Shaiv dharm history in hindi : भगवान शिव की पूजा करनेवालों को शैव एवं शिव से संबंधित धर्म को शैवधर्म कहा गया है। वामन पुराण में शैव सम्प्रदाय (shaiv sampraday) की संख्या चार बताई गई है – पाशुपत (pashupat), कापालिक (kapalik), कालामुख (kalamukh) एवं लिंगायत (lingayat). इस पोस्ट में शैवधर्म के इतिहास (history of shavism) से संबंधित सभी तथ्यों एवं शैव धर्म के सभी important question answer hindi में जानेंगे।

शैव धर्म का इतिहास : History of Shaiv Dharm
शैव : भगवान शिव की पूजा करनेवालों को शैव कहा गया है।
शैवधर्म : शिव (Shiva) से संबंधित धर्म को शैव धर्म कहा गया है।
शिव महापुराण में भगवान शिव के अनेक अवतारों का उल्लेख मिलता है।
शिव के दस अवतार
नीचे दिए गए शिव के दस अवतार तंत्रशास्त्र से संबंधित है।
1. महाकाल | 6. धूम्रवान |
2. तारा | 7. छिन्नमस्तक गिरिजा |
3. भैरव | 8. मातंग |
4. भुवनेश | 9. कमल |
5. षोडश | 10. बगलामुख |
शिव के अन्य 11 अवतार जिन्हें रुद्र कहते हैं
1. कपाली | 7. शास्ता |
2. भीम | 8. आपिर्बुध्य |
3. विलोहित | 9. अजपाद |
4. पिंगल | 10. चण्ड |
5. विरुपाक्ष | 11. भव |
6. शम्भू |
शैव ग्रंथ
1. श्वेताश्वतरा उपनिषद | 3. आगम ग्रंथ |
2. शिव पुराण | 4. तिरुमुराई |
शैवधर्म (Shaiv Dharm) से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- शिवलिंग उपासना का प्रारंभिक पुरातात्विक साक्ष्य हड़प्पा संस्कृति के अवशेषों से मिलता है।
- ऋग्वेद में शिव के लिए रुद्र नामक देवता का उल्लेख है।
- अथर्ववेद में शिव को भव, शर्व, पशुपति और भूपति कहा जाता है।
- लिंगपूजा का पहला स्पष्ट वर्णन मत्स्यपुराण में मिलता है।
- महाभारत के अनुशासन पर्व से भी लिंग-पूजा का वर्णन मिलता है।
- रुद्र के पत्नी के रूप में पार्वती का नाम तैत्तिरीय आरण्यक में मिलता है।
शैव सम्प्रदाय की संख्या : Number of Shaiv Sampradaya
‘वामन पुराण’ में शैव सम्प्रदाय की संख्या चार बताया गयी है।
इन चार सम्प्रदायों के नाम इस प्रकार है :
- पाशुपत
- कापालिक
- कालामुख
- लिंगायत
पाशुपत सम्प्रदाय
- पाशुपत सम्प्रदाय शैवों का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय है।
- पाशुपत सम्प्रदाय के संस्थापक लकुलीश थे।
- लकुलीश को भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता है।
- पाशुपत सम्प्रदाय के अनुयायियों को पंचार्थिक कहा गया है।
- इस मत का प्रमुख सैद्धांतिक ग्रंथ पाशुपत सूत्र है।
- श्रीकर पंडित एक विख्यात पाशुपत आचार्य थे।
कापालिक सम्प्रदाय
- कापलिक सम्प्रदाय के ईष्ट देव भैरव थे।
- इस संप्रदाय का प्रमुख केंद्र श्री शैल नामक स्थान था।
कालामुख सम्प्रदाय
- कालामुख सम्प्रदाय के अनुयायिओं को शिव पुराण में महाव्रतधर कहा गया है।
- इस सम्प्रदाय के लोग नर-कपाल में ही भोजन, जल तथा सुरापान करते हैं और साथ ही अपने शरीर पर चिता की भस्म मलते हैं।
लिंगायत सम्प्रदाय
- लिंगायत समुदाय दक्षिण में काफी प्रचलित था। इन्हें जंगम भी कहा जाता था।
- इस संप्रदाय के लोग शिव लिंग की उपासना करते थे।
- बसव पुराण में लिंगायत सम्प्रदाय के प्रवर्तक अल्लभ प्रभु तथा उनके शिष्य बासव को बताया गया है।
- इस सम्प्रदाय को वीरशिव सम्प्रदाय भी कहा जाता है।
सम्प्रदाय | संस्थापक |
आजीवक | मक्खलिपुत्र गोशाल |
घोर अक्रियावादी | पूरण कश्यप् |
यदृच्छावाद | आचार्य अजित |
भौतिकवादी | पकुध कच्चायन (भौतिक दर्शन) |
अनिश्चयवादी | संजय वेट्ठलिपुत्र |
शैव धर्म के अन्य महत्वपूर्ण बिंदु
- 10वीं शताब्दी में मत्स्येन्द्रनाथ ने नाथ सम्प्रदाय की स्थापना की।
- नाथ सम्प्रदाय का व्यापक प्रचार प्रसार बाबा गोरखनाथ के समय में हुआ।
- दक्षिण भारत में शैवधर्म चालुक्य, राष्ट्रकूट, पल्लव एवं चोलों के समय लोकप्रिय रहा।
- पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार नायनारों द्वारा किया गया।
- नायनार संतों की संख्या 63 बताई गयी है जिनमें अप्पार, तिरूज्ञान, संबन्दर और सुंदर मूर्ति आदि के नाम उल्लेखनीय है।
- ऐलोरा के प्रसिद्ध कैलाश मदिंर का निर्माण राष्ट्रकूटों ने करवाया।
- चोल शालक राजराज प्रथम ने तंजौर में राजराजेश्वर शैव मंदिर का निर्माण करवाया, जिसे बृहदीश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।
- कुषाण शासकों की मुद्राओं पर शिव एवं नंदी की एक साथ अंकन प्राप्त होता है।
शैव धर्म से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर : Shaiv Dharm ke Question Answer in Hindi
- शिवलिंग उपासना का प्रारंभिक पुरातात्विक साक्ष्य के अवशेष किस संस्कृति से मिले हैं – हड़प्पा
- लिंग-पूजा का पहला वर्णन किस पुराण में मिलता है – मत्स्यपुराण
- किस पुराण में शैव सम्प्रदाय की संख्या चार बताई गई है – वामन पुराण
- शैवों का सर्वाधिक प्राचीन सम्प्रदाय कौन-सा है – पाशुपत सम्प्रदाय
- पाशुपत सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे – लकुलीश
- एलोरा के कैलाश मंदिर का निर्माण किसने करवाया – राष्ट्रकूटों ने
- कापालिक सम्प्रदाय के ईष्टदेव कौन थे – भैरव
- कालामुख सम्प्रदाय के अनुयायिओं को शिव पुराण में क्या कहा गया है – महाव्रतधर
- पाशुपत सम्प्रदाय के अनुयायियों को क्या कहा गया है – पंचार्थिक
- आजीवक सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे – मक्खलिपुत्र गोशाल
- अनिश्चयवादी सम्प्रदाय के संस्थापक कौन थे – संजय वेट्ठलिपुत्र
- लिंगायत सम्प्रदाय के लोग किसकी उपासना करते थे – शिव लिंग
- बसव पुराण में लिंगायत सम्प्रदाय के प्रवर्तक किसको बताया गया है – अल्लभ प्रभु तथा बासव
- कापालिक सम्प्रदाय का प्रमुख केंद्र किस स्थान पर था – श्री शैल
- पाशुपत सम्प्रदाय का प्रमुख सैद्धांतिक ग्रंथ क्या था – पाशुपत सूत्र
- नाथ सम्प्रदाय की स्थापना किसने की – मत्स्येन्द्रनाथ
- किन शासकों की मुद्राओं पर शिव एवं नंदी की एक साथ अंकन प्राप्त होता है – कुषाण शासक
- किस चोल शासक ने तंजौर में राजराजेश्वर शैव मंदिर (बृहदीश्वर मंदिर) का निर्माण करवाया – राजराज प्रथम
- पल्लव काल में शैव धर्म का प्रचार-प्रसार किसके द्वारा किया गया – नायनारों द्वारा
- किसे भगवान शिव के 18 अवतारों में से एक माना जाता है – लकुलीश
- महाभारत के किस पर्व में लिंग-पूजा का वर्णन मिलता है – अनुशासन पर्व
- शिव के लिए ‘रुद्र’ नामक देवता का उल्लेख किस वेद में है – ऋग्वेद
- किस वेद में शिव को पशुपति कहा गया है – अथर्ववेद
- रुद्र के पत्नी के रूप में पार्वती का नाम कहाँ पर मिलता है – तैत्तिरीय आरण्यक में
प्राचीन भारतीय इतिहास नोट्स :
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत : Source of Ancient Indian History in Hindi
- प्रागैतिहासिक काल : Prehistoric Age Notes in hindi
- सिंधु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता : Indus Valley Civilization Notes In Hindi
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- शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm in Hindi
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