती गुप्त और गौड़ प्रमुख हैं। इन राजवंशों में पुष्यभूति वंश (pushyabhuti vansha) के शासकों ने सबसे विशाल साम्राज्य (empire) स्थापति किया।
पुष्यभूति वंश के संस्थापक पुष्यभूति था। इनकी राजधानी थानेश्वर (हरियाणा प्रान्त के कुरुक्षेत्र जिले में स्थित वर्तमान थानेसर नामक स्थान) थी।
प्रभकारवर्द्धन (Prabhakarvardhan)
- प्रभकारवर्द्धन पुष्यभूति वंश (pushyabhuti vansha) की स्वतंत्रता का जन्मदाता था तथा प्रथम प्रभावशाली शासक था।
- इसने परमभट्टाकारक और महाराजाधिराज जैसी सम्मानजनक उपाधियाँ धारण की।
- प्रभकारवर्द्धन की पत्नी यशोमती से दो पुत्र – राज्यवर्द्धन और हर्षवर्द्धन तथा एक कन्या राज्यश्री उत्पन्न हुई।
राज्यश्री का विवाह कन्नौज के मौखरि राजा ग्रहवर्मा के साथ हुआ। मालवा के शासक देवगुप्त ने ग्रहवर्मा की हत्या कर दी और राज्यश्री को बंदी बनाकर कारागार में डाल दिया। राज्यवर्द्धन ने देवगुप्त को मार डाला, परंतु देवगुप्त के मित्र गौड़ नरेश शशांक ने धोका देकर राज्यवर्द्धन की हत्या कर दी।
शशांक शैव धर्म का अनुयायी था। इसने बोधिवृक्ष (बोधगया) को कटवा दिया।
हर्षवर्द्धन (Harshavardhan)
- हर्ष का जन्म थानेसर (वर्तमान में हरियाणा) में हुआ था।
- राज्यवर्द्धन की मृत्यु के बाद 606 ई० में 16 वर्ष की अवस्था में हर्षवर्द्धन थानेश्वर की गद्दी पर बैठा।
- हर्ष को शिलादित्य के नाम से भी जाना जाता था।
- हर्ष ने परमभट्टाकारक नरेश की उपाधि धारण की थी।
- हर्ष ने शशांक को पराजित करके कन्नौज पर अधिकार कर लिया तथा उसे अपनी राजधानी बनाया।
- हर्ष और पुलकेशिन द्वितीय के बीच नर्मदा नदी के तट पर युद्ध हुआ, जिसमें हर्ष की पराजय हुई।
- चीनी यात्री ह्वेनसाँग हर्षवर्धन के शासनकाल में भारत आया।
- हर्ष 641 ई० में अपने दूत चीन भेजे तथा 643 ई० एवं 645 ई० में दो चीनी दूत उसके दरबार में आए। हर्ष ने कश्मीर के शासक से बुद्ध के दंत अवशेष बलपूर्वक प्राप्त किए।
- हर्ष के पूर्वज भगवान शिव और सूर्य के अनन्य उपासक थे।
- प्रारंभ में हर्ष भी अपने कुलदेवता शिव का परम भक्त था। चीनी यात्री ह्वेनसाँग से मिलने के बाद उसने बौद्ध धर्म की महायान शाखा को राज्याश्रय प्रदान किया तथा वह पूर्ण बौद्ध बन गया।
- हर्ष के समय में नालंदा महाविहार महायान बौद्ध धर्म की शिक्षा का प्रधान केंद्र था।
- हर्ष के समय में प्रयाग में प्रति पाँचवें वर्ष एक समारोह आयोजित किया जाता था जिसे महामोक्षपरिषद कहा जाता था। ह्वेनसाँग स्वयं 6ठे समारोह में सम्मिलित हुआ।
- बाणभट्ट हर्ष के दरबारी कवि थे।
- बाणभट्ट ने हर्षचरित एवं कादम्बरी की रचना की।
- प्रियदर्शिका, रत्नावली तथा नागानंद नामक तीन संस्कृत नाटक ग्रंथो की रचना हर्ष ने की थी। कहा जाता है कि धावक नामक कवि ने हर्ष से पुरस्कार लेकर उसके नाम से ये तीनों नाटक लिख दिए।
- प्रयाग का मशहूर ‘कुम्भ मेला’ भी हर्ष ने ही शुरु करवाया था।
- हर्ष ने ‘सती प्रथा’ पर प्रतिबंध लगाया। कहा जाता है कि सम्राट हर्षवर्धन ने अपनी बहन को भी सती होने से बचाया था।
- हर्ष को भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट कहा गया है, लेकिन वह न तो कट्टर हिन्दू था और न ही सारे देश का शासक ही।
ह्वेनसाँग को यात्रियों में राजकुमार, नीति का पंडित एवं वर्तमान शाक्यमुनि कहा जाता है। वह नालंदा विश्विद्यालय में पढ़ने एवं बौद्ध ग्रंथ संग्रह करने के उद्देश्य से भारत आया था।
हर्षवर्धन की प्रशासनिक व्यवस्था
- हर्ष के अधीनस्थ शासक महाराज अथवा महासामंत कहे जाते थे।
- हर्ष के मंत्रीपरिषद के मंत्री को सचिव या आमात्य कहा जाता था।
- प्रशासन की सुविधा के लिए हर्ष का साम्राज्य कई प्रान्तों में विभाजित था।
- प्रान्त को भूक्ति कहा जाता था।
- प्रत्येक भूक्ति का शासक राजस्थानीय, उपरिक अथवा राष्ट्रीय कहलाता था।
- हर्षचरित में प्रांतीय शासक के लिए ‘लोकपाल‘ शब्द आया है।
- भूक्ति का विभाजन जिलों में हुआ था। जिले की संज्ञा थी विषय, जिसका प्रधान विषयपति होता था। विषय के अंतर्गत कई पाठक (आधुनिक तहसील) होते थे।
- ग्राम प्रशासन की सबसे छोटी इकाई थी। ग्राम शासन का प्रधान ग्रामाक्षपटलिक कहा जाता था।
- पुलिस कर्मियों को चाट या भाट कहा गया है।
- दंडपाशिक तथा दाण्डिक पुलिस विभाग के अधिकारी होते थे।
- अश्व सेना के अधिकारियों को बृहदेश्वर, पैदल सेना के अधिकारियों को बलाधिकृत या महाबलाधिकृत कहा जाता था।
- हर्षचरित में सिंचाई के साधन के रूप में तुलायंत्र (जलपंप) का उल्लेख मिलता है।
- हर्ष के समय मथुरा सूती वस्त्रों के निर्माण के लिए प्रसिद्ध था।
हर्षचरित के अनुसार हर्ष की मंत्रिपरिषद
भण्डी | प्रधान सचिव |
सिंहनाद | प्रधान सेनापति |
कुन्तल | अश्व सेना का प्रधान |
स्कन्दगुप्त | गज सेना का प्रमुख |
पुष्यभूति या वर्धन वंश के महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर : Pushyabhuti Vansha GK Question Answer in Hindi
- थानेश्वर में वर्धन वंश / पुष्यभूति वंश की स्थापना किसने की – पुष्यभूतिवर्धन
- वर्धन की राजधानी क्या थी – थानेश्वर
- वह अंतिम बौद्ध राजा कौन था जो संस्कृत का महान विद्वान और लेखक था – हर्षवर्धन
- ‘हर्षचरित’ किसके द्वारा लिखी गई थी – बाणभट्ट
- हर्षवर्धन के समय में कौन-सा चीनी तीर्थयात्री भारत आया था – ह्वेनसाँग
- किस व्यक्ति को ‘द्वितीय अशोक’ कहा जाता है – हर्षवर्धन
- बाणभट्ट किस सम्राट के राजदरबारी कवि थे – हर्षवर्धन
- हर्ष एवं पुलकेशिन द्वितीय के मध्य हुए संघर्ष की जानकारी कहाँ से मिलती है – ऐहोल अभिलेख
- ‘प्रतापशील’, ‘हुण हरिण केसरी’, ‘महाराजाधिराज’ नामक उपाधियाँ किस राजा की थीं – प्रभकारवर्द्धन
- सम्राट हर्ष ने अपनी राजधानी थानेश्वर से कहाँ स्थानांतरित की थी – कन्नौज
- ‘सकलोत्तरापथनाथ’ किसे कहा गया है – हर्षवर्द्धन
- ह्वेनसाँग ने किसे ‘शीलादित्य’ कहा है – हर्षवर्द्धन
- गुप्त वंश के ह्रास के पश्चात उत्तर भारत में बड़े भाग का पुनर्गठन किसने किया – हर्षवर्द्धन
- बंगाल का कौन-सा शासक हर्ष का समकालीन था – शशांक
- चालुक्य शासक पुलकेशिन द्वितीय ने किस नदी के किनारे हर्षवर्धन को परास्त किया था – नर्मदा के
- हर्ष के शासनकाल में उत्तर भारत का सबसे महत्त्वपूर्ण शहर कौन-सा था – कन्नौज
- हर्ष की जीवनी किसने लिखी – बाणभट्ट
- हर्षवर्धन अपनी धार्मिक सभा कहाँ किया करता था – प्रयाग
- वर्धन वंश की राजधानी थानेश्वर किस प्रदेश में स्थित है – हरियाणा
- हर्षवर्धन की बहन राज्यश्री का विवाह किसके साथ हुआ था – मौखरि नरेश ग्रहवर्मा से
- ग्रहवर्मा की हत्या किसने की – मालवा के शासक देवगुप्त ने
- हर्षवर्धन के अग्रज राज्यवर्धन द्वितीय की हत्या किसने की थी – गौड़ नरेश शशांक
- हर्षवर्धन ने 606 ई० में हर्ष संवत् की स्थापना किस उपलक्ष्य में की थी – अपने राज्यारोहण के उपलक्ष्य में
- कौन वर्धन वंश की राजधानी थानेश्वर से कन्नौज ले गया – हर्षवर्धन
- कन्नौज किस प्रदेश में स्थित है – उत्तर प्रदेश
- ह्वेनसाँग की भारत में यात्रा के समय सूती कपड़ों के उत्पादन के लिए सबसे प्रसिद्ध नगर कौन-सा था – मथुरा
- कवि बाणभट्ट कहाँ के निवासी थे – थानेश्वर का
- ‘नागानंद’ का रचनाकार कौन था – हर्षवर्धन
- सम्राट हर्षवर्धन ने दो महान धार्मिक सम्मेलनों का आयोजन कहाँ किया था – कन्नौज व प्रयाग में
- ‘नागानंद’, ‘रत्नावली’ एवं ‘प्रियदर्शिका’ नाटकों के नाटककार कौन थे – हर्षवर्धन
- गुर्जरों को किस शासक ने पराजित किया – हर्षवर्धन
- आज भी भारत में ह्वेनसाँग को याद करने का मुख्य कारण है – ‘सी-यु-की’ की रचना
- हर्षवर्धन के विजयी जीवन में एकमात्र पराजय देनेवाला पुलकेशिन द्वितीय कहाँ का शासक था – वातापी / बादामी
- हर्षवर्धन ने अपनी पुत्री का विवाह वल्लभी नरेश से किया, जो कि उसकी एक बड़ी कूटनीतिक उपलब्धि थी। वल्लभी नरेश का क्या नाम था – ध्रुवसेन द्वितीय
- किस चीनी यात्री को ‘वर्तमान शाक्य मुनि’ एवं ‘यात्रियों में राजकुमार’ कहा जाता है – ह्वेनसाँग
- ह्वेनसाँग भारत में लगभग कितने साल रहा – 14
- ह्वेनसाँग के सम्मानार्थ एवं महायान धर्म के प्रचारार्थ हर्षवर्धन ने कहाँ महासभा का आयोजन 643 ई० में करवाया – कन्नौज
- कुंभ मेला को प्रारंभ करने का श्रेय किसे दिया जाता है – हर्षवर्धन
- नर्मदा नदी पर सम्राट हर्ष के दक्षिणावर्ती अग्रगमन को किसने रोका – पुलकेशिन द्वितीय
- किस राजा ने नालंदा विश्वविद्यालय को 100 ग्रामों की आय दानस्वरूप दिए – हर्षवर्धन
- हर्षवर्धन का प्रधानमंत्री कौन था – अवन्ति
- हर्ष का महासेनापति कौन था – सिंहनाद
- हर्ष का सेनापति (अश्व सेना) कौन था – कुन्तल
- किसका कथन है — ‘भारत के लोग गर्म मिजाज के हैं, उन्हें जल्दी गुस्सा आता है परंतु ईमानदार होते हैं। भारतीय स्वच्छता प्रेमी हैं। ‘ – ह्वेनसाँग
- ‘अग्रहार’ का अर्थ था – ब्राह्मणों को दिया जाने वाला कर-मुक्त भूमि अनुदान
- ‘घटी यंत्र’ / ‘तुला यंत्र’ का प्रयोग किस लिए होता था – खेत की सिंचाई के लिए
- हर्ष के काल में भू-राजस्व की सीमा क्या थी – 1/6 से 1/10
- हर्षवर्धन की माता का नाम क्या था – यशोमती
- हर्षवर्धन के भाई का क्या नाम था – राज्यवर्धन
- हर्षवर्धन के पिता कौन थे – प्रभाकरवर्धन
- बोधिवृक्ष (बोधगया) को किसने कटवा दिया – गौड़ नरेश शशांक ने
- भारत का अंतिम हिन्दू सम्राट किसे कहा गया है – हर्षवर्धन (Harshavardhana)
प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत : Source of Ancient Indian History in Hindi
- प्रागैतिहासिक काल : Prehistoric Age Notes in hindi
- सिंधु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता : Indus Valley Civilization Notes In Hindi
- सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल, नदी, खोजकर्ता, स्थिति, वस्तुएं
- वैदिक सभ्यता : Vedic Civilization Notes in Hindi
- 16 महाजनपदों का उदय : Mahajanpada Period in Hindi
- जैन धर्म का इतिहास : Jain Dharma History in Hindi
- बौद्ध धर्म का इतिहास : Bauddha Dharma History in Hindi
- जैन धर्म के 24 तीर्थंकर : Jain Tirthankara and their symbols in Hindi
- शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm in Hindi
- वैष्णव धर्म या भगवत धर्म : Vaishnav Dharm History in Hindi
- इस्लाम धर्म का इतिहास : Islam Dharm History in Hindi
- ईसाई धर्म का इतिहास : Christian Dharma History in Hindi
- पारसी धर्म का इतिहास : Parsi Dharma History in Hindi
- मगध राज्य का उत्कर्ष : Magadha Empire History in Hindi
- सिकंदर का इतिहास : Sikandar / Alexander the Great History in Hindi
- मौर्य साम्राज्य / वंश का इतिहास : Maurya Samrajya History in Hindi
- ब्राह्मण साम्राज्य : शुंग, कण्व और सातवाहन वंश का इतिहास
- भारत के यवन राज्य : Bharat Ke Yavana Rajya in Hindi
- शक वंश का इतिहास : Shak Vansh History in Hindi
- कुषाण वंश का इतिहास : Kushana Vansha History in Hindi
- गुप्त साम्राज्य का इतिहास : Gupta Samrajya History in HIndi
उम्मीद करता हूँ आपको यह पोस्ट (pushyabhuti vansha / vardhana empire) पसंद आया होगा। इस तरह के और भी नए-नए पोस्ट सीधे अपने ईमेल पर पाने के लिए इस ब्लॉग को अभी सब्सक्राइब करें। पोस्ट पसंद आया हो तो फसबूक पर शेयर जरूर करें।
पुष्यभूति वंश या वर्धन वंश (pushyabhuti vansha / vardhana vansha history in hindi) से संबंधित कोई भी प्रश्न हो तो नीचे कमेंट बॉक्स में लिखें। अधिक जानकारी के लिए आप मुझे फेसबुक पर फॉलो कर सकते हैं।