Sen vansh history notes in hindi : सेन वंश की स्थापना सामन्त सेन ने राढ़ में की थी। सेन वंश ने 12वीं शताब्दी के मध्य से बंगाल पर अपना प्रभुत्व स्थापित किया। इस राजवंश ने बंगाल पर 160 वर्षों तक राज किया। सेन वंश (sena dynasty) का मूल स्थान कर्नाटक था। अपने चरमोत्कर्ष के समय भारतीय महाद्वीप का पूर्वोत्तर क्षेत्र सेन साम्राज्य (sena empire) के अंतर्गत आता था। सेनवंश के प्रमुख शासक विजयसेन, बल्लाल सेन एवं लक्ष्मण सेन थे। इस पोस्ट में सेन वंश का इतिहास (sen vansh ka itihas) एवं इससे संबंधित महत्त्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को देखेंगें।

सेन वंश का इतिहास : Sen Vansh History in Hindi
सेन वंश के राजा जो कि अपने आप को कर्णाट क्षत्रिय, ब्रह्म क्षत्रिय और क्षत्रिय मानते थे, दक्षिणापथ या दक्षिण के शासक माने जाते हैं।
देवपाल के समय से पाल सम्राटों ने विदेशी साहसी वीरों को अधिकारी पदों पर नियुक्त किया। उनमें से कुछ कर्नाटक देश से संबंध रखते थे। कालांतर में ये अधिकारी जो दक्षिण से आये थे, शासक बन गए और स्वयं को राजपुत्र कहने लगे।
राजपुत्रों के इस परिवार में बंगाल के सेन राजवंश (sena empire) का प्रथम शासक सामन्त सेन उत्पन्न हुआ था।
सेन राजवंश प्रथम राजवंश था, जिसने अपना अभिलेख सर्वप्रथम हिंदी में उत्कीर्ण करवाया।
सेन वंश के शासक : Sena Dynasty Emperor
सेनवंश के शासक का नाम | शासन काल |
सामन्त सेन | 1070-1095 ई० |
हेमंत सेन | 1095-1096 ई० |
विजय सेन | 1096-1159 ई० |
बल्लाल सेन | 1159-1179 ई० |
लक्ष्मण सेन | 1179-1204 ई० |
केशव सेन | 1204-1225 ई० |
विश्वरूप सेन | 1225-1230 ई० |
सामन्त सेन (Samanta Sena)
- सेन वंश के संस्थापक सामन्त सेन थे।
- इसकी राजधानी नदिया (लखनौती) थी।
- सामन्त सेन ने दक्षिण के शासक राजेन्द्र चोल को परास्त कर अपनी प्रतिष्ठा में वृद्धि की।
- सामन्त सेन का उत्तराधिकारी हेमंत सेन था।
विजय सेन (Vijya Sena)
- विजयसेन हेमंत सेन का पुत्र था।
- सेनवंश का प्रथम स्वतंत्र शासक विजयसेन था।
- विजयसेन शैवधर्म का अनुयायी था।
- विजयसेन ने देवपाड़ा में प्रद्युम्नेश्वर मंदिर (शिव की विशाल मंदिर) की स्थापना की।
- विजयसेन ने अपनी दो राजधानी बनाई थी जिनमें से एक पश्चिम बंगाल में थी, जिसका नाम विजयपुर था और दूसरी राजधानी विक्रमपुर, जो पूर्वी बंगाल (आधुनिक बांग्लादेश) में थी।
- विजयसेन को सेन वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
- विजयसेन ने परमेश्व, परमभट्टाकारक, महाराजाधिराज जैसी कई उपाधियाँ धारण की।
बल्लाल सेन (Ballal Sena)
- विजयसेन का पुत्र एवं उत्तराधिकारी बल्लाल सेन विद्वान तथा समाज सुधारक था।
- दानसागर एवं अद्भुत सागर नामक ग्रंथ की रचना सेन शासक बल्लालसेन ने की थी।
- अद्भुत सागर की रचना के दौरान इनकी मृत्यु हो गई जिसकी वजह से यह पूरा नहीं हो पाया।
- अद्भुत सागर को लक्ष्मण सेन ने पूर्णरूप दिया था।
- बंगाल में जाति प्रथा और कुलीन प्रथा को संगठित करने का श्रेय बल्लालसेन को जाता है।
- इसने कुलीनवाद के नाम से एक आंदोलन भी चलाया।
- बल्लाल सेन ने गौड़पुर, सुवर्णग्राम और विक्रमपुर को अपनी राजधानी बनाया था।
लक्ष्मण सेन (Lakshmana Sena)
- बल्लाल सेन का उत्तराधिकारी एवं पुत्र लक्ष्मण सेन था।
- लक्ष्मण सेन को सेन वंश का अंतिम शक्तिशाली शासक माना जाता है।
- लक्ष्मणसेन ने परमभागवत की उपाधि धारण की।
- यह अपने पूर्वजों के विपरीत वैष्णव धर्म का अनुयायी था।
- लक्ष्मण सेन की राज्यसभा में गीतगोविन्द के लेखक जयदेव, पवनदूत के लेखक धोयी एवं ब्राह्मणसर्वस्व के लेखक हलायुद्ध रहते थे।
- हलायुद्ध लक्ष्मण सेन का प्रधान न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री था।
- लक्ष्मण सेन बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक था।
- लक्ष्मण सेन ने काशी के गहड़वाल और आसाम पर सफल आक्रमण किये किन्तु 1202 ई० के लगभग इसे पश्चिम और उत्तर बंगाल मुहम्मद खिलजी को समर्पित करने पड़े।
लक्ष्मण सेन की मृत्यु के बाद सेन वंश का पतन शुरू हो गया था।
Sen Vansh History GK Question Answer in Hindi
- सेन वंश का संस्थापक कौन था – सामन्त सेन
- किसने ‘कुलीन प्रथा’ / ‘कुलीनतावाद’ का आरंभ किया – बल्लाल सेन
- किसने स्मृति ग्रंथ ‘दान सागर’ एवं ज्योतिष ग्रंथ ‘अद्भुत सागर’ की रचना की – बल्लाल सेन
- सेनवंश का प्रथम स्वतंत्र शासक कौन था – विजयसेन
- सेनवंश किस धर्म का अनुयायी था – शैवधर्म
- गीतगोविन्द के लेखक कौन थे – जयदेव
- पवनदूत के लेखक कौन थे – धोयी
- ब्राह्मणसर्वस्व के लेखक कौन थे – हलायुद्ध
- लक्ष्मण सेन का न्यायाधीश एवं मुख्यमंत्री कौन था – हलायुद्ध
- देवपाड़ा में प्रद्युम्नेश्वर मंदिर की स्थापना किसने की – विजयसेन
- विजयसेन के पिता का नाम क्या था – हेमंत सेन
- सामन्त सेन का पुत्र का नाम क्या था – हेमंत सेन
- लक्ष्मण सेन किस धर्म का अनुयायी था – वैष्णव धर्म
- बंगाल का अंतिम हिन्दू शासक कौन था – लक्ष्मण सेन
- वह कौन-सा प्रथम राजवंश था, जिसने अपना अभिलेख सर्वप्रथम हिंदी में उत्कीर्ण करवाया – सेन राजवंश
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