आत्मा के साथ आवरण होते है जिसे आत्मा के वाहक शरीर भी कहते है। आत्मा जीवन भाव को लेकर मन के साथ तटस्थ एवं साक्षी होते हुए भी बंधा हुआ है। मन का धर्म है अपने तमाम विकारों के अनुसार सृष्टि करना, मन सृष्टिकर्ता है, मगर बिना किसी माध्यम से सृष्टि संभव नहीं। यही जो माध्यम है वही आत्मा का आवरण है। प्रचलित रूप में इसी को शरीर कहते हैं। शरीर सात हैं। सातों शरीर में आत्मा की अवस्था भिन्न-भिन्न होती है।

आत्मा के सात वाहक शरीर : Seven bearer bodies of soul
आत्मा के वाहक रूप सातों शरीर क्रम से निम्नलिखित है :
- स्थूल शरीर (Physical Body)
- आकाशीय शरीर (Etheric Body)
- सूक्ष्म शरीर (Astral Body)
- मनः शरीर (Mental Body)
- आत्मिक शरीर (Spiritual Body)
- ब्रह्म शरीर (Cosmic Body)
- निर्वाण शरीर (Body Less)
भुवन क्या है ?
सातों शरीरों से संबंधित इस ब्रह्मांड (universe) में मुख्यतः सात महाकेन्द्र हैं। जिन्हें भुवन के संज्ञा दी गयी है। एक भुवन से संबंधित असंख्य लोक लोकांतर हैं। प्रत्येक भुवन का अपना ज्ञान स्तर है। जिस भुवन का जो ज्ञान स्तर है आत्मा अपने वाहक के माध्यम से उसे स्वीकार करती है।
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शरीर और संसार की उत्पत्ति कैसे हुई ?
शरीर और संसार की उत्पत्ति ‘बिंदु’ से हुई है, इस तथ्यगत सिद्धांत को वैज्ञानिक मान्यता भी मिल चुकी है। ‘बिंदु’ का तात्पर्य ‘शून्य’ से है। शून्य में असीम और व्यापक शक्ति अव्यक्त रूप से विद्यमान है। इसी शून्य यानि बिंदु के घनीभूत होने पर सृष्टि के प्राक्कल में सूक्ष्मातिसूक्ष्म रेणु के उत्पत्ति हुई।
आठ बिंदु का एक सूक्ष्मातिसूक्ष्म रेणु हैं। इन आठ बिंदुओं में चार तो पुरुष तत्व प्रधान है और चार है स्त्री तत्व प्रधान। चार बिंदु युक्त पुरुष तत्व श्वेत बिंदु है और चार बिंदु युक्त स्त्री तत्व रक्त बिंदु के नाम से तंत्र शास्त्र में प्रसिद्ध है। श्वेत बिंदु और रक्त बिंदु की ब्रह्म, माया पुरुष, प्रकृति और शिव शक्ति के नाम से प्रसिद्ध है।
इन दोनों के विपरीत बिंदुओं से निकलने वाली विद्युत चुम्बकीय ऊर्जा (electromagnetic energy) जिसे वैज्ञानिक भाषा में ‘इलेक्ट्रॉन’ कहते है और ‘न्यूट्रॉन’ कहते हैं, समस्त विश्व ब्रह्मांड में व्याप्त होकर आपस में नित्य संघर्षशील है। जिसके परिणाम स्वरूप ‘प्रोटॉन‘ नामक तीसरा चुम्बकीय ऊर्जा का जन्म होता है।
इलेक्ट्रॉन, न्यूट्रॉन और प्रोटॉन जैसा कि बतलाया गया है, विद्युत चुम्बकीय ऊर्जाएं है, जो कि एक तरफ शक्ति रूप में तथा दूसरी तरफ तरंग (wave) या प्रवाह रूप में हैं। ऊर्जाओं की तीनों शक्तियाँ, हमारे तंत्र शास्त्र में महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती के रूप में और उनके तीनों तरंग अथवा प्रवाह शिव, विष्णु और ब्रह्मा के नाम से प्रसिद्ध है।
सृष्टिक्रम में प्रथम चुम्बकीय ऊर्जा की शक्ति ‘मन‘ के रूप में, दूसरी चुम्बकीय ऊर्जा की शक्ति ‘प्राण‘ के रूप में इसी प्रकार तीसरी चुम्बकीय ऊर्जा की शक्ति ‘वाक’ के रूप में प्रकट होती है।
स्थूल शरीर (फिजिकल बॉडी) के अलावा अन्य 6 शरीर को ध्यान के द्वारा आप अनुभव कर सकते है।
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उम्मीद करता हूँ आत्मा के सात वाहक शरीर के बारे में आपको अच्छे से समझ में आया होगा। अगर इसके बारे में आपका कोई सवाल हो तो मुझे कमेंट करें।
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