Sisodiya vansh history in hindi : सिसोदिया भारतीय राजपूत जाति में पाया जाने वाला एक गोत्र है, जिसका राजस्थान के इतिहास में महत्त्वपूर्ण स्थान है। सिसोदिया वंश (sisodiya dynasty) के शासक मेवाड़ पर शासन करते थे। मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ थी। सिसोदिया वंश के प्रमुख शासक रावल बप्पा, महाराणा सांगा, महाराणा प्रताप इत्यादि थे। इस पोस्ट में सिसोदिया वंश के इतिहास (sisodiya vansh ka itihas) के बारे में जानेगें।

सिसोदिया वंश (गहलौत वंश) के शासक एवं उनके शासन काल : Sisodiya Dynasty Emperor List
- रावल बप्पा (734 – 753 ई.)
- रावल खुमान (753 – 773 ई.)
- मत्तट (773 – 793 ई.)
- भर्तभट्त (793 – 813 ई.)
- रावल सिंह (813 – 828 ई.)
- खुमाण सिंह (828 – 853 ई.)
- महायक (853 – 878 ई.)
- खुमाण तृतीय (878 – 903 ई.)
- भर्तभट्ट द्वितीय (903 – 951 ई.)
- अल्लट (951 – 971 ई.)
- नरवाहन (971 – 973 ई.)
- शालिवाहन (973 – 977 ई.)
- शक्ति कुमार (977 – 993 ई.)
- अम्बा प्रसाद (993 – 1007 ई.)
- शुची वरमा (1007- 1021 ई.)
- नर वर्मा (1021 – 1035 ई.)
- कीर्ति वर्मा (1035 – 1051 ई.)
- योगराज (1051 – 1068 ई.)
- वैरठ (1068 – 1088 ई.)
- हंस पाल (1088 – 1103 ई.)
- वैरी सिंह (1103 – 1107 ई.)
- विजय सिंह (1107 – 1127 ई.)
- अरि सिंह (1127 – 1138 ई.)
- चौड सिंह (1138 – 1148 ई.)
- विक्रम सिंह (1148 – 1158 ई.)
- रण सिंह (कर्ण सिंह) (1158 – 1168 ई.)
- क्षेम सिंह (1168 – 1172 ई.)
- सामंत सिंह (1172 – 1179 ई.)
- रतन सिंह (1301-1303 ई.)
- राजा अजय सिंह (1303 – 1326 ई.)
- महाराणा हमीर सिंह (1326 – 1364 ई.)
- महाराणा क्षेत्र सिंह (1364 – 1382 ई.)
- महाराणा लाखा सिंह (1382 – 1421 ई.)
- महाराणा मोकल (1421 – 1433 ई.)
- महाराणा कुम्भा (1433 – 1469 ई.)
- महाराणा उदा सिंह (1468 – 1473 ई.)
- महाराणा रायमल (1473 – 1509 ई.)
- महाराणा सांगा (संग्राम सिंह) (1509 – 1527 ई.)
- महाराणा रतन सिंह (1528 – 1531 ई.)
- महाराणा विक्रमादित्य (1531 – 1534 ई.)
- महाराणा उदय सिंह (1537 – 1572 ई.)
- महाराणा प्रताप (1572 -1597 ई.)
- महाराणा अमर सिंह (1597 – 1620 ई.)
- महाराणा कर्ण सिंह (1620 – 1628 ई.)
- महाराणा जगत सिंह (1628 – 1652 ई.)
- महाराणा राजसिंह (1652 – 1680 ई.)
- महाराणा अमर सिंह द्वितीय (1698 – 1710 ई.)
- महाराणा संग्राम सिंह (1710 – 1734 ई.)
- महाराणा जगत सिंह द्वितीय (1734 – 1751 ई.)
- महाराणा प्रताप सिंह द्वितीय (1751 – 1754 ई.)
- महाराणा राजसिंह द्वितीय (1754 – 1761 ई.)
- महाराणा हमीर सिंह द्वितीय (1773 – 1778 ई.)
- महाराणा भीमसिंह (1778 – 1828 ई.)
- महाराणा जवान सिंह (1828 – 1838 ई.)
- महाराणा सरदार सिंह (1838 – 1842 ई.)
- महाराणा स्वरूप सिंह (1842 – 1861 ई.)
- महाराणा शंभू सिंह (1861 – 1874 ई.)
- महाराणा सज्जन सिंह (1874 – 1884 ई.)
- महाराणा फ़तेह सिंह (1883 – 1930 ई.)
- महाराणा भूपाल सिंह (1930 – 1955 ई.)
- महाराणा भगवत सिंह (1955 – 1984 ई.)
- महाराणा महेन्द्र सिंह (1984 ई.)
सिसोदिया वंश का इतिहास : Sisodiya Vansh History in Hindi
बप्पा रायड़े ने चित्तौड़ के प्रसिद्ध दुर्ग पर अधिकार कर मेवाड़ में गुहिल वंश अथवा गहलौत वंश की स्थापना की।
सन् 556 ई. में जिस गुहिल वंश की स्थापना हुई, बाद में वही गहलौत वंश बना और इसके बाद यह सिसोदिया राजवंश के नाम से जाना गया।
सिसोदिया शब्द की उत्पत्ति शिसोदा गांव से हुई। तत्कालीन समय में राव रोहितास्व भील को पराजित कर करणसिंह ने आधिपत्य कर लिया और उसी गांव के आधार पर सिसोदिया शब्द प्रचलन में आया।
- सिसोदिया वंश के शासक अपने को सूर्यवंशी कहते थे।
- सिसोदिया वंश के शासक मेवाड़ पर शासन करते थे।
- मेवाड़ की राजधानी चित्तौड़ थी।
- अपनी विजयों के उप्लक्षय में विजयस्तम्भ का निर्माण राणा कुम्भा ने चित्तौड़ में करवाया।
- खतोली का युद्ध 1518 ई० में राणा साँगा एवं इब्राहिम लोदी के बीच हुआ।
- सिसोदिया राजपूतों की कुलदेवी बाणमाता है।
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