सच्चाई के मसीहा बीरबल : Akbar Birbal Famous Story in hindi – बादशाह अकबर दरबार में आकर अभी बैठे ही थे कि तभी दरबार में एक हत्या का मामला आ गया। बादशाह को बड़ा ही बुरा लगा कि आज की शुरुआत हत्या के मामले से ही हो रही है। बादशाह ने हुक्म दिया, “यह हत्या का मामला है। इसमें जल्दबाजी करना ठीक नहीं होगा। इस मामले की सुनवाई अगले दिन होगी।”
अपराधी को मौका मिल गया। वह दूसरे दिन दरबार लगने से पहले ही बीरबल के घर पर पहुंच गया और दरबार के लिए तैयार हो रहे बीरबल के आगे गिड़गिड़ाने लगा, “हुजूर, आप बुद्धिमानों के बुद्धिमान हैं। मैं बड़ी आशा लेकर आपकी शरण में आया हूं। मेरी फांसी की सजा उम्र कैद में तब्दील हो जाएगी तो मेरे परिजन आपका यह उपकार जीवन भर नहीं भूलेंगे।”

बीरबल यह सब सुनकर अवाक रह गए।
अपराधी आगे बोला, “हुजूर, मेरी आपसे प्रार्थना है कि मेरी तरफ से आप ही बहस करें।” बीरबल ने जवाब में कुछ नहीं कहा।
मामला दरबार में पेश हुआ। बादशाह अकबर ने अपराधी को उम्र कैद की सजा सुनाई। अपराधी आश्चर्यचकित भी हुआ और खुश भी हुआ। वह धीरे-धीरे चलकर बीरबल के नजदीक आया और बोला, “हुजूर, लाख-लाख शुक्रिया, आपने मेरी फांसी की सजा उम्रकैद में करवा दी, मैं आपका ताउम्र ऋणी रहूंगा।”
यह सुनकर बीरबल बोले, “हां, मुझे इस मामले में बड़ी दिक्कत उठानी पड़ी। जहांपनाह तो तुम्हें निर्दोष समझ कर छोड़ने जा रहे थे। मेरे बार-बार समझाने पर उन्होंने तुम्हें उम्र कैद की सजा दी है। क्योंकि केवल मुझे पता है कि तुमने अपराध किया है और तुमने मेरे घर पर अपना अपराध कबूल भी किया।” हकीकत यही थी।
अपराधी यह सुनकर हतप्रभ रह गया। वह माथा पीट कर रह गया कि बीरबल के सामने उसने अपना अपराध आखिर कबूल क्यों किया ?
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