दुकानदार को मिला सबक : Story of Akbar Birbal in hindi – एक दुकानदार बहुत ही कंजूस और जरूरत से अधिक बेईमान व लालची था। वह बर्तनों को बेचता और खरीदता था। शहर के अधिकांश लोग उसके व्यवहार से परेशान वह दुखी थे। अतः सबने मिलकर उस दुकानदार की शिकायत बीरबल से की, “हुजूर, वह दुकानदार बहुत ही लालची, धूर्त और बेईमान है। मेहरबानी करके आप उस दुकानदार को सबक सिखाएं।”
बीरबल सबकी शिकायत पर उस दुकानदार से जाकर मिले और उसकी दुकान से 3 पतीले खरीद कर ले आए। कुछ समय बाद एक छोटी-सी पतीली लेकर दुकानदार से मिले और कहने लगे, “आपके बड़े पतीले ने इसे पैदा किया है। आप इस पतीली को रख लें।”
दुकानदार बहुत ही प्रसन्न हुआ और पतीली लेकर चुपचाप रख ली। यह भी नहीं सोचा कि भला पतीला पतीली को कैसे पैदा कर सकता है ?
पंद्रह-बीस दिन के बाद बीरबल एक बड़ा पतीला लेकर दुकानदार से मिले और बोले, “मुझे आपके पतीले ठीक नहीं लगे, आप मुझे इनका मूल्य लौटा दें।”
यह सुनकर दुकानदार बौखला गया और ऊंची आवाज में बोला, “आप तो केवल एक पतीला लेकर आए हैं, मैंने तो आपको तीन बड़े पतीले दिए थे।”
बीरबल दुखी स्वर में बोले, “हां मुझे याद है, लेकिन क्या बताऊं, तीन में से दो की मौत हो गई है।”
दुकानदार यह सुनते ही चिढ़ गया और भौंहें चढ़ाते हुए बोला, “क्या बात करते हैं जनाब, पूरे नगर में क्या एक मैं ही आपके मूर्ख मिला हूं ? कहीं पतीले भी मरते हैं ?”
“पतीले जब बच्चे पैदा कर सकते हैं तब पतीले मर क्यों नहीं सकते हैं ?” बीरबल ने अपने जवाब से दुकानदार का मुंह बंद कर दिया।
दुकानदार ने ना केवल बीरबल को पतीलों के पैसे लौटाए बल्कि हाथ जोड़कर अपने गुनाहों के लिए उनसे माफी भी मांगनी पड़ी।
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