साधु का तोता : Sadhu Ka Toto Akbar Birbal Story in hindi – एक साधु को तोता पालने का शौक था। वह नित्य एक नया तोता जंगल से पकड़ कर ले आता और उसे अच्छी-अच्छी बातें सिखाकर शहर के रईसों को दे देता। रईस बदले में उसे कुछ धन दे देते थे और उस धन से वह साधु अपना और अपने शिष्यों का पालन-पोषण करता था।
एक बार साधु ने एक ऐसा तोता पकड़ा, जो हथियार और तेज दिमाग का था। वह तोता कम समय में ही बहुत कुछ सीख गया। साधु बहुत ही खुश हुआ कि उस तोते से उसे काफी धन प्राप्त होगा। साधु ने निश्चय किया कि यह तोता बादशाह के पास होना चाहिए। उन्हें इसे भेंटकरके वह अधिक से अधिक धन प्राप्त कर सकेगा।
तोता जब पूरी तरह से सीख-पढ़ गया तब एक दिन साधु दरबार में पहुंचा और बादशाह अकबर को सप्रेम भेंट कर दिया।
बादशाह ने तोते को बहुत पसंद किया, क्योंकि वह तोता सवाल पूछने पर जवाब भी देता था। बादशाह ने अपने एक सेवक को वह तोता सौंपते हुए कहा, “तुम्हें इस बात का पूरा ध्यान रखना है कि तोते के स्वभाव में किसी भी तरह का दोष न आने पाए। जो भी हमें यह खबर देगा कि तोता मर गया है, वह अपनी जान से जाएगा।”
सेवक ने तोते को कड़ी सुरक्षा व्यवस्था में रखना शुरू कर दिया। फिर भी एक दिन तोते की अचानक ही मृत्यु हो गई। सेवक को जब बादशाह की चेतावनी याद आई तो वह काफी घबरा गया और सीधे बीरबल के पास चला गया। एक सांस में ही उसने बीरबल को सारी कहानी कह सुनाई।
चतुर बीरबल बोले, “तुम चिंता न करो और अपने काम में लगे रहो।” यह कहकर बीरबल अकबर बादशाह के यहां पहुंच गए और अचानक ही कहने लगे, “जहांपना तोते ने तो….”
शंहशाह कुछ समझ न सके और घबराई हुई आवाज में बोले, “बीरबल, क्या बक रहे हो ? तोता तो ठीक है न ? कहीं वह मर तो नहीं गया ?” बीरबल बोले, “हुजूर, कैसी बातें कर रहे हैं। तोता मरा नहीं, उसने समाधि ले ली है। आज सुबह से न कुछ खा रहा है, न पी रहा है, न बोल रहा है, न देख रहा है और न पंख फड़फड़ा रहा है।”
अकबर बादशाह यह सुनकर चौक पड़े और उठ कर जहां तोता था, उधर बढ़ गए। वहां पहुंच कर उन्होंने देखा कि तोता वास्तव में ही मर गया है। अकबर बादशाह बहुत दुःखी हुए और बीरबल से कहने लगे, “बीरबल, क्या तुम यह नहीं कह सकते थे कि तोता मर गया है ?”
बीरबल सिर झुका कर बोले, ‘हुजूर, मैं यह कैसे कहता कि तोता मर गया है। क्या आपकी चेतावनी मुझे याद नहीं कि ‘तोता मर गया है’ की खबर देकर अपनी जान गंवाता ?” बीरबल के इतना कहने पर बादशाह को अपनी चेतावनी याद आई लेकिन बीरबल की बुद्धिमता के आगे वह निरुत्तर रह गए।
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