Sindhu ghati sabhyata / Hadappa sabhyata kya hai : सिंधु घाटी सभ्यता को हड़प्पा सभ्यता के नाम से भी जाना जाता है। यह एक नगरीय सभ्यता थी। इस सभ्यता से प्राप्त स्थलों में केवल 6 प्रमुख नगरों मोहनजोदड़ों, हड़प्पा, गणवारीवाला, धौलावीरा, राखीगढ़ी एवं कालीबंगन को ही बड़े नगर की संज्ञा दी गयी है। सिन्धु घाटी सभ्यता (Indus valley civilization) या हड़प्पा सभ्यता (Hadappa civilization) से संबंधित नोट्स नीचे दिए गए हैं और साथ में सिन्धु सभ्यता के question answer भी दिया हुआ है।
इस नोट्स में मैंने सिन्धु सभ्यता के इतिहास से संबंधित सिर्फ उन महत्वपूर्ण बिंदु की ही चर्चा की है जो कि ज्यादातर एस.एस.सी, रेलवे इत्यादि जैसे प्रतियोगी परीक्षा में पूछे जाते है।

सिन्धु घाटी सभ्यता का परिचय :
सिंधु घाटी सभ्यता विश्व की प्राचीन नदी घाटी सभ्यताओं में से एक प्रमुख सभ्यता थी। जो मुख्य रूप से दक्षिण एशिया के उत्तर-पश्चिमी क्षेत्रों में, जो आज तक उत्तर पूर्व अफगानिस्तान, पाकिस्तान के उत्तर-पश्चिम और उत्तर भारत में फैली है। सिंधु नदी के आसपास बसे होने के कारण ही इसे सिंधु घाटी सभ्यता कहा जाता है।
सिंधु सभ्यता का काल निर्धारण : रेडियोकार्बन C14 जैसी नवीन विश्लेषण-पद्धति के अनुसार सिंधु सभ्यता की तिथि 2400 ई. पू. से 1700 ई. पू. मानी गयी है।
सिन्धु सभ्यता के खोजकर्ता : रायबहादुर दयाराम साहनी
सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभ्यता के प्रमुख स्थल
मोहनजोदड़ो
- मोहनजोदड़ो की खुदाई राखालदास बनर्जी द्वारा वर्ष 1922 में करवाया गया था।
- भारत का सबसे प्राचीन नगर मोहनजोदड़ो था, सिंधी भाषा में इसका अर्थ मृतकों का टीला होता है।
- यह पाकिस्तान के सिंध प्रान्त के लकरकाना जिले में स्थित है।
- मोहनजोदड़ो सिंधु नदी के किनारे बसा हुआ है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त अन्नागार संभवतः सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता की सबसे बड़ी इमारत है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त वृहत् स्नानागार एक प्रमुख स्मारक है, जिसके मध्य स्थित स्नानकुंड 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा एवं 2.43 मीटर गहरा है।
- मोहनजोदड़ो से प्राप्त एक शील पर तीन मुख वाले देवता (पशुपति नाथ) की मूर्त्ति मिली है। उनके चारों ओर हाथी, गैंडा, चीता एवं भैंसा विराजमान है।
- मोहनजोदड़ो से नर्तकी की एक कांस्य मूर्ति मिली है।
- मोहनजोदड़ो में शवों को जलाने की प्रथा थी।

हड़प्पा
- हड़प्पा की खुदाई दयाराम साहनी व सहायक माधोस्वरूप वत्स द्वारा वर्ष 1921 में करवाई गयी थी।
- यह पाकिस्तान के मोंटगोमरी जिले में स्थित है।
- हड़प्पा रावी नदी के किनारे बस हुआ है।
- स्वंतंत्रता-प्राप्ति के पश्चात हड़प्पा संस्कृति के सर्वाधिक स्थल गुजरात में खोजे गए हैं।
- हड़प्पा की मोहरों पर सबसे अधिक एक श्रृंगी पशु का अंकन मिलता है।
- स्वस्तिक चिह्न संभवतः हड़प्पा सभ्यता की देन है। इस चिह्न से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है।
- हड़प्पा में शवों को दफनाने की प्रथा विद्यमान थी।
- संभवतः हड़प्पा संस्कृति का शासन वणिक वर्ग के हाथों में था।
कालीबंगन
- कालीबंगन की खुदाई 1953 ई. में बी. बी. लाल एवं बी. के. थापर के द्वारा करवाया गया था।
- यह स्थल राजस्थान का हनुमानगढ़ जिले में घग्घर नदी के तट पर बसा है।
- कालीबंगन का अर्थ है काले रंग की चूड़ियाँ।
- कालीबंगन एक मात्र हड़प्पाकालीन स्थल था, जिसका निचला शहर (सामान्य लोगों के रहने हेतु) भी किले से घिरा हुआ था।
- कालीबंगन से पूर्व हड़प्पा स्तरों के खेत जोते जाने के और अग्निपूजा की प्रथा के प्रमाण मिले हैं।
- कालीबंगन से जुते हुए खेत और नक्काशीदार ईंटों के प्रयोग के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
- यहाँ से अग्निकुण्ड भी प्राप्त हुए है।
- कालीबंगन से सैंधवकालीन घोड़े के अस्थिपंजर मिले हैं।
चन्हूदड़ो
- चन्हूदड़ो की खोज गोपाल मजुमदार द्वारा 1931 ई. में की गयी थी।
- यह स्थल सिंध प्रान्त (पाकिस्तान) में सिन्धु नदी के तट पर स्थित है।
- यह एक मात्र स्थल है जहाँ से वक्राकार ईंटें प्राप्त हुई हैं।
- बिल्ली का पीछा करते कुत्ते का साक्ष्य मिला है।
- सजने-सवरने के लिये लिपस्टिक का प्रयोग किया जाता था।
- चन्हूदड़ो में मनके बनाने के कारखाना मिले हैं।
कोटदीजी
- इसकी खुदाई वर्ष 1955 में फजल अहमद के द्वारा करवाई गयी थी।
- यह सिंध प्रान्त का खैरपुर स्थान में सिन्धु नदी तट पर स्थित है।
- यहाँ से चाँदी के सर्वप्रथम प्रयोग के साक्ष्य मिले हैं।
- यहाँ से बारहसिंगा का नमूना मिला है।
रंगपुर
- रंगपुर की खुदाई रंगनाथ राव द्वारा 1953-56 ई. में करवाई गयी थी।
- यह गुजरात का काठियावाड़ जिला में मादर नदी तट पर स्थित है।
- यहाँ से कच्ची ईंटों से बना दुर्ग मिला है।
- रंगपुर से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है।
रोपड़
- इसकी खुदाई यज्ञदत्त शर्मा द्वारा 1953-56 ई. में करवाई गयी थी।
- यह स्थल पंजाब का रोपड़ जिला में सतलुज नदी के तट पर स्थित है।
- यहाँ से ताँबे की कुल्हाड़ी, आदमी और कुत्ते की एक कब्रगाह आदि के साक्ष्य मिले हैं।
लोथल
- लोथल की खोज रंगनाथ राव द्वारा 1955 एवं 1962 ई. में की गयी थी।
- यह स्थल गुजरात का अहमदाबाद जिले में भोगवा नदी के तट पर स्थित है।
- लोथल सिन्धु सभ्यता का बंदरगाह था।
- लोथल से चावल के दाने मिले हैं, जिनसे धान की खेती होने का प्रमाण मिलता है।
- चावल के प्रथम साक्ष्य लोथल से ही प्राप्त हुए हैं।
- लोथल से मनके बनाने के कारखाने मिले हैं।
- लोथल नगर के घरों के दरवाजे मुख्य सड़क की ओर खुलते थे।
- यहां पर युग्म समाधियाँ मिली हैं।
आलमगीरपुर
- इसकी खुदाई यज्ञदत्त शर्मा द्वारा वर्ष 1958 में करवाई गयी थी।
- यह स्थल उत्तर प्रदेश का मेरठ जिले में हिन्डन नदी के तट पर स्थित है।
सुतकांगेडोर
- इसकी खुदाई ऑरेज स्टाइल द्वारा 1927 में तथा जार्ज डेल्स द्वारा 1962 में करवाई गयी थी।
- यह स्थल पाकिस्तान में दाश्क नदी के तट पर स्थित है।
- यहां से मिट्टी की बनी चूड़ियाँ, राख से भरा बर्तन, ताम्बें की कुल्हाड़ी, मनुष्य की हड्डियाँ इत्यादि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
बनमाली
- इसकी खोज रवींद्र सिंह विष्ट द्वारा 1974 ई. में की गयी थी।
- यह स्थल हरियाणा का हिसार जिले में रंगोई नदी तट पर स्थित है।
- यहां से ताँबे का कुल्हाड़ी, हल की आकृति का खिलौना, पत्थर व ईंट के मकान, उन्नत किस्म की जौ, सड़कों पर बैलगाड़ी के निशान आदि के साक्ष्य मिले हैं।
सुरकोतदा
- इसकी खुदाई जगपति जोशी द्वारा 1964 ई. में करवाई गयी थी।
- यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ नामक जगह पर स्थित है।
- सुरकोतदा सिन्धु सभ्यता का बंदरगाह था।
- यहाँ से सैंधवकालीन घोड़े के अस्थिपंजर प्राप्त हुए हैं।
धौलावीरा
- इसकी खोज में जगपति जोशी द्वारा 1967 ई. में की गयी थी, परन्तु इसकी व्यापक खुदाई रविंद्र सिंह विष्ट द्वारा 1990-91 ई. में करवाई गयी थी।
- यह स्थल गुजरात राज्य के कच्छ जिले में मानहर एवं मानसर नदी के बीच स्थित है।
- यहां से जल निकासी प्रबंधन, जल कुंड इत्यादि के साक्ष्य प्राप्त हुए हैं।
राखीगढ़ी
- इसकी खुदाई अमरेंद्र नाथ द्वारा वर्ष 1997 करवाई गयी थी।
- यह स्थल हरियाणा राज्य के हिसार जिले में सरस्वती तथा दुहद्वती नदियों के पास स्थित है।
- धौलावीरा के बाद राखीगढ़ी भारत में स्थित सिंधु सभ्यता का सबसे बड़ा नगर है।
सिन्धु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) / हड़प्पा सभ्यता के अन्य मुख्य बिंदु
- सिन्धु सभ्यता को प्राक्ऐतिहासिक (Protohistoric) अथवा कांस्य (Bronze) युग में रखा जा सकता है।
- इस सभ्यता के मुख्य निवासी द्रविड़ एवं भूमध्य सागरीय थे।
- सिन्धु सभ्यता या सैंधव सभ्यता नगरीय सभ्यता थी।
- सिन्धु सभ्यता की लिपि भावचित्रात्मक है। यह लिपि दायीं से बायीं ओर लिखी जाती थी।
- सिन्धु सभ्यता के लोगों ने नगरों तथा घरों के विन्यास के लिए ग्रीड पद्धति अपनाई।
- सिन्धु सभ्यता में मुख्य फसल गेहूँ और जौ थी।
- सैंधव वासी मिठास के लिए शहद का प्रयोग करते थे।
- तौल की इकाई संभवतः 16 के अनुपात में थी।
- सैंधव सभ्यता के लोग यातायात के लिए दो पहियों एवं चार पहियों वाली बैलगाड़ी या भैंसागाड़ी का उपयोग करते थे।
- मेसोपोटामिया के अभिलेखों में वर्णित मेलूहा शब्द का अभिप्राय सिन्धु सभ्यता से ही है।
- पिग्गट ने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानी कहा है।
- सिन्धु सभ्यता के लोग धरती को उर्वरता की देवी मानकर उसकी पूजा किया करते थे।
- वृक्ष-पूजा एवं शिव-पूजा के प्रचलन के साक्ष्य भी सिन्धु सभ्यता से मिलते हैं।
- हड़प्पा सभ्यता से मिले स्वस्तिक चिह्न से सूर्योपासना का अनुमान लगाया जाता है।
- सिन्धु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) में किसी भी मंदिर के अवशेष नहीं मिले हैं।
- सिन्धु सभ्यता में मातृदेवी की उपासना सर्वाधिक प्रचलित थी।
- पशुओं में कुबड़ वाला साँड़, इस सभ्यता के लोगों के लिए विशेष पूजनीय था।
- मिट्टी की बनी हुई स्त्री की मूर्तियाँ अधिक मिलने से ऐसा अनुमान लगाया जाता है कि सैंधव समाज मातृसत्तात्मक था।
- सैंधववासी सूती एवं ऊनी वस्त्रों का इस्तेमाल करते थे।
- विश्व में सर्वप्रथम कपास की खेती करने का श्रेय सिंधु वासियों को ही जाता है।
- मनोरंजन के लिए, सैंधववासी मछली पकड़ना, शिकार करना, पशु-पक्षियों को आपस में लड़ाना, पासा खेलना आदि साधनों का प्रयोग करते थे।
- सिंधु सभ्यता के समय मुद्रा प्रणाली का प्रचलन नहीं था।
- इस सभ्यता के लोग काले रंग से डिजाइन किये हुए लाल मिट्टी के बर्त्तन बनाते थे।
- सिन्धु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) के लोग तलवार से परिचित नहीं थे।
- सैंधव सभ्यता में पर्दा-प्रथा एवं वेश्यावृति प्रचलित थी।
- शवों को जलाने एवं गाड़ने यानी दोनों प्रथाएं प्रचलित थीं।
- लोथल एवं कालीबंगा में युग्म समाधियाँ मिली हैं।
- आग में पकी हुई मिट्टी को टेराकोटा कहा जाता था।
- सैंधव सभ्यता के विनाश का संभवतः सबसे प्रभावी कारण बाढ़ था।
हड़प्पा सभ्यता / सिंधु घाटी सभ्यता के महत्वपूर्ण Question Answer
- सिन्धु घाटी सभ्यता में घोड़े के अवशेष कहाँ मिले हैं – सुरकोतदा
- हड़प्पा सभ्यता किस युग की थी – कांस्य युग
- सिन्धु घाटी सभ्यता के लोगों का मुख्य व्यवसाय क्या था – व्यापार
- हड़प्पा सभ्यता के निवासी ग्रामीण थे या फिर शहरी – शहरी
- सिन्धु या हड़प्पा सभ्यता का सर्वप्रथम खोजकर्ता कौन था – दयाराम सहनी
- सिन्धु सभ्यता का बंदरगाह (पत्तननगर) कौन-सा था – लोथल
- सिन्धु सभ्यता का सर्वाधिक उपयुक्त नाम क्या है – हड़प्पा सभ्यता
- हड़प्पा सभ्यता की खोज किस वर्ष में हुई थी – 1921 ई.
- हड़प्पा के लोगों की सामाजिक पद्धति क्या थी – उचित समतावादी
- मोहनजोदड़ो किस नदी के तट पर है – सिन्धु
- हड़प्पा किस नदी के तट पर है – रावी
- हड़प्पा सभ्यता के अंतर्गत हल से जोते गए खेत का साक्ष्य कहाँ से मिला है – कालीबंगा
- मोहनजोदड़ो कहाँ स्थित है – सिंध
- सैंधव सभ्यता की ईंटों का अलंकरण किस स्थान से मिला है – कालीबंगा
- सिन्धु सभ्यता में वृहत् स्नानागार कहाँ पाया गया है – मोहनजोदड़ो
- कौन-से हड़प्पाकालीन स्थल गुजरात में था – लोथल
- मोहनजोदड़ो को किस एक अन्य नाम से भी जाना जाता है – मृतकों का टीला (Mound of Dead)
- हड़प्पा सभ्यता का प्रचलित नाम क्या है – सिन्धु घाटी की सभ्यता
- सैंधव स्थलों के उत्खनन से प्राप्त मुहरों पर किस पशु का सर्वाधिक उत्कीर्णन हुआ है – बैल
- भारत में खोजा गया सबसे पुराना शहर कौन-सा था – हड़प्पा
- हड़प्पाकालीन स्थल रोपड़ / पंजाब किस नदी के किनारे स्थित था – सतलज
- हड़प्पा में किस स्थल पर एक उन्नत जल-प्रबधन प्रणाली का पता चलता है – धौलावीरा
- हड़प्पा के मिट्टी के बर्तनों पर सामान्यतः किस रंग का उपयोग हुआ था – लाल
- सिन्धु सभ्यता किस युग में पड़ता है – आद्य-ऐतिहासिक काल (Proto-Historical Period)
- सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज निकालने में किन दो भारतीय का नाम जुड़ा है – दयाराम साहनी एवं राखालदास बनर्जी
- हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो की पुरातात्विक खुदाई के प्रभारी कौन थे – सर जान मार्शल
- सिन्धु घाटी का समाज कैसा था – मातृसत्तात्मक
- हड़प्पाकालीन लोगों ने नगरों में घरों के विन्यास के लिए कौन-सी पद्धति अपनायी थी – ग्रीड पद्धति
- हड़प्पावासी किस धातु से परिचित नहीं थे – लोहा
- किस हड़प्पाकालीन स्थल से ‘नृत्य मुद्रा वाली स्त्री की कांस्य मूर्ति’ प्राप्त हुई है – मोहनजोदड़ों
- किस सिंधुकालीन स्थल से एक ईंट पर बिल्ली का पीछा करते हुए कुत्ते के पंजों के निशान मिले हैं – चन्हुदड़ो
- स्वंतत्रता-प्राप्ति पश्चात् किस प्रान्त में हडप्पायुगीन स्थलों की खोज सबसे अधिक हुई है – गुजरात
- सिन्धु घाटी सभ्यता की विकसित अवस्था में किस स्थल से घरों में कुंओं के अवशेष मिले हैं – मोहनजोदड़ों
सिंधु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) / हड़प्पा सभ्यता के Question का Answer आपको देना है
नीचे दिए गए छः प्रश्नों का जबाब आपको नीचे कमेंट बॉक्स में देना है। देखते है आपने कितना पढ़ा।
- स्वस्तिक चिह्न किस सभ्यता की देन है ?
- आग में पकी हुई मिट्टी को क्या कहा जाता है ?
- सिन्धु घाटी सभ्यता (sindhu ghati sabhyata) में किस स्थल से अग्निकुण्ड प्राप्त हुए हैं ?
- मनके बनाने के कारखाने किस स्थल से मिले हैं ?
- किस हड़प्पाकालीन स्थल से युगल शवाधान के साक्ष्य मिले हैं ?
- किसने हड़प्पा एवं मोहनजोदड़ो को एक विस्तृत साम्राज्य की जुड़वाँ राजधानी कहा है ?
निष्कर्ष : अगर आप कम समय में सिन्धु घाटी सभ्यता / हड़प्पा सभयता से संबंधित सारे महत्वपूर्ण प्रश्न उत्तर को याद करना चाहते है तो यह नोट्स आपकी बहुत मदद करेगा। क्योंकि मैंने इसमें सिर्फ मुख्य-मुख्य बिंदु के बारे में ही बताया है, जिससे कि आप जल्द-से-जल्द प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी कर सके।
- प्राचीन भारतीय इतिहास के स्रोत : Source of Ancient Indian History in Hindi
- प्रागैतिहासिक काल : Prehistoric Age Notes in hindi
- सिन्धु सभ्यता के प्रमुख स्थल, नदी, खोजकर्ता, स्थिति, वस्तुएं
- वैदिक सभ्यता : Vedic Civilization Notes in Hindi
- 16 महाजनपदों का उदय : Mahajanpada Period in Hindi
- बौद्ध धर्म का इतिहास : Bauddha Dharma History in Hindi
- जैन धर्म के 24 तीर्थंकर : Jain Tirthankara and their symbols in Hindi
- शैव धर्म का इतिहास : Shaiv Dharm in Hindi
- वैष्णव धर्म या भगवत धर्म : Vaishnav Dharm History in Hindi
- इस्लाम धर्म का इतिहास : Islam Dharm History in Hindi
- ईसाई धर्म का इतिहास : Christian Dharma History in Hindi
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Sir what is the ilength and width of harrappa civilization???