Rashtrakuta Vansha History Notes in Hindi : राष्ट्रकूट राजवंश का संस्थापक दंतिदुर्ग था। राष्ट्रकूट दक्षिण भारत, मध्य भारत और उत्तरी भारत के बड़े भूभाग पर राज्य करने वाला राजवंश था। इस पोस्ट में राष्ट्रकूट वंश (rashtrakuta dynasty) के शासक दंतिदुर्ग, कृष्ण प्रथम, ध्रुव, गोविंद तृतीय, अमोघवर्ष, कृष्ण द्वितीय, इंद्र तृतीय एवं कृष्ण तृतीय के बारे में जानेंगे। साथ ही राष्ट्रकूट साम्राज्य (rashtrakuta empire) के महत्त्वपूर्ण question answer को भी देखेंगे।

राष्ट्रकूट वंश के शासक (Rashtrakuta Emperors)
राष्ट्रकूट शासक | शासन काल |
दंतिदुर्ग | 735-756 ई० |
कृष्ण प्रथम | 756-774 ई० |
गोविंद द्वितीय | 774-780 ई० |
ध्रुव धारावर्ष | 780-793 ई० |
गोविंद तृतीय | 793-814 ई० |
अमोघवर्ष | 814-878 ई० |
कृष्ण द्वितीय | 878-914 ई० |
इंद्र तृतीय | 914-929 ई० |
अमोघवर्ष द्वितीय | 929-930 ई० |
गोविंद चतुर्थ | 930-936 ई० |
अमोघवर्ष तृतीय | 936-939 ई० |
कृष्ण तृतीय | 939-967 ई० |
खोट्टिग अमोघवर्ष चतुर्थ | 967-972 ई० |
कर्क द्वितीय | 972-973 ई० |
इंद्र चतुर्थ | 973-982 ई० |
राष्ट्रकूट साम्राज्य का नक्शा (Rashtrakuta Empire Map)

राष्ट्रकूट वंश का इतिहास : Rashtrakuta Vansha History in Hindi
राष्ट्रकूट वंश का संस्थापक दंतिदुर्ग था। शुरुआत में वे कर्नाटक के चालुक्य राजाओं के अधीन था। दंतिदुर्ग ने 752 ई० में चालुक्य वंश के शासक कीर्तिवर्मन को पराजित करके स्वतंत्र राष्ट्रकूट राज्य की स्थापना की। दंतिदुर्ग ने एलोरा में दशावतार मंदिर का निर्माण कराया।
राष्ट्रकूट राजवंश की राजधानी मनकिर या मान्यखेत (वर्तमान मालखेड़, शोलापुर के निकट) थी।
राष्ट्रकूट वंश के प्रमुख शासक थे – कृष्ण प्रथम, ध्रुव, गोविंद तृतीय, अमोघवर्ष, कृष्ण द्वितीय, इंद्र तृतीय एवं कृष्ण तृतीय।
कृष्ण प्रथम (Krishna I)
- दंतिदुर्ग के बाद इसके चाचा कृष्ण प्रथम 756 ई० राष्ट्रकूट वंश का शासक बना।
- इसने शुभतुंग की उपाधि धारण की।
- एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण कृष्ण प्रथम ने करवाया था।
गोविंद द्वितीय (Govinda II)
- गोविन्द द्वितीय कृष्ण प्रथम का पुत्र था।
- गोविन्द द्वितीय एक अयोग्य शासक था और वह भोग विलास में लिप्त रहता था।
- इसके भाई ध्रुव ने गोविन्द द्वितीय को राजगद्दी से हटा दिया और खुद सिंहासन पर बैठ गया।
ध्रुव धारावर्ष (Dhruva Dharavarsha)
- ध्रुव राष्ट्रकूट वंश (rashtrakuta vansha) का पहला शासक था, जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया और प्रतिहार नरेश वत्सराज एवं पाल नरेश धर्मपाल को पराजित किया।
- ध्रुव को ‘धारावर्ष‘ भी कहा जाता था।
गोविंद तृतीय (Govinda III)
- गोविंद तृतीय के पिता ध्रुव थे।
- अपने पिता के मृत्यु के बाद वह शासक बना।
- गोविंद तृतीय ने त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लेकर चक्रायुद्ध एवं उसके संरक्षक धर्मपाल तथा प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट II को पराजित किया।
- पल्लव, पाण्ड्य, केरल एवं गंग शासकों के संघ को गोविंद III ने नष्ट किया।
अमोघवर्ष प्रथम (Amoghavarsha I)
- अमोघवर्ष प्रथम गोविन्द तृतीय का पुत्र था।
- अमोघवर्ष जैनधर्म का अनुयायी था।
- इसने कन्नड़ में कविराजमार्ग की रचना की
- आदिपुराण के रचनाकार जिनसेन, गणितासार संग्रह के लेखक महावीराचार्य एवं अमोघवृत्ति के लेखक सक्तायना अमोघवर्ष के दरबार में रहते थे।
- अमोघवर्ष ने तुंगभद्रा नदी में जल-समाधि लेकर अपने जीवन का अंत किया।
कृष्ण द्वितीय (Krishna II)
- अमोघवर्ष प्रथम का पुत्र कृष्ण द्वितीय था।
- यह एक कमजोर शासक था।
- कृष्ण द्वितीय का पूर्ण शासन काल लगभग चालुक्यों के साथ संघर्ष में व्यतीत हुआ।
इंद्र तृतीय (Indra III)
- इंद्र तृतीय, कृष्ण द्वितीय का पौत्र था।
- इंद्र III के शासन काल में अरब निवासी अलमसूदी भारत आया ; इसने तत्कालीन राष्ट्रकूट शासकों को भारत का सर्वश्रेष्ठ शासक कहा।
- इन्द्र तृतीय ने भी त्रिकोणीय संघर्ष में भाग लिया तथा प्रतिहार शासक महीपाल को पराजित कर कन्नौज को लूट लिया।
कृष्ण तृतीय (Krishna III)
- राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कृष्ण III था।
- कृष्ण तृतीय ने “अकाल वर्ष” की उपाधी धारण की और सत्ता हाथ में आते ही कांची व तंजौर पर विजय अभियान चलाकर उन्हें जीत लिया।
- कृष्ण III ने रामेश्वरम में विजय स्तंभ एवं देवालय की स्थापना की थी।
- कृष्ण तृतीय ने चोल वंश के नरेश परांतक प्रथम को हराकर उनके उत्तरी भाग पर अधिकार कर लिया।
- कृष्ण तृतीय के दरबार में कन्नड़ भाषा के कवि पोन्न रहते थे जिन्होंने शांतिपुराण के रचना की।
कर्क द्वितीय (Karka II)
- कल्याणी के चालुक्य तैलप द्वितीय ने 973 ई० में कर्क को हराकर राष्ट्रकूट राज्य (rashtrakuta empire) पर अपना अधिकार कर लिया और कल्याणी के चालुक्य वंश की नींव डाली।
- कर्क द्वितीय राष्ट्रकूट वंश का अंतिम (कमजोर) शासक था।
राष्ट्रकूट वंश से संबंधित कुछ अन्य बिंदु
- एलोरा एवं एलिफेंटा (महाराष्ट्र) गुहामन्दिरों का निर्माण राष्ट्रकूटों के समय ही हुआ।
- एलोरा में 34 शैलकृत गुफाएँ हैं।
- इस गुफाओं में से 1 से 12 तक बौद्धों, 13 से 29 तक हिंदुओं एवं 30 से 34 तक जैनों की गुफाएँ हैं।
- एलोरा की गुफा 15 में विष्णु को नरसिंह अर्थात पुरुष-सिंह के रूप दिखलाया गया है।
- राष्ट्रकूट शैव, वैष्णव, शाक्त सम्प्रदायों के साथ-साथ जैन धर्म के भी उपासक थे।
- राष्ट्रकूटों ने अपने राज्यों में मुसलमान व्यापारियों को बसने तथा इस्लाम के प्रचार के स्वीकृति दी थी।
Rashtrakuta Vansha Important GK Question Answer in Hindi
- पहाड़ी काटकर एलोरा के विश्वविख्यात कैलाशनाथ मंदिर का निर्माण किस वंश के शासक ने कराया था – राष्ट्रकूट
- राष्ट्रकूट साम्राज्य (rashtrakuta empire) का संस्थापक कौन था – दंतिदुर्ग
- राष्ट्रकूटों को किसके द्वारा उखाड़ फेंका गया था – तैलप II
- तीन मुखवाली ब्रह्मा, विष्णु व महेश की मूर्ति, जो त्रिमूर्ति के नाम से जानी जाती है, किस गुफा में है – एलिफेंटा
- 8वीं सदी के प्रारंभ में किसने जोरोऐस्ट्रियनों (पारसियों) को शरण दी जो पर्शिया (ईरान) से समुद्र द्वारा फरार होकर तटीय रास्ते से पश्चिमी भारत पहुंचे थे – राष्ट्रकूटों ने
- 12वीं सदी के राष्ट्रकूट वंश के पाँच शिलालेख किस राज्य में मील हैं – कर्नाटक
- एलोरा में गुफाओं व शैलकृत मंदिरों का सबंध किससे है – हिंदुओं, बौद्धों एवं जैनों से
- किस राष्ट्रकूट शासक ने रामेश्वरम में विजय स्तंभ एवं देवालय की स्थापना की थी – कृष्ण III
- एलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मंदिर का निर्माण किसने कराया था – कृष्ण I
- किसने मान्यखेत / मालखेद को राष्ट्रकूट राज्य की राजधानी बनायी – अमोघवर्ष
- किसने कन्नड़ काव्य-शास्त्र की प्राचीनतम कृति ‘कविराजमार्ग’ की रचना की – अमोघवर्ष
- राष्ट्रकूट काल में ‘राष्ट्र’ (प्रान्त) का प्रधान की कहलाता था – राष्ट्रपति
- किस राजवंश का काल कन्नड़ साहित्य के उत्पत्ति का काल माना जाता है – राष्ट्रकूट
- राष्ट्रकूट कालीन ‘कन्नड़ साहित्य के त्रिरत्न’ में कौन-कौन शामिल था – पंप, पोन्न एवं रन्न
- रावण की खाई, दशावतार, कैलाश गुफा मंदिर आदि कहाँ पर मिलते है – एलोरा में
- बंबई से 6 मील दूर धारापुरी / धारानगरी में स्थित गुफाएँ कौन हैं – एलिफेंटा
- राष्ट्रकूट वंश (rashtrakuta vansha) का पहला शासक कौन था जिसने कन्नौज पर अधिकार करने हेतु त्रिपक्षीय संघर्ष में भाग लिया – ध्रुव
- आदिपुराण के रचनाकार कौन थे – जिनसेन
- अमोघवर्ष ने किस नदी में जल-समाधि लेकर अपने जीवन का अंत किया – तुंगभद्रा नदी
- राष्ट्रकूट वंश का अंतिम महान शासक कौन था – कृष्ण तृतीय
- राष्ट्रकूट वंश का अंतिम (कमजोर) शासक कौन था – कर्क द्वितीय
- किस शासक ने कर्क को हराकर राष्ट्रकूट राज्य पर अपना अधिकार कर लिया – कल्याणी के चालुक्य तैलप II
- अमोघवर्ष किस धर्म का अनुयायी था – जैन धर्म
- प्रतिहार वंश के शासक नागभट्ट II को किस राष्ट्रकूट शासक ने त्रिपक्षीय संघर्ष में पराजित किया – गोविंद तृतीय ने
राष्ट्रकूटकालीन ग्रंथकार एवं उसके ग्रंथ
ग्रंथकार | ग्रंथ |
पंप | आदिपुराण |
पोन्न | शांतिपुराण |
रन्न | अजितपुराण |
सक्तायना | अमोघवृत्ति |
महावीराचार्य | गणितासार संग्रह |
प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत : Source of Ancient Indian History in Hindi
- प्रागैतिहासिक काल : Prehistoric Age Notes in hindi
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Rashtrakuta Vansha main kiskaa Sashan tha?